advertisement
अमेरिका (America) ने बड़ा कदम उठाते हुए चीन (China) में 'कुछ' तकनीकी निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने बुधवार, 9 अगस्त को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. वहीं बीजिंग ने अमेरिका के इस कदम को "वैश्वीकरण विरोधी" करार दिया है.
चलिए आपको बताते हैं कि आखिर अमेरिका ने ये फैसला क्यों लिया है? किन क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाया गया है? इस फैसले से दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिकी वित्त मंत्री को यह अधिकार दिया गया है कि वह सेमीकंडक्टर, माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स, क्वांटम सूचना तकनीक और कुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम क्षेत्र में चीन में निवेश को रोक लगा सकते हैं या सीमित कर सकते हैं. करीब दो साल के विचार-विमर्श के बाद इस आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
ये आदेश अगले साल तक प्रभावी नहीं होगा और इसमें बायोटेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर शामिल नहीं होंगे. इससे अप्रत्यक्ष निवेश (Passive Investments) के साथ-साथ सार्वजनिक ट्रेड सिक्योरिटीज, इंडेक्स फंड और अन्य एसेट्स में भी छूट मिल सकती है.
इस आदेश का उद्देश्य अमेरिकी पूंजी और विशेषज्ञता को चीन को ऐसी तकनीक विकसित करने में मदद करने से रोकना है. अमेरिका को डर है कि यह चीन के सैन्य आधुनिकीकरण का समर्थन कर सकती है और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर सकती है. यह आदेश प्राइवेट इक्विटी, वेंचर कैपिटल, ज्वाइंट वेंचर और ग्रीनफील्ड निवेश को टारगेट करता हैं.
इस प्रस्ताव में चीन की उन कंपनियों पर केंद्रित हैं जिनमें कंप्यूटर चिप्स और उनके निर्माण के लिए उपकरण डिजाइन करने के लिए निवेश किया जाता है. अमेरिका, जापान और नीदरलैंड्स का इन क्षेत्रों में दबदबा है, लेकिन अब चीनी सरकार इसका स्वदेशी विकल्प तलाशने में जुटी है.
व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडेन ने योजना पर सहयोगियों से चर्चा की और सात देशों के समूह से फीडबैक भी लिया.
चीन ने अमेरिका के इस फैसले का विरोध जताया है और "वैश्वीकरण विरोधी" करार दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश 'पूरी तरह से असंतुष्ट' है और 'चीन पर निवेश प्रतिबंध लगाने के अमेरिका के फैसले का दृढ़ता से विरोध करता है.'
एक अलग बयान में हॉन्गकॉन्ग की सरकार ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंध विशेष चीनी प्रशासनिक क्षेत्र के खिलाफ "अनुचित कदम" हैं और उन्होंने "सामान्य निवेश और व्यापार गतिविधियों को बाधित किया है."
अमेरिका के इस फैसले के बाद कहा जा रहा है कि यह अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ाने वाले कदमों में से एक है. जानकारों की मानें तो आर्थिक रूप से भी दोनों देशों पर असर पड़ेगा.
वाशिंगटन में चीनी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा कि "अमेरिका की 70,000 से ज्यादा कंपनियां चीन में बिजनेस करती हैं. प्रतिबंधों से चीन और अमेरिका, दोनों देशों के व्यवसायों को नुकसान होगा, सामान्य सहयोग में बाधा आएगी और अमेरिकी निवेशकों के प्रति विश्वास भी कम होगा."
चीनी तकनीकी उद्योग कभी अमेरिकी वेंचर कैपिटल के लिए आकर्षण का केंद्र थे. दोनों देशों के बीच पहले से ही बढ़ते तनाव की वजह से अमेरिकी निवेश में भारी गिरावट देखने को मिली है.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मांग में उछाल के कारण 2023 में चीन की GDP ग्रोथ 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं 2023 में अमेरिका की GDP ग्रोथ 1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2024 में 0.8 प्रतिशत तक धीमी हो जाएगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined