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सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि फोटो में दिख रहे लोग असम में "अवैध प्रवासी" हैं. साथ ही, गृहमंत्री Amit Shah के हवाले से लिखा गया है कि भारत को इन लोगों से छुटकारा पाना चाहिए क्योंकि ये लोग राष्ट्र के लिए खतरा हैं.
हालांकि हमने पाया कि ये फोटो 2017 की है, जिसमें Bangladesh में फंसे वो Rohingya मुस्लिम दिख रहे हैं जो म्यांमार में हुई हिंसा और उत्पीड़न की वजह से भाग कर बांग्लादेश आ गए थे.
इसके अलावा ट्वीट में जो कोट इस्तेमाल किया गया है वो 2018 का है. अमित शाह ने 2018 के राजस्थान चुनाव कैंपेन के दौरान ये बोला था.
बीजेपी नेता और उत्तरी दिल्ली के पूर्व मेयर रविंदर गुप्ता ने ये फोटो शेयर कर ये दावा किया है कि ये फोटो असम की है.
फोटो में ''#घुसपैठियों_से_असम_मुक्त_हो'' हैशटैग का इस्तेमाल किया गया है.
फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, हमें ये फोटो Outlook की एक फोटो स्टोरी में मिली.
फोटो के लिए एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को क्रेडिट दिया गया है. हमने आर्काइव में जाकर देखा और पाया ये फोटो 2017 में पब्लिश की गई थी.
फोटो के कैप्शन में लिखा गया था, ''रोहिंग्या मुसलमान हाल में ही म्यांमार से बांग्लादेश आए हैं. उन्हें बांग्लादेश सीमा रक्षक सैनिकों ने बांग्लादेश के पालोंग खली में रिफ्यूजी कैंप की ओर बढ़ने से रोक दिया है. इसलिए, वो खुले में ही एक रात बिताने के बाद, एक नदी के किनारे आराम कर रहे हैं. मंगलवार, 17 अक्टूबर, 2017''.
इसके अलावा, फोटो के साथ जो कोट शेयर किया जा रहा है, वो अमित शाह का राजस्थान में दिया गया बयान है, जो उन्होंने 2018 में दिया था. उन्होंने राजस्थान के पाली में ओबीसी सम्मेलन की एक सभा को संबोधित करते हुए ये बोला था.
इन लाइनों को वीडियो के 35 मिनट 8 सेकंड से लेकर 35 मिनट 40वें सेकंड तक सुना जा सकता है.
मतलब साफ है, बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की एक पुरानी फोटो को इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये फोटो असम के अवैध प्रवासियों की है.
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