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पैसे लेती महिलाओं का ये वीडियो शाहीन बाग का नहीं है, पूरा सच जानिए

पुराना मुस्तफाबाद के एक वीडियो को शाहीन बाग का बताकर शेयर किया जा रहा है

दिव्या चंद्रा
वेबकूफ
Updated:
पुराना मुस्तफाबाद के एक वीडियो को शाहीन बाग का बताकर शेयर किया जा रहा है
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पुराना मुस्तफाबाद के एक वीडियो को शाहीन बाग का बताकर शेयर किया जा रहा है
(फोटो: श्रुति माथुर/क्विंट हिंदी)

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नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली में भड़की हिंसा के बीच, कई अनवेरिफाइड मैसेज और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए. ऐसा ही एक वीडियो फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में लाइन में खड़ी महिलाएं पैसे लेते देखी जा रही हैं. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ काफी शेयर किया जा रहा है कि ये घटना शाहीन बाग की है, जहां पिछले दो महीने से नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है.

हालांकि, द क्विंट कि वेबकूफ टीम ने पाया कि ये वीडियो न शाहीन बाग का है, और न ही महिलाओं को प्रदर्शन के लिए पैसे दिए जा रहे हैं.

हालांकि, द क्विंट कि वेबकूफ टीम ने पाया कि ये वीडियो न शाहीन बाग का है, और न ही महिलाओं को प्रदर्शन के लिए पैसे दिए जा रहे हैं.

(फोटो: ट्विटर)

मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने भी इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया.

(फोटो: ट्विटर)
(फोटो: ट्विटर)
(फोटो: ट्विटर)
(फोटो: ट्विटर)

फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी ये वीडियो शेयर हुआ.

जांच करने के बाद, हमने पाया कि ये वीडियो नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के पुराने मुस्तफाबाद का है. शिव विहार में हिंसा के बाद इस इलाके में आईं महिलाओं को राहत सामग्री दी जा रही है. तो पैसे की बात कहां से आई?

इन दावों की एक-एक कर हमने की जांच-

1. शाहीन बाग नहीं, बल्कि पुराना मुस्तफाबाद

इस वीडियो को ऑनलाइन सर्च करने के बाद, हमें द इंडियन एक्सप्रेस की एक स्टोरी मिली, जो 1 मार्च, 2020 को पब्लिश हुई थी. इस स्टोरी का टाइटल था, 'दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में, खाने और राशन के लिए लंबी लाइन, लोगों ने दूसरों के लिए खोले किचन के दरवाजे'. हालांकि ये स्टोरी उस इलाके की नहीं थी, लेकिन रिपोर्टर ने हमें उन लोगों से मिलवाया, जो दिल्ली हिंसा के पीड़ितों की मदद कर रहे हैं.

राहत बचाव का काम कर रहे शख्स ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि वीडियो में दिख रही जगह पुराना मुस्तफाबाद है. हमें चेन्नई के सोशल एक्टिविस्ट चंद्र मोहन का भी एक वीडियो मिला, जो उस जगह गए थे.

मोहन ने हमें बताया कि ये जगह पुराना मुस्तफाबाद के बाबू नगर इलाके की गली नंबर 9 है.

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द क्विंट भी वहां पहुंचा और हम ये कंफर्म कर सकते हैं कि वीडियो पुराना मुस्तफाबाद की गली नंबर 9 है, न कि शाहीन बाग, जैसा की वीडियो में दावा किया गया था. हमें कई समानताएं मिलीं, जिससे ये साफ होता है कि ये वीडियो पुराना मुस्तफाबाद का है, न कि शाहीन बाग का.

(फोटो: यूट्यूब/क्विंट हिंदी)

हमने वीडियो में दिखने वाली दीवार और हेलमेट को भी मैच किया.

(फोटो: यूट्यूब/क्विंट हिंदी)
(फोटो: यूट्यूब/क्विंट हिंदी)

वहीं, पुराना मुस्तफाबाग शाहीन बाग से करीब 30 किलोमीटर दूर है.

(सोर्स: गूगल मैप्स)

2. क्या महिलाओं को प्रदर्शन के लिए मिले पैसे?

हमने पुराना मुस्तफाबाद के स्थानीय कारोबारी शाहजाद मलिक से भी बात की, जिन्हें वायरल वीडियो में पैसे बांटते देखा जा सकता है. जब उनसे वीडियो को लेकर सवाल किया गया, तो मलिक ने हमें बताया कि उन्होंने शिव विहार से आई उन महिलाओं को पैसे दिए, जिनके घर दिल्ली में हुई हिंसा में या तो जला दिए गए, या जिनपर हमला हुआ.

‘जामिया से राहत का समान आया था और हमने इसके बारे में घोषणा की. कई महिलाएं समान लेने आईं. लेकिन जब समान खत्म हो गया, तो कुछ महिलाएं बच गई थीं. तो मैंने उन्हें 500 रुपये दिए. मुझे नहीं मालूम था कि उनकी मदद के लिए किया गया ये काम इस तरह से उल्टा पड़ेगा.’
शाहजाद मलिक

मलिक उस घर के बाहर रहता है जहां राहत सामग्री खत्म होने के बाद वीडियो शूट किया गया था और उसने पैसे बांटे थे.

(फोटो:दिव्या चंद्रा/क्विंट हिंदी)

हमने सायरा से भी बात की, जो उसी इलाके में रहती हैं और उन्होंने ही ये वीडियो शूट किया था. सायरा मलिक के घर में फर्स्ट फ्लोर पर रहती हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये घटना 28 फरवरी की है और वायरल वीडियो उन्होंने ही शूट किया था.

उन्होंने बताया, 'जब राशन खत्म हो गया, तो कई महिलाएं रोने लगीं. तो शाहजाद भाई को दुख हुआ और उन्होंने सभी को 500 रुपये बांटे.'

(फोटो: यूट्यूब/दिव्या चंद्रा)

इससे पहले भी दिल्ली हिंसा को लेकर कई फेक न्यूज शेयर की गई. क्विंट की वेबकूफ टीम ने ऐसी कई फेक न्यूज की सच्चाई पता लगाई. पढ़िए:

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Published: 03 Mar 2020,10:43 PM IST

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