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अफगानिस्तान (Afghanistan) में अब कुछ भी हो सकता है. तालिबान (Taliban) राजधानी काबुल (Kabul) से महज 50 किलोमीटर दूर हैं. आधी से ज्यादा प्रांतीय राजधानी अब तालिबान के नियंत्रण में हैं. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है. और अब खबर आई है कि तालिबान ने महत्वपूर्ण उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ (Mazar-i-Sharif) पर हमला शुरू कर दिया है.
तालिबान ने दावा किया है कि उसने पिछले एक हफ्ते में एक दर्जन से ज्यादा प्रांतीय राजधानी पर कब्जा किया है. 13 अगस्त को संगठन ने उरुजगन प्रांत की राजधानी तिरिन कोट और घोर प्रांत की राजधानी फिरोज कोह पर कब्जा कर लिया.
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, एक अफगान अधिकारी ने बताया है कि तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित मजार-ए-शरीफ पर हमला शुरू कर दिया है. ये शहर पुराने वारलॉर्डस का गढ़ हुआ करता था.
बल्ख प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर अहमद फरहाद ने बताया कि तालिबान ने 14 अगस्त को मजार-ए-शरीफ पर कई दिशाओं से हमला शुरू किया.
तालिबानी हमले के खतरे के बीच एक अमेरिकी मरीन बटालियन की फोर्स काबुल पहुंच गई है. अमेरिका अपने राजनयिकों और कई अफगानों को सुरक्षित काबुल से निकालने की कोशिश में है.
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि तीन मरीन और आर्मी बटालियन का एक अगुवा दल काबुल पहुंच गया है. काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास से राजनयिकों और अफगान साथियों को बचाने के लिए जो बाइडेन प्रशासन सेना की मदद ले रहा है.
अफगानिस्तान में तालिबान जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उसने लोगों को हैरान कर दिया है. एक के बाद एक क्षेत्रीय राजधानियों पर तालिबान का नियंत्रण स्थापित होता जा रहा है. फिलहाल स्थिति स्पष्ट रूप से तालिबान के पक्ष में दिखाई दे रही है, जबकि अफगान सरकार सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है.
तालिबान अब राजधानी काबुल से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर हैं. कई देश अपने दूतावास को खाली कर रहे हैं. अमेरिका ने तालिबान से उसके दूतावास पर हमला न करने की 'अपील' की है. तालिबान राजनयिकों के रहते हमला करने से शायद बच रहा है क्योंकि ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसके खिलाफ जा सकता है.
अमेरिका 31 अगस्त तक सैन्य वापसी पूरी कर लेगा. ऐसी आशंका है कि तालिबान उससे पहले ही काबुल पर हमला कर सकता है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अनुमान लगाया कि काबुल पर कुछ हफ्तों के भीतर हमला हो सकता है और सरकार 90 दिनों के अंदर गिर सकती है.
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