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फेसबुक पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक कार को भीड़ घेरे हुए है और उसका दरवाजा जबरन खोलने की कोशिश की जा रही है. उसके बाद गाड़ी आगे जाकर रुकती है और उसमें से एक शख्स निकलकर भागता दिख रहा है. ये वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि प्रोटेस्ट करने वाले किसानों ने उत्तराखंड में एक बीजेपी नेता की कार को घेर लिया था.
हालांकि, हमने पाया कि वीडियो में दिखने वाली भीड़ किसानों की नहीं है. वीडियो में जो भीड़ दिख रही है वो स्थानीय लोग, तीर्थ पुरोहित या पुजारी हैं. जो उत्तराखंड के नए चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट एक्ट के खिलाफ विरोध कर रहे थे.
फेसबुक पर वायरल इस वीडियो को शेयर कर कैप्शन में पंजाबी में लिखा गया है, "ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਲੀਡਰ ਦੀ ਉਤਰਾਖੰਡ ਵਿੱਚ ਵੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੇ ਸਪੀਡ ਚੈੱਕ ਕੀਤੀ|"(भाजपा दे लीडर दी उत्तराखंड विच भी किसानां ने स्पीड चेक कीती)
यानी उत्तराखंड में बीजेपी नेता की कार की किसानों ने स्पीड चेक की.
हमने InVID टूल का इस्तेमाल करके वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उनमें से हर एक को रिवर्स इमेज सर्च करके देखा.
हमें News18 का एक आर्टिकल मिला, जिसमें वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही, इस आर्टिकल में ये वीडियो भी देखा जा सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी नेता की पहचान पंकज भट्ट के रूप में की गई है. साथ ही, रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि देवस्थानम एक्ट के विरोध करने के लिए ये भीड़ इकट्ठा हुई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, पंकज भट्ट प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें देख प्रदर्शनकारी नाराज हो गए और उन्हें वहां से खदेड़ दिया.
हमें Jansatta की भी एक रिपोर्ट मिली, जिसमें भी घटना से जुड़ी यही जानकारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक भट्ट को राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का करीबी माना जाता है. जिन्होंने पहले कहा था कि राज्य देवस्थानम बोर्ड के गठन पर पुनर्विचार नहीं करेगा.
हमने उखीमठ पुलिस स्टेशन के एसओ मुकेश थलेड़ी से भी संपर्क किया. जिन्होंने पुष्टि की कि ये वीडियो देवस्थानम बोर्ड से संबंधित घटना का है और इसका किसानों के प्रोटेस्ट से कोई संबंध नहीं है.
कोरोना महामारी की वजह से सरकार को चार धाम यात्रा रद्द करनी पड़ी है. इन चार धामों में से एक बद्रीनाथ है, जो उत्तराखंड में है. इस वजह से इस इलाके में काफी लोग आते हैं और यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है.
उत्तराखंड सरकार की ओर से 2020 की शुरुआत में चार धाम देवस्थानम मैनेजमेंट एक्ट लाया गया और चार धाम देवस्थानम बोर्ड के गठन की अनुमति मिली.
इस बोर्ड का गठन तीर्थों का मैनेजमेंट और इन पवित्र स्थलों को मिलने वाले दान पर नजर रखने के लिए किया गया था.
पुजारियों और मंदिर के अन्य कार्यकर्ताओं ने बोर्ड के गठन का विरोध किया और इसे भंग करने की मांग की. उन्हें डर है कि इस क्षेत्र पर सरकारी नियंत्रण होने से उनकी स्वतंत्रता और आय प्रभावित होगी. जो पहले से ही महामारी की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हो चुकी है.
मतलब साफ है, देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर उत्तराखंड में कुछ स्थानीय लोगों और पुजारियों ने बीजेपी नेता की कार को घेर लिया था. ये वीडियो उस घटना का है, लेकिन इसे इस गलत दावे से शेयर किया जा रहा है कि बीजेपी लीडर की कार को रोकने वाले लोग किसान हैं.
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