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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की डिग्री पर विवाद के बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि 1983 में पीएम मोदी की डिग्री पर हस्ताक्षर करने वाले शख्स का निधन 1981 में ही हो गया था.
किसने शेयर किया है दावा?: बिहार प्रदेश यूथ कांग्रेस के वेरिफाइड फेसबुक पेज समेत इंडियन नेशनल कांग्रेस (Indian National Congress) से जुड़े कई अकाउंट पर ये दावा शेयर किया गया है.
सच क्या है?: हमने पाया कि वायरल दावा झूठा है. वायरल स्क्रीनशॉट में वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी (VNSGU) के कुलपति के तौर पर शास्त्री के कार्यकाल का समय दिखाया गया है, न कि उनके जन्म और निधन की तारीखों को.
पीएम मोदी की डिग्री से जुड़ा विवाद:
गुजरात हाईकोर्ट ने 31 मार्च को कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय को पीएम मोदी के डिग्री सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं है. इसके बाद, पीएम मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर विवाद शुरू हो गया.
कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल पर पीएम मोदी की डिग्री सर्टिफिकेट मांगने पर 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और 1983 में गुजरात यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. पार्टी ने 2016 में डिग्रियां शेयर भी की थीं.
हालांकि, कई विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया यूजर्स ने डिग्रियों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने वायरल फोटो को रिवर्स इमेज सर्च किया और साथ में केएस शास्त्री से जुड़ी कीवर्ड्स की मदद भी ली. इससे हमें VNSGU की वेबसाइट पर "Incumbency Chart of Vice-Chancellor" सेक्शन पर अपलोड की गई यही तस्वीर मिली.
पेज के मुताबिक, शास्त्री 22 अगस्त 1980 से 13 जुलाई 1981 तक VNGSU के कुलपति थे.
हमने कीवर्ड सर्च के दौरान गुजरात यूनिवर्सिटी से जुड़े कीवर्ड जोड़े. इससे हमें यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई गुजरात यूनिवर्सिटी के कुलपतियों की लिस्ट मिली.
वेबसाइट में शास्त्री को 1981 से 1987 तक कुलपति के तौर पर लिस्ट किया गया है.
यहां से पता चलता है कि शास्त्री 1983 में गुजरात यूनिवर्सिटी के कुलपति थे.
कौन हैं केएस शास्त्री?:
हमें 24 नवंबर 2023 को Times of India पर पब्लिश एक रिपोर्ट मिली, जिसका टाइटल था, “Arrest a Modi conspiracy: Shastri”.
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व कुलपति और उनके बेटे पर अवैध ''शुल्क वृद्धि'' का आरोप लगा था. इसके बाद भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
शास्त्री ने दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी के पीछे गुजरात में तत्कालीन मोदी सरकार का हाथ था.
हमें एक शिक्षक बैठक के दौरान शास्त्री के साथ 2012 में दुर्व्यवहार से जुड़ी रिपोर्ट भी मिलीं.
शास्त्री 2016 से सोम ललित एजूकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन की ''सलाहकार समिति'' के सदस्यों में से एक थे.
इससे पता चलता है कि शास्त्री का निधन 1981 में नहीं हुआ.
निष्कर्ष: साफ है कि पीएम मोदी की पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री में जिस कुलपति के हस्ताक्षर दिख रहे हैं, उनका निधन 1981 में नहीं हुआ.
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