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11 सितंबर, 2001 का दिन अमेरिका (America) के इतिहास में सबसे काले दिनों में से एक था. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश पर ऐसा आतंकी हमला हो जाएगा. आखिर जिन आतंकवादी हमलों ने अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया, उसके लिए आतंकियों को कैसे रिक्रूट किया गया था ? चार हवाई जहाजों को एक साथ हाईजैक करने और आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए किस तरह की ट्रेनिंग दी गयी थी?
साल 2000 की गर्मियों के दौरान ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) और वरिष्ठ अल कायदा नेताओं ने अफगानिस्तान में हाईजैकर्स को चुनना शुरू कर दिया- ऐसे आतंकी जो हवाई जहाज के कॉकपिट में धावा बोलेंगे और यात्रियों को नियंत्रित करेगें. आम मान्यता के विपरीत ये आतंकी प्रोफेशनल बिल्कुल नहीं थे.
ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका पर उसके इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले के लिए 13 हाईजैकर्स को रिक्रूट किया था (नवाफ अल हाजमी और मिहधर को छोड़कर). इन 13 हाईजैकर्स में से 12 सऊदी अरब से लाए गए थे, जबकि फैज बनिहम्मद संयुक्त अरब अमीरात से लाया गया था.
9/11 के हमलों के बाद सऊदी अरब के अधिकारियों ने 12 आतंकियों के रिश्तेदारों से मुलाकात की थी और अमेरिकी सरकार के साथ मिली जानकारी साझा की थी.
अफगानिस्तान में अलकायदा के एक ट्रेनिंग कैंप के प्रमुख के अनुसार इनमें से कुछ आतंकी अज्ञात सऊदी शेखों द्वारा चुने गए थे, जिनके अलकायदा के साथ संबंध थे.
9/11 के हमलों का मास्टरमाइंड समझे जाने वाले खालिद शेख मोहम्मद के अनुसार स्वेच्छा से सुसाइड ऑपरेशन में शामिल होने वाले मुजाहिदों को ट्रेनिंग कैंप पहुंचने पर पहले एप्लीकेशन फॉर्म भरवाया जाता था, जिसमें कई सवाल होते थे, जैसे -
तुम्हें अफगानिस्तान आने की प्रेणना कहां से मिली?
तुमने यहां कैसे यात्रा की?
तुमने हमारे बारे में कैसे सुना?
अलकायदा ने किस कारण से आकर्षित किया?
कितनी पढाई की है?
पहले कहां काम किया है?
संभावित ऑपरेटर्स से ये भी पूछा गया कि क्या वो सुसाइड मिशन में काम करने के लिए तैयार हैं? जो हां में जवाब देते थे, उनका इंटरव्यू फिर वरिष्ठ अल कायदा आतंकी लेफ्टिनेंट मुहम्मद अतेफ लेता था.
शेख मोहम्मद के अनुसार बिन लादेन नए आतंकियों का बहुत जल्दी आकलन कर सकता था. कई बार तो सब दस मिनट में और 9/11 के कई हाईजैकर्स को इस तरह से चुना गया था.
हमले के बाद अमेरिका ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने 9/11 के हमलों में इतने सारे सऊदी ऑपरेटर को चुने जाने के लिए अलग-अलग कारण बताए थे. Ramzi bin al-Shibh का तर्क था कि अलकायदा ऐसा कर सऊदी अरब और अमेरिका को आपस से उलझना चाहता था, क्योंकि उस समय दोनों के संबंध खासे मजबूत थे.
हालांकि सऊदी और यमन, दोनों जगह के आतंकी अक्सर सुसाइड मिशन के लिए स्वेच्छा से तैयार थे. लेकिन 9/11 से पहले सऊदी के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश करना आसान था. यही कारण था कि अलकायदा ने अधिकतर हाईजैकर्स सऊदी से चुने.
(अमेरिकी सरकार के 'THE 9/11 COMMISSION REPORT' के इनपुट्स पर आधारित)
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