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रामदेव की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक फोटो शेयर की जा रही है जिसमें दावा किया गया है कि योग गुरु कोरोनावायरस से इन्फेक्ट हो गए हैं. इसी पोस्ट में आगे दावा किया गया कि दिल्ली के एम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि रामदेव का इलाज सिर्फ गाय के मूत्र और गोबर से हो सकता है.
पोस्ट में योग गुरु रामदेव के बीमार अवस्था वाली फोटो के साथ कैप्शन लिखा है- “करोना वायरस की चपेट में आए बाबा रामदेव .परिजन दिल्ली एम्स लेकर पहुंचे इलाज के थोड़ी देर बाद डॉक्टरों ने कहा इनका इलाज असंभव है . इनको किसी गाय की गौशाला में ले जाओ और वहीं इनको गोबर खिलाओ और मूत्र पिलाओ इनके इलाज का यही एकमात्र जरिया बचा है शायद जान बच जाए .”
इस पोस्ट को 600 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. कई और लोगों ने भी इसी दावे के साथ रामदेव का फोटो शेयर किया है.
गलत.
योग गुरु रामदेव की 2011 साल की पुरानी फोटो गलत कैप्शन के साथ शेयर की जा रही है. ये फोटो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में तब ली गई थी, जब योग गुरु रामदेव ने अपना 9 दिन का उपवास तोड़ा था. वो काला धन वापस लाए जाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून लाए जाने को लेकर भूख हड़ताल पर थे.
इसके पहले ही फिट हिंदी ने गोमूत्र और गोबर से कोरोनावायरस ठीक होने के दावे की पड़ताल की है. कोरोनावायरस से निपटने के लिए गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल वाले बयानों पर आर्टेमिस हॉस्पिटल में मेडिकल सर्विसेज के चीफ और चेयरपर्सन डॉ सुमित रे ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों पर कुछ नहीं कहा जा सकता है.
वहीं आयुर्वेद ग्रोथ, निरोगस्ट्रीट की वाइस प्रेसिडेंट डॉ पूजा कोहली ने बताया कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में गोमूत्र समेत आठ जानवरों के मूत्र का जिक्र जरूर है. लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के मामले में ये उपयोगी होगा ये कहना मुश्किल है क्योंकि कोविड-19 नई बीमारी है और इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है.
इस फोटो का रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें पता चला कि योग गुरु रामदेव की ये फोटो पुरानी है और पोस्ट के कैप्शन का इससे कोई लेना देना नहीं है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक ये तस्वीर जून 2011 की है. फोटो देहरादून में तब ली गई थी, जब योग गुरु रामदेव ने अपना 9 दिन का उपवास तोड़ा था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में भी यही पता चलता है कि ये तस्वीर 2011 की है.
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