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अफगानिस्तान (Afghanistan) की राजधानी काबुल को घेरे तालिबान (Taliban) अब पूरे देश पर कब्जा करने के करीब है. 2001 में तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल करते समय अमेरिका सहित अन्य शक्तिशाली पश्चिमी देशों ने कभी नहीं सोचा होगा कि 20 साल तक अफगानिस्तान में उनके रहने के बाद 20 दिनों में ही तालिबान वापस सत्ता पर कब्जा कर लेगा.आखिर किन नेताओं के नेतृत्व में तालिबान आज इतना मजूबत हुआ है ?
मूल रूप से तालिबान उन तथाकथित "मुजाहिदीन" लड़ाकों से निकला जिन्होंने अमेरिका के समर्थन से, 1980 के दशक में सोवियत रूस की सेना को अफगानिस्तान से खदेड़ दिया .अपने मौजूदा रूप में तालिबान 1994 में गृहयुद्ध में उभरा और 1996 तक इसने देश के अधिकांश हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया और उसने इस्लामी कानून की अपनी व्याख्या लागू कर दी.
तो कौन हैं वर्तमान में तालिबान के वो नेता जिन्होंने इसे इस कदर मजबूत बना दिया?
नाम -हैबतुल्लाह अखुनजादा
उपनाम -"वफादार के नेता"
इस्लामी कानूनी विद्वान और तालिबान का सबसे बड़ा नेता . यह तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम अधिकार रखता है.अखुनजादा ने तालिबान का नेतृत्व 2016 में अख्तर मंसूर के मरने के बाद संभाला था. अख्तर मंसूर अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था.
तालिबान में अखुनजादा के बाद मुल्ला मोहम्मद याकूब को नंबर 2 माना जाता है.तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा, याकूब तालिबान के सैन्य अभियानों की देखरेख करता है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों कि मानें तो वह अभी अफगानिस्तान के अंदर ही है.
सिराजुद्दीन हक्कानी बड़ा मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है और हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व करता है. हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख का काम करता है.FBI के अनुसार इसकी उम्र 40 के आसपास होगी.तालिबान का कहना है कि इसकी मौत हो चुकी है लेकिन अभी भी अमेरिका इसकी पुष्टि से इंकार करता है.
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान के सह-संस्थापकों में से एक है और अब तालिबान का राजनीतिक प्रमुख है.इसी हैसियत से बरादर दोहा में तालिबान की वार्ता टीम का हिस्सा है. यह मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से है और इसे 2010 में दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया था और 2018 में रिहा कर दिया.
अब्दुल हकीम हक्कानी तालिबान की वार्ता टीम का लीडर है. यह तालिबान के धार्मिक विद्वानों की शक्तिशाली परिषद का प्रमुख हुआ करता था और व्यापक रूप से माना जाता है कि इसपर अखुनजादा सबसे अधिक भरोसा करता है.
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