मेंबर्स के लिए
lock close icon

Al-Zawahiri की मौत के बाद अल-कायदा अब भी जिंदा है!!

Ayman Al-Zawahiri Killed: भारत के लिए क्या है अल-कायदा चीफ अल-जवाहिरी की मौत के मायने?

अज़हर अंसार
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Al-Zawahiri Killed: अल-जवाहिरी का द एंड, अल-कायदा का द एंड?</p></div>
i

Al-Zawahiri Killed: अल-जवाहिरी का द एंड, अल-कायदा का द एंड?

(फोटो: फाइल)

advertisement

अल-कायदा का चीफ अल जवाहिरी (Al-Zawahiri Killed) मारा गया, क्या इसका मतलब ये है कि अल-कायदा (Al-Qaeda) अब खत्म हो चुका है और उसका डर खत्म हो गया है या अल कायदा कमजोर पड़ चुका है? अब अल-कायदा की क्या स्थिति है, कितने देशों में ये अभी भी एक्टिव है? कौनसे बड़े अल कायदा के लीडर अभी भी खतरा बने हुए हैं? अपने लड़ाकों की ट्रेनिंग पर ये कितना खर्च कर रहे हैं? और भारत के लिए जवाहिरी की मौत के क्या मायने हैं?

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अल-जवाहिरी की मौत और अल-कायदा का भविष्य

अमेरिका ने लादेन के राइट हैंड और 9/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड अयमान अल-जवाहिरी को अफगानिस्तान में मार गिराया है. अल-जवाहिरी की मौत आतंकी समूह अल कायदा के लिए 2011 में हुई लादेन की हत्या के बाद सबसे बड़ा झटका है. अल-कायदा के सरगना, जवाहरी को एयरस्ट्राइक में मारकर अमेरिका ने अपने इतिहास के सबसे बड़े आतंकी हमले में मारे गए हजारों लोगों की मौत का बदला ले लिया है.

अल-जवाहिरी 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल-कायदा का चीफ बन गया था. अमेरिका ने उसके सर पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम भी रखा था.

अल-कायदा का अगला लीडर कौन?

आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ पर लिखने वाले और अफगानिस्तान में 2001 और इराक में 2003 के युद्धों को कवर करने वाले जेसन बर्क के अनुसार अल-जवाहिरी की मौत के बाद अल-कायदा सरगना बनने की रेस में सबसे आगे मोहम्मद सलाह अल-दीन जैदान है. इसे सैफ उल आदिल के नाम से भी जाना जाता है. मिस्र में जन्मे 60 साल के इस चरमपंथी को लंबे समय से पश्चिम की खुफिया एजेंसियां एक सक्षम लीडर मानती हैं. माना जा रहा है कि इस समय में वह ईरान में है और उसके मूवमेंट पर अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों की नजर है.

सैफ ने अपना जीवन अबतक लगभग गुमनामी में जिया है और बहुत कम ये मिसरी कमांडर सामने आया है. इसके अलावा अल-कायदा के अगले संभावित उत्तराधिकारी की रेस में अल-कायदा के मीडिया कैंपेन के डायरेक्टर अब्द अल-रहमान अल-मघरेबी, सीरिया के एक सीनियर विचारक अबू अल-वालिद और अलकायदा से जुड़े स्थानीय संगठनों के कई नेता भी इस रेस में शामिल हैं.

अल-कायदा किन देशों में एक्टिव?

जवाहिरी की मौत के बाल अल कायदा के ग्लोबल नेटवर्क को झटका तो लगा है. लेकिन लादेन और जवाहिरी की विरासत को संभालने के लिए नए लीडर्स भी तैयार हैं. अल कायदा अभी भी कई देशों में कई फ्रेंचाइजी के रूप में एक्टिव है, जिनमें पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण एशिया और मिडिल ईस्ट के देश शामिल हैं. इरान, सोमालिया, यमन, समेत अल कायदा से जुड़े हुए आतंकी समूह पूरे अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में है.

अल-कायदा का एक सबसे खतरनाक और संसाधन संपन्न समूह अल शबाब सोमालिया और पूर्वी अफ्रीका में एक्टिव है. UN की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस समूह के पास 7000 से 12000 फाइटर्स हैं और सालाना ये समूह तकरीबन 24 मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. जो अल-कायदा के कुल बजट का 25 फीसद है.

अफगानिस्तान में सबसे लंबा युद्ध लड़ कर अमेरिका को क्या मिला?

अफगानिस्तान में अयमान अल-जवाहिरी का सफाया इस बात के बारे में बताता है कि अमेरिका पिछले 20 साल में वहां किस तरह विफल हुआ. अमेरिका तालिबान की वापसी के साथ जब वहां से निकला तबतक उसने इस 20 साल के युद्ध में 2,448 सैनिक और 3,846 कांट्रेक्टर खो दिए थे. बावजूद इसके वह यहां कुछ खास बदल नहीं पाया. तालिबान का एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा है. अफगानिस्तान अब भी आतंकियों की शरणस्थली बना हुआ है और तालिबान अब भी अल-कायदा के सरगना को वैसे ही शरण दे रहा था जैसे 21 साल पहले देता था.

भारत के लिए क्या है अल-जवाहिरी की मौत के मायने?

पिछले साल तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद लगातार डर बना हुआ है कि अफगानिस्तान की जमीन को भारत के खिलाफ भी आतंकियों का लॉन्चपैड बनाया जा सकता है. अल-जवाहिरी की अफगानिस्तान में मौजूदगी से इन आशंकाओं को बल मिला.

चूंकि अल कायदा बाकि दुनिया में सिमटता जा रहा है ऐसे में भारत को लेकर अल कायदा का ये रुख चिंता का विषय है

इसी साल जून में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि अलकायदा के कई आतंकी अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसी रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के सत्ता में आने के बाद जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को भी अफगानिस्तान में ठिकाना मिला है.

भारत के लिए वैसे तो ये अच्छी खबर है कि जवाहिरी मर चुका है. बस चिंता की बात ये है कि भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में मौजूद अल-कायदा का एक हिस्सा फिर से जिंदा हो सकता है. भारत में मौजूद अल-कायदा का कैडर दाइश में जा सकता है. दाइश मतलब ISIS. जो डीपेंड करता है कि उनके पास इस कैडर को आकर्षित करने के लिए क्या है. ISIS में दक्षिण भारत से शामिल हुए लोगों की खबर आपको मिलती रही होगी. हालंकि तालिबान दाइश से नफरत करता है और उन्हें खत्म करने के लिए कुछ भी कर सकता है, बावजूद इसके भारत को लेकर दोनों के हित मिलते जुलते हैं. तो चिंता की बात तो है.

भारत तालिबान को लेकर क्लियर नहीं है. भारत की तरफ से अफगानिस्तान में लगातार राशन और बाकी जरियों से मदद भेजी जा रही है. लेकिन इन सब के साथ भारत के लिए ये भी जरूरी है कि भारत तालिबान के साथ रिश्तों पर ध्यान दें, और अपने सहयोगियों के साथ मिलकर तालिबान पर दबाव डालें, ताकि अफगानिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ किसी तरह के आतंक की कोशिश न हो.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT