भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात ये हैं कि पिछले 24 घंटों में 2.17 लाख से ज्यादा नए केस सामने आए हैं. कोविड के आंकड़े रोजाना रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. ऐसे में मेडिकल जर्नल 'द लांसेट' में छपे एक नए आकलन में इस बात के 'पक्के सबूत' मिले हैं कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से हवा के जरिए फैलता है.
यूके, अमेरिका, कनाडा के 6 एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जो पब्लिक हेल्थ से जुड़े कदम उठाए जा रहे हैं, उनमें वायरस को मुख्य रूप से एयरबोर्न की तरह नहीं माना जा रहा, उनकी वजह से लोग असुरक्षित रह सकते हैं और वायरस फैल सकता है.
“एयरबोर्न ट्रांसमिशन के समर्थन में सबूत बहुत ज्यादा हैं और बड़ी ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन के समर्थन में सबूत लगभग न के बराबर. WHO और अन्य पब्लिक हेल्थ एजेंसियों को ट्रांसमिशन के अपने डिस्क्रिप्शन में तुरंत साइंटिफिक सबूत जोड़ने चाहिए ताकि संक्रमण रोकने के लिए एयरबोर्न ट्रांसमिशन पर फोकस रहे.”जोस-लुइस जिमेनेज, कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एन्वॉयरन्मेंटल साइंसेज (CIRES) के केमिस्ट
एक्सपर्ट्स की टीम ने क्या पाया?
एक्सपर्ट्स की टीम ने वायरस के हवा से फैलने को लेकर कई सबूत पेश किए हैं. उनकी सबूतों की लिस्ट में टॉप पर Skagit Choir ऑउटब्रेक जैसे सुपर-स्प्रेडर इवेंट हैं. इस इवेंट में एक संक्रमित केस से 53 लोग संक्रमित हुए थे.
स्टडीज से पुष्टि हुई है कि ऐसे इवेंट का स्पष्टीकरण करीबी संपर्क या सतह या चीजों को छूने से नहीं दिया जा सकता है.
इसके अलावा SARS-CoV-2 का ट्रांसमिशन रेट बाहर की बजाय अंदर ज्यादा है और ट्रांसमिशन इनडोर वेंटिलेशन से काफी कम हो जाता है.
टीम ने क्या सबूत दिए?
टीम ने उस रिसर्च पर जोर दिया, जिसमें अनुमान लगाया गया कि जो लोग खांस और छींक नहीं रहे हैं, उनसे साइलेंट ट्रांसमिशन (बिना लक्षण या लक्षण दिखने से पहले की स्थिति में) कुल ट्रांसमिशन का 40 फीसदी तक है.
आकलन के मुताबिक, दुनियाभर में कोविड संक्रमण फैलने में सबसे बड़ी भूमिका साइलेंट ट्रांसमिशन की है और ये 'मुख्य रूप से एयरबोर्न ट्रांसमिशन के रास्ते को समर्थन देता है.'
रिसर्चर्स ने उन लोगों के बीच वायरस ट्रांसमिशन का भी केस रखा, जो होटलों के करीबी कमरों में थे और कभी एक-दूसरे की मौजूदगी में नहीं आए.
टीम को इस मामले में कोई सबूत नहीं मिला कि वायरस बड़ी ड्रॉप्लेट्स से आसानी से फैल जाता है, जो कि हवा से जल्दी गिर जाती हैं और सतहों को संक्रमित करती हैं.
आकलन में कहा गया कि हाथ धोने और सतहों को साफ करने का काम गैरजरूरी नहीं है लेकिन एयरबोर्न ट्रांसमिशन रोकने को ज्यादा तवज्जो मिलनी चाहिए.
एक्सपर्ट्स ने कहा कि अगर कोई वायरस एयरबोर्न है तो किसी संक्रमित व्यक्ति के सांस छोड़ने, बोलने, चिल्लाने, गाने या छींकने के समय पैदा हुए एयरोसोल को सांस के साथ अंदर लेने से संक्रमण का खतरा है. इसलिए एयरबोर्न ट्रांसमिशन को नियंत्रण करने के लिए कदम उठाने जरूरी है. इसके लिए वेंटिलेशन, एयर फिल्ट्रेशन, भीड़ को रोकने और इनडोर रहते हुए भी मास्क पहनने और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए हाई-ग्रेड PPE किट जैसे कदम उठाने होंगे.
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