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आगामी 2022 उत्तर प्रदेश चुनावों (UP Elections) से पहले, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने राज्य में स्कूलों की स्थिति की तुलना करने के लिए 2017 (यूपी चुनाव) से पहले और बाद की दो फोटो कोलाज शेयर किए हैं.
पहला फोटो कोलाज 2017 से पहले का बताया गया है, जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी. ये फोटो कोलाज स्कूलों की बदतर स्थिति दिखाता है. वहीं दूसरी कोलाज 2017 के बाद का यानी सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के दौरान का बताया जा रहा है. दूसरे कोलाज में स्टूडेंट्स एस्ट्रोनॉमी की वर्कशॉप करते नजर आ रहे हैं.
हालांकि, हमने पाया कि पहले कोलाज में इस्तेमाल की गई तीनों तस्वीरें, जिन्हें समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान यानी 2017 से पहले का बताया जा रहा है वो योगी आदित्यनाथ के शासन के दौरान की ही हैं. फोटो में दिखाए गए सभी स्कूल यूपी के अलग-अलग जिलों के हैं जिन्हें या तो बंद या बाढ़ प्रभावित दिखाया गया है.
इस फोटो का संबित पात्रा ने 4 जनवरी को शेयर कर लिखा, ''फर्क साफ है!"
संबित के फेसबुक पोस्ट का आर्काइव आप यहां देख सकते हैं. इसे स्टोरी लिखते समय तक 144 से ज्यादा बार शेयर और 5,000 से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं.
इस फोटो को इसी दावे के साथ दूसरे वेरिफाइड हैंडल, जैसे बीजेपी दिल्ली के प्रवक्ता नवीन कमुरा जिंदल (यहां), एमपी के बीजेपी उपाध्यक्ष जीतू जिराती (यहां) के साथ-साथ यूपी के तरबगंज से विधायक प्रेम नारायण पांडे (यहां) ने भी शेयर किया है.
ऐसे ही और पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
हमने पाया कि '2017 से पहले' वाले कोलाज की तीनों तस्वीरें सीएम योगी आदित्यनाथ के शासन के दौरान की हैं. इन सभी तस्वीरों को एक-एक करके देखते हैं.
हमने तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें हिंदी न्यूजपेपर Amar Ujala की वेबसाइट पर 7 जनवरी 2021 को पब्लिश एक आर्टिकल मिला.
हमें इस आर्टिकल में यही फोटो मिली, जिसके कैप्शन में लिखा था, ''जफरपुर गांव के स्कूल का जर्जर पड़ा भवन''.
हमने आर्टिकल के पेज सोर्स का भी निरीक्षण किया और पाया कि ये उसी तारीख यानी 7 जनवरी 2021 को पब्लिश और मॉडिफाई किया गया था.
इस फोटो में, नीचे की ओर एक टाइमस्टैंप देखा जा सकता है जिस पर '8 अगस्त 2018, 10:25' लिखा हुआ है.
हमने गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया और हमें यूपी के एक न्यूज पोर्टल 'Uttar Pradesh.org' की वेबसाइट पर ये खबर मिली.
आर्टिकल का टाइटल था, 'चित्रकूट: प्राथमिक विद्यालय में भरा पानी, बच्चो सहित शिक्षकों को हो रही मुश्किलें'. ये स्टोरी 2018 में पब्लिश हुई थी.
फोटो को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 'Newsadda' नाम की एक वेबसाइट पर 17 दिसंबर 2020 को पब्लिश एक रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के कुशीनगर जिले के सुकरौली में शिक्षकों की उपस्थिति न होने की वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया. और खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने अनुपस्थित शिक्षकों का वेतन काटने की भी चेतावनी दी थी.
'2017 के बाद योगी सरकार के दौरान' टाइटल वाले कोलाज में इस्तेमाल की गई तीनों तस्वीरें, हमें आर्यन मिश्रा नाम के एक यूजर के ट्विटर थ्रेड में मिलीं. यूजर के बायो में लिखा था कि वो एक 'शौकिया खगोलशास्त्री' हैं.
30 दिसंबर 2021 के पोस्ट में यूजर ने लिखा कि यूपी के बुलंदशहर जिले के एक सरकारी स्कूल में साइंस लैब स्थापित की गई है.
क्विंट से बातचीत में दिल्ली स्थित स्टार्ट-अप Spark Astronomy के को-फाउंडर आर्यन मिश्रा ने बताया कि ये साइंस लैब बुलंदशहर में है और उनकी कंपनी ने जिले में 100 ऐसी लैब स्थापित की हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वो किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंद्ध नहीं हैं.
उन्होंने हमारे साथ एक यूट्यूब वीडियो भी शेयर किया जिसमें बुलंदशहर जिले में साइंस लैब को दिखाया गया है.
हमें Print पर 2019 का एक आर्टिकल भी मिला जिसमें मिश्रा और उनके स्टार्ट-अप वेंचर Spark Astronomy के बारे में बताया गया था.
मतलब साफ है कि बीजेपी स्पोक्सपर्सन संबित पात्रा ने योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान की स्कूलों की तस्वीरें इस झूठे दावे से शेयर कीं कि ये खराब स्थिति के स्कूल समाजवादी पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान के हैं.
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