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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार, 2 सितंबर को कहा कि 2014 में पीएम मोदी के सत्ता पर आने के बाद से जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ है.
केवड़िया में सरदार पटेल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में बोलने के दौरान, सिंह ने कहा कि केंद्र में बीजेपी सरकार के उठाए गए कदमों से आतंकवादियों में डर पैदा करने में कामयाबी मिली है.
सिंह ने बड़े आतंकी हमलों पर जोर दिया, लेकिन उन्होंने जो बयान दिया वो इन बातों के आधार पर भ्रामक है:
सरकार स्पष्ट रूप से किसी भी आतंकी हमले को 'बड़ा' या 'मामूली' के रूप में परिभाषित नहीं करती है. हालांकि, इसने 2018 में संसद में भीतरी इलाके के संदर्भ में 'बड़ा' शब्द का इस्तेमाल किया है.
23 मार्च 2021 को संसद में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के एक जवाब के अनुसार, भारत के भीतरी इलाकों में छह आतंकवादी हमले हुए हैं.
भारतीय रक्षा मंत्रालय आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों को इन चार कैटेगरी में बांटता है:
जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद (J&K)
नॉर्थ ईस्ट में उग्रवाद
कुछ राज्यों में वामपंथी उग्रवाद (LWE)
भीतरी इलाकों में आतंकवाद (बाकी देश)
लोकसभा में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की प्रतिक्रिया के मुताबिक, देश के भीतरी इलाकों में 2014 से 2021 के बीच आतंकवादी गतिविधियों की 6 घटनाएं हुई है
सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, इन हमलों में 11 सुरक्षाकर्मी और 11 नागरिकों की जान चली गई.
हालांकि, गृह मंत्रालय (MHA) या रक्षा मंत्रालय ये साफ तौर पर नहीं बताता कि ''बड़ा'' हमला क्या होता है. भारत के पूर्व गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने संसद को सूचित किया था कि 2014-17 के बीच दो ''बड़े'' आतंकवादी हमले हुए थे, एक 2015 और एक 2016 में.
दरअसल, 2015 में केंद्रीय गृहमंत्री रहे सिंह ने खुद पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुए आतंकी हमले पर बयान जारी किया था.
हमें मार्च 2020 में रेड्डी की ओर से दी गई एक प्रतिक्रिया भी मिली, जिसमें उन्होंने कहा था कि "पिछले तीन सालों के दौरान देश के भीतरी इलाकों में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ, सिवाय एक ग्रेनेड हमले के जो 18 नवंबर 2018 को हुआ था. ये हमला अदलीवाल गांव, पीएस राजासांसी, अमृतसर में प्रार्थना कक्ष" में हुआ था.
संसद में सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अलावा, न्यूज रिपोर्ट्स पर नजर डालने पर इस तरह के हमलों की घटनाएं दिखती हैं.
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) पार्टी, अपने सभी संगठनों और फ्रंट संगठनों के साथ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकवादी संगठनों की अनुसूची में शामिल है. और 2014 से हुए कई हमलों, (खासकर छत्तीसगढ़ में) के लिए जिम्मेदार है.
सबसे हाल में जो हमला हुआ वो अप्रैल 2021 में हुआ था, जिसमें 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए. अप्रैल 2017 में, माओवादियों ने सुकमा जिले में 25 CRPF के जवानों की हत्या कर दी और सात घायल हो गए. मार्च 2018 में, सुकमा में नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें CRPF के नौ जवान शहीद हो गए थे.
कुछ अन्य आतंकी हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा जनवरी 2016 का पठानकोट हमला और 2017 में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट शामिल हैं, जिसे कथित तौर पर ISIS आतंकवादियों ने किया था.
साउथ एशियन टेररिजम पोर्टल (SATP) एक गैर-सरकारी समूह है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखता है. ये समूह नागरिक या सैन्य, तीन या तीन से ज्यादा लोगों की मौत को बड़े आतंकी हमले के रूप में परिभाषित करता है.
SATP का डेटा मंत्रालय के उपलब्ध आंकड़ों के साथ-साथ मीडिया रिपोर्टों से लिया जाता है.
SATP के अनुसार, 2014 से अब तक 547 बड़ी घटनाएं हुई हैं जिनमें 660 सुरक्षा बल के जवान मारे गए हैं.
SATP में "माओवादी उग्रवाद" समूहों की आतंकी गतिविधियां भी शामिल हैं. आंकड़ों के अनुसार, अकेले छत्तीसगढ़ में 87 बड़ी आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें से ज्यादातर को सीपीआई-माओवादी समूह ने अंजाम दिया.
सिंह के बड़े आतंकी हमले नहीं होने के दावे को सरकार के डेटा का सपोर्ट नहीं मिलता दिख रहा है यानी सरकारी आंकड़ों और सिंह के बयान में अंतर है. लेकिन, हां SATP के आंकड़ों के मुताबिक 2014 के बाद से आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की संख्या में कमी आई है.
क्विंट ने रक्षा मंत्री के ऑफिस में संपर्क किया है और सिंह के बयानों पर स्पष्टीकरण मांगा है. जवाब का इंतजार है. प्रतिक्रिया मिलने पर इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.
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