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वीडियो एडिटर: पुर्णेंदू प्रीतम/अभिषेक शर्मा
सीपीआई नेता एनी राजा की फोटो का इस्तेमाल कर उन्हें जेएनयू का सबसे बुजुर्ग छात्र बताना
और फिर ये बोलना कि जेएनयू के मुफ्तखोर छात्र हॉस्टल के लिए सिर्फ 10 रुपये फीस देते हैं.
जेएनयू में हॉस्टल मैन्यूअल के नए ड्राफ्ट को लेकर जब से हंगामा मचा है, तब से ऐसे पोस्ट इंटरनेट पर खूब दिख रहे हैं.
ये बिना पड़ताल के फॉर्वर्ड किए गए मैसेज सिर्फ जेएनयू छात्रों की छवि और उनके आंदोलन को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं.
करुणा गोपाल खुद को बीजेपी नेशनल मेनिफेस्टो की सब कमेटी की सदस्य बताती हैं. उन्होंने एक फोटो ट्वीट किया. इसमें एक महिला ने कंडोम से अपने बालों को बांधा हुआ था. करुणा गोपाल ने इसे जेएनयू स्टूडेंट बताया.
लेकिन जो दावा उन्होंने अपने ट्वीट में किया है, वो गलत है. वेबकूफ टीम की तफ्तीश में पता चला है कि ये एक पॉपुलर मीम है जो 2016 से इस्तेमाल हो रहा है.
सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो केरल के रहने वाले मोइनुद्दीन 47 साल के जेएनयू छात्र हैं और वो 1989 से यूनिवर्सिटी में हैं. अब सच क्या है, ये आप उनसे ही सुनिए
लेकिन झूठी जानकारियां यहीं नहीं रुकती. CPI की नेता एनी राजा का एक फोटो खूब वायरल हो रहा है और उन्हें JNU का सबसे बुजुर्ग छात्र बताया जा रहा है. असल में ये फोटो सीजेआई सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ विरोध के वक्त का है.
सबसे पहले तो बिना जांच के कोई भी पोस्ट फोटो या मैसेज फैलाया जाता है और जब वो लोगों तक पहुंचने लगता है तो उन्हें सच बताकर फॉरवर्ड किया जाता है.
एक पोस्ट में 23 साल की छात्र को JNU की 43 साल की छात्र बताया जा रहा है. हमने उनसे बात की तो उसने बताया कि वो उसका नाम सांभवी सिद्धि है और वो जेएनयू से फ्रेंच में मास्टर्स कर रही हैं.
इसके कई तरीके हैं जिनसे आप ये जान सकते हैं कि कोई पोस्ट, वीडियो और कोई खबर फेक है या नहीं. लेकिन सबसे आसान तरीका ये है कि आप इसके सोर्स को पहचानें. क्योंकि फेक न्यूज सिर्फ गलत जानकारी भर नहीं है. ये बहुत खतरनाक भी है.
इसलिए अगली बार कोई बिना पड़ताल के कोई जानकारी आप तक पहुंचे तो उसे फॉरवर्ड करने से पहले एक-दो बार जरूर सोचें. उस सूचना की सच्चाई जानने की कोशिश करें और अगर सच्चाई तक पहुंचना मुश्किल लग रहा है तो आप उसे हमें भेजें और हम उसे आपके लिए उसकी पड़ताल करेंगे !!!!
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