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इजरायल (Israel) की सेना ने दक्षिणी लेबनान (Southern Lebanon) और गाजा पट्टी (Gaza Strip) में फिलिस्तीन (Palestine) के मिलिटेंट ग्रुप हमास (Hamas) से जुड़े ठिकानों पर हवाई हमले (Air Strikes) किए हैं. सेना ने कहा कि हमले गुरुवार को लेबनान से उत्तरी इजराइल में दागे गए 34 रॉकेटों के एक गोलाबारी का जवाब था. इजरायली सेना का कहना है कि ये गोलाबारी हमास के द्वारा की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक स्ट्राइक शुरू होने के बाद गाजा में हमास की ओर से भी रॉकेट दागे गए.
हालांकि, हमास की तरफ से रॉकेट दागने से संबंधित कोई बयान नहीं आया है. लेकिन BBC की रिपोर्ट के मुताबिक बेरुत के दौरे के वक्त संगठन के नेता इस्माइल हनियाह ने कहा कि फिलिस्तीन के नागरिक इजरायल के हमले के सामने अपने हाथ बांधकर नहीं बैठेंगे.
आइए यह जानने की कोशिश करते हैं कि ताजा विवाद क्यों शुरू हुआ, जेरूसलम- इजरायली और फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए अहम क्यों है और जेरूसलम में हुई हिंसा पूरे मिडिल ईस्ट में क्यों फैल जाती है?
पिछले कुछ दिनों से जेरुशलम शहर में स्थित अल-अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque) में दो रातों तक इजरायली पुलिस ने छापे मारे. इन छापों के दौरान मस्जिद के अंदर इजराइली सेना और फिलिस्तीनी नागरिकों के बीच टकराव हुआ. इसके बाद से इलाके में तनाव बढ़ा हुआ है.
शुक्रवार की सुबह, लेबनान से 5 किलोमीटर दूर रशीदीह फिलिस्तीनी (Rashidieh Palestinian) शरणार्थी शिविर के आसपास दो से तीन धमाके हुए.
इजराइल रक्षा बलों (IDF) ने ट्वीट किया कि उसके युद्धक विमानों ने लेबनान में "हमास से जुड़े आतंकवादी बुनियादी ढांचे" को निशाना बनाया.
ट्वीट में कहा कि IDF, हमास को लेबनान के अंदर से ऑपरेशन की छूट नहीं देगा और इलाके से निकलने वाली आग के लिए लेबनान राज्य को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक हमास ने कहा कि "संगठन शुक्रवार के भोर में लेबनान के Tyre इलाके में हुए हमले की कड़ी निंदा करता है."
Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार की देर रात वेस्ट बैंक (West Bank) इलाके में शूटिंग हमले के दौरान ब्रिटिश राष्ट्रीयता वाली दो बहनों की मौत हो गई और हमले में उनकी मां गंभीर रूप से घायल हो गई हैं.
जवाब में, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पुलिस और सेना को आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने का आदेश दिया है.
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. इसके अलावा यहूदी भी इसे अपना सबसे पवित्र स्थल मानते हैं.
इजराइल, जेरूशलेम को अपनी सशक्त राजधानी के रूप में देखता है. साल 1967 में इजराइल द्वारा कब्जा किए गए पूर्वी जेरुशलम में यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों के लिए पवित्र प्रमुख स्थलों के साथ पुराना शहर भी शामिल है.
दूसरी ओर फिलिस्तीनी नागरिक पूर्वी यरुशलम, वेस्ट बैंक और गाजा को अपना स्टेट बनाना चाहते हैं. फलस्तीन, पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी मानता है. इजराइल ने इस शहर के पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया है.
इसके बाद वो नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन यह एक लंबा प्रोसेस होता है और ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करना चाहते क्योंकि वे यहां पर इजराइल का कब्जे को मान्यता नहीं देते हैं.
AP की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल ने पूर्वी जेरुशलम में यहूदी बस्तियां बसाई हैं, जो लगभग 230,000 लोगों का घर है. इसके अलावा लगभग 360,000 फिलिस्तीनी नागरिक पूर्वी जेरुशलम में रहते हैं. इजराइल ने फिलिस्तीनी नागरिकों के इलाके में डेवलप्मेंट कर दिया है. इस वजह से यहां काफी भीड़ है और हजारों अनधिकृत घर बनाए जा रहे हैं, जो डिमोलिशन के खतरे से गुजर रहे हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और इजराइली राइट्स ग्रुप B'Tselem ने रिपोर्टों में पूर्वी यरुशलम में भेदभावपूर्ण नीतियों का हवाला देते हुए तर्क दिया है कि इजराइल रंगभेद के अंतरराष्ट्रीय अपराध का दोषी है. इजराइल उन आरोपों को खारिज करता है, और कहता है कि जेरूशलेम के निवासियों के साथ समान व्यवहार किया जाता है.
अल-अक्सा मस्जिद में हुई हिंसा को ज्यादातर मुसलमानों द्वारा आस्था पर हमले के रूप में देखा जाता है. इस वजह से पूरे इलाके में राजनीतिक गुटों और सशस्त्र समूहों के लिए यह एक अहम मुद्दा है.
अल-अक्सा मस्जिद के मुद्दे को लेकर गाजा पर शासन करने वाले फिलिस्तीनी मिलिटेंट ग्रुप हमास ने बार-बार बागी रुख अपनाया है. यह विरोध साल 2000 में एक इजरायली राजनेता की अल-अक्सा यात्रा से शुरू हुआ था.
AP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते, गाजा में फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ग्रुप और लेबनान में फिलिस्तीनी मिलिटेंट्स ने नमाजियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए इजरायल में रॉकेट दागे. कब्जे वाले वेस्ट बैंक और इजराइल के अंदर अरब समुदायों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
जॉर्डन और अन्य अरब देशों (जिनके इजराइल के साथ अच्छे संबंध हैं) ने अल-अक्सा मस्जिद में हुए ऑपरेशन की निंदा की है.
इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने भी हिंसा की निंदा की है और संयम बरतने का आह्वान करते हुए कहा है कि इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है.
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