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(वीडियो देखने से पहले आपसे एक अपील है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहों को रोकने के लिए हम एक विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर संसाधनों का इस्तेमाल होता है. हम ये काम जारी रख सकें इसके लिए जरूरी है कि आप इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें. आपके सपोर्ट से ही हम वो जानकारी आप तक पहुंचा पाएंगे जो बेहद जरूरी हैं.
धन्यवाद - टीम वेबकूफ)
प्रोड्यूसर- अनुष्का राजेश
मोशन ग्राफिक्स - पुनीत भाटिया
सीनियर एडिटर- वैशाली सूद
आवाज- फबेहा सय्यद
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए आपने भले ही वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए हों, लेकिन ध्यान रहे कि वैक्सीनेशन के बीच भी कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. जाहिर है आपने भले ही वैक्सीन लगा ली हो, लेकिन संक्रमण पर काबू पाने के लिए मास्क लगाना अब भी उतना ही जरूरी है, जितना पहले था.
अब मास्क का महत्व आपको पता है, लेकिन जब बाजार में कई तरह के मास्क हों तब ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौनसा मास्क बेहतर होगा? इसी सवाल का जवाब आपको इस वीडियो में मिलेगा.
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस वक्त तीन तरह के मास्क इस्तेमाल हो रहे हैं. ये हैं रेस्पिरेटरी/N95 मास्क, सर्जिकल मास्क और क्लॉथ मास्क यानी कपड़े वाला मास्क. आप भी इनमें से कोई एक ही इस्तेमाल कर रहे होंगे. सवाल ये उठता है कि इनमें से कौनसा मास्क बेहतर है? एक-एक कर समझते हैं.
जाहिर है ये मास्क सबसे आसानी से उपलब्ध है और सस्ता भी है. कोरोना महामारी की शुरुआत में जब बाजार में N95 और सर्जिकल मास्कों की कमी हो गई थी, तब कपड़े का मास्क पहनने की ही सलाह दी जा रही थी.
लेकिन, धीरे-धीरे वायरस के संक्रमण पर शोध होने लगे और सामने आया कि कोरोनावायरस हवा में भी फैलता है. एक्सपर्ट के मुताबिक कपड़े वाला मास्क संक्रमण से आपको बचाने में काफी नहीं है. खासकर ओमिक्रॉन वैरिएंट आने के बाद तो इसे किसी भी सूरत में पूरी तरह कारगर नहीं माना जा सकता.
https://fit.thequint.com/coronavirus/vaccine-treatment/types-of-covid-19-masks-protection-cloth-surgical-n95-kf94-kn95#read-more
आमतौर पर सर्जिकल मास्क का ज्यादातर इस्तेमाल हेल्थकेयर वर्कर्स ही करते हैं. लेकिन, ये सभी के लिए रिकमेंड नहीं किए जाते.
भले ही सर्जिकल मास्क कपड़े वाले मास्क से ज्यादा सुरक्षा देता है, लेकिन इसका इस्तेमाल एक ही बार यानी एक डिस्पोजेबल मास्क के रूप में ही किया जा सकता है.
इसके अलावा सर्जिकल मास्क को हवा में मौजूद बड़े पार्टिकल्स को रोकने के लिए तैयार किया जाता है, उन एयर ड्रॉप्लेट्स को रोकने में ये पूरी तरह कारगर नहीं है, जिससे आप संक्रमित हो सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनकी फिटिंग भी लूज हो जाती है और ये ढीले हो जाते हैं.
भारत में सबसे पहले आम लोगों को N95 मास्क पहनने की सलाह प्रदूषण से बचने के लिए दी गई थी. क्योंकि ये बारीक से बारीक पार्टिकल को भी रोकने में कारगर होता है. कोरोना से बचने में भी इस मास्क को सबसे ज्यादा कारगर माना जा रहा है, खासकर ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले में.
लेकिन, प्रदूषण से बचने के लिए बनाए गए उस N95 मास्क का इस्तेमाल कोरोना काल में बिल्कुल नहीं करना है, जिसमें सांस छोड़ने के लिए वॉल्व लगा होता है. क्योंकि इस वॉल्व के जरिए अगर आप संक्रमित हैं, तो किसी और को संक्रमित कर सकते हैं. ये भी ध्यान रखना है कि जो N95 मास्क आप खरीद रहे हैं, वो ISI प्रमाणित है या नहीं.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मास्क पहनने के तरीके को लेकर गाइडलाइन जारी की है. इसके मुताबिक
मरीज को हमेशा ट्रिपल लेयर मेडिकल मास्क पहनना है
मास्क के गीले होने पर 8 घंटे बाद इसे नष्ट कर दें
मरीज के पास जब देखभाल करने वाला आए, उस वक्त दोनों को N95 मास्क पहनना है.
मास्क को नष्ट करते वक्त उसके टुकड़े कर दें, कम से कम 72 घंटे इन्हें पेपर बैग में रखें.
(ये वीडियो क्विंट के COVID-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और असम राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है. हम इस काम को जारी रख सकें, इसके लिए हमें आपका सपोर्ट चाहिए. हमारे इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने के लिए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं)
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