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अफगानिस्तान के पंजशीर (Panjshir) घाटी में तालिबान (Taliban) के विरोध का अंतिम गढ़ भी ढहने लगा है क्योंकि विरोध कर रहे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (National Resistance Front) अब समझौता और बातचीत के लिए राजी है. NRF के नेता अहमद मसूद ने कहा है कि वे बातचीत के रास्ते समाधान के लिए धार्मिक विद्वानों के प्रस्तावों का स्वागत करते हैं, ताकि तालिबान के साथ लड़ाई खत्म हो सके.
अफगानिस्तान नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (NRFA) के लीडर और 1980 के दशक में अफगानिस्तान के प्रमुख सोवियत रूस विरोधी नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने 5 अगस्त को NRFA के फेसबुक पेज पर यह घोषणा की.
अहमद मसूद ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि , "NRFA सैद्धांतिक रूप से मौजूदा समस्याओं को हल करने और लड़ाई को तत्काल समाप्त करने और बातचीत जारी रखने के लिए सहमत है."
अहमद मसूद ने कहा कि आम सहमति तक पहुँचने के लिए धार्मिक विद्वानों की उलेमा परिषद के साथ सभी पक्षों की एक बड़ी सभा हो सकती है.इससे पहले भी अफगान मीडिया ने अपने रिपोर्टों में बताया था कि धार्मिक विद्वानों ने तालिबान से पंजशीर में लड़ाई को समाप्त करने के लिए समझौता करने का आह्वान किया था.
अहमद मसूद ने लड़ाई शुरू होने से पहले तालिबान के साथ बातचीत से समझौता करने की मांग की थी. तालिबान और NRFA के बीच वार्ता के कई प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली. दोनों पक्षों ने वार्ता की विफलता के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया.
तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने रविवार, 5 सितंबर को कहा कि तालिबान बल प्रांतीय राजधानी बाजारक तक पहुंच गए हैं और बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद पर कब्जा कर लिया है.
हालांकि टोलो न्यूज ने एक सूत्र के हवाले से बताया कि फहीम दशती रविवार को हुए लड़ाई में मारे गए. दशती जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य और फेडरेशन ऑफ अफगान जर्नलिस्ट्स के सदस्य थे. फेसबुक पर एक बयान में NRFA ने लिखा
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