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चीन-US में बढ़ी तनातनी, ट्रंप का फरमान-बंद करो ह्यूस्टन कॉन्सुलेट

चीन की तरफ से इसे ‘राजनीतिक उकसावे’ में लिया गया फैसला बताया गया है.

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डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग
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डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग
(फोटो: The Quint)

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अमेरिका और चीन के बीच का तनाव लगातार बढ़ रहा है. इस बीच खबर है कि अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन में स्थिति वाणिज्य दूतावास को 72 घंटे के भीतर बंद करने के लिए कहा है. चीन इससे काफी खफा दिख रहा है, चीन की तरफ से इसे ‘राजनीतिक उकसावे’ में लिया गया फैसला बताया गया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है- 'चीन इस तरह के अपमानजनक और अनुचित कदम की कड़ी निंदा करता है, जो चीन-अमेरिका संबंध बिगाड़ देगा. हम अमेरिका से अपने गलत फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करते हैं. अन्यथा चीन उचित और आवश्यक जवाब देगा.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के अखबारग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “अमेरिका ने चीन से 72 घंटों में ह्यूस्टन स्थित वाणिज्यदूतावास को बंद करने के लिए कहा है. यह एक पागलपन भरा कदम है.’’

मामला क्या है?

न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, ह्यूस्टन पुलिस को सूचना मिली थी कि चीनी अधिकारी मंगलवार शाम वाणिज्य दूतावास में दस्तावेज जला रहे थे. एक न्यूज रिपोर्टर के वीडियो में वाणिज्यदूतावास के प्रांगण में कई लोग और आग लगे दस्तावेज और कई ट्रैश कैन नजर आए. न्यूयॉर्क पोस्ट ने कहा कि ह्यूस्टन के अग्निशमनकर्मी और पुलिस जब महावाणिज्यदूत कार्यालय पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया.

हालांकि, चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी सिक्योरिटी ने उसके राजनयिक कर्मचारियों और छात्रों को परेशान किया और पर्सनल इलेक्ट्रिकल डिवाइस को जब्त कर लिया और उन्हें बिना किसी कारण के हिरासत में ले लिया.

अमेरिका की तरफ से आधिकारिक तौर पर ये कहा जा रहा है कि दूतावास को बंद किए जाने का फैसला अमेरिकियों के इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी और निजी जानकारी की सुरक्षा को देखते हुए किया गया है. चीनी वाणिज्य दूतावास को शुक्रवार तक खाली कर लौट जाने के आदेश दिए गए हैं.

अमेरिका-चीन के रिश्ते कैसे हुए इतने तल्ख?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव आने वाले हैं. इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले कुछ महीनों में लगातार चीन पर हमले किए हैं, कुछ लोगों का कहनाहै कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगातार एंटी-चाइना माहौल तैयार किया जा रहा है और ये फैसला भी इसी की कड़ी है. हॉन्गकॉन्ग का मुद्दा हो, कोरोना वायरस का मुद्दा या ट्रेड का, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन पर लगातार भड़कते नजर आए हैं. 6 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक ट्वीट में लिखा था कि अमेरिका और पूरी दुनिया को चीन ने बहुत नुकसान पहुंचाया है. जब हॉन्गकॉन्ग में चीन ने राष्ट्र्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का ऐलान किया था, तब ट्रंप काफी सक्रिय दिखे थे आलम ये था कि चीन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए उन्होंने हॉन्गकॉन्ग के विशेष दर्जा खत्म करने का ऐलान कर दिया था.

दूसरे छोटे बड़े फैसलों में अमेरिका चीन एयरलाइंस की उड़ान पर रोक लगा चुका है और जब भारत ने 59 चीनी ऐप पर पाबंदी लगाई थी तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत के लिए सकारात्मक प्रक्रिया सामने आई थी. इन फैसलों की टाइमिंग पर भी कुछ लोग सवाल उठाते हैं और पूछ भी रहे हैं कि सिर्फ अमेरिकी जनता को दिखाने के लिए तो ऐसा नहीं किया जा रहा है. हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की किताब “दि रूम वेयर इट हैपेंड” रिलीज हुई थी, जिसमें ये आरोप है कि राजनीतिक फायदे के लिए चीन से सौदेबाजी पर फोकस किया गया.

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Published: 22 Jul 2020,05:52 PM IST

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