advertisement
भारत और कतर समेत कई देशों ने कहा है कि अफगानिस्तान में सैन्य ताकत से बनाई गई सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी. इन देशों ने दोहा में हुई एक कॉन्फ्रेंस में तुरंत और समग्र सीजफायर की मांग उठाई. वहीं, तालिबान के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की सराहना की और साथ ही अफगानिस्तान में सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी भी दी.
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते क्षेत्रीय कब्जे के बीच कतर के दोहा में एक कॉन्फ्रेंस हुई थी. कतर के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों ने 10 अगस्त को कहा कि हिंसक तरीके से देश पर कब्जा किए जाने को मान्यता नहीं दी जाएगी.
तालिबान के तेज होते सैन्य अभियान के बीच दोहा में अफगान शांति प्रक्रिया को जारी रखने की कोशिश हो रही है. कतर ने 10 अगस्त को अमेरिका, चीन, उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, यूके, यूएन और यूरोपियन यूनियन के साथ बैठक की थी.
तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में अफगानिस्तान में भारत के निवेश की सराहना की. सुहैल ने कहा, "हम अफगान लोगों के लिए किए गए हर काम की सराहना करते हैं जैसे बांध, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और जो भी विकास, पुनर्निर्माण और आर्थिक समृद्धि के लिए किया गया है."
हालांकि, तालिबान के प्रवक्ता ने भारत को अफगानिस्तान में सेना भेजने के खिलाफ चेतावनी दी. सुहैल ने कहा, "अगर भारत सैन्य तरीके से अफगानिस्तान आता है और वहां उसकी मौजूदगी होगी तो ये उसके लिए अच्छा नहीं होगा."
सुहैल शाहीन ने भारतीय और तालिबान प्रतिनिधिमंडल के मिलने की खबरों से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि 'मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता. मेरी जानकारी के अनुसार बैठक नहीं हुई है.'
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)