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ताइवान, हांगकांग, दक्षिण चीन सागर, बीजिंग के शिनजियांग में मुस्लिम उइगरों के मानवाधिकार हनन, ट्रेड वॉर. जब दुनिया के दो महाशक्तियों- अमेरिका (America) और चीन (China) के बीच असहमति और तनाव के इतने मुद्दे हों तब दोनों देशों के राष्ट्रपति बातचीत करने को साथ आये.
चीनी राज्य मीडिया के अनुसार यह वर्चुअल समिट साढ़े तीन घंटे से अधिक समय तक चला.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर बुलाए गए इस वर्चुअल समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को ताइवान पर कड़ी चेतावनी दी.
दूसरी तरफ जवाब में जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका "वन चाइना पॉलिसी" के लिए प्रतिबद्ध है और वाशिंगटन "यथास्थिति को बदलने या ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर करने के एकतरफा प्रयासों का कड़ा विरोध करता है".
इस वर्चुअल समिट में अमेरिका का "वन चाइना पॉलिसी" के लिए प्रतिबद्धता जताना ताइवान को संदेश था की वह स्वतंत्रता की घोषणा नहीं करे. दूसरी तरफ यथास्थिति न बदलने के लिए चीन को कह कर अमेरिका ने अपना स्टैंड स्पष्ट किया है वो ताइवान को मिले स्वायत्तता के साथ खड़ा है और चीन आक्रमण के बारे में नहीं सोचे.
बाइडेन ने शी जिनपिंग से कहा कि दोनों देशों की जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित हो कि दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता "खुले संघर्ष में न बदल जाए".
वर्चुअल समिट के दौरान बाइडेन ने चीन के द्वारा हांगकांग में मानवाधिकारों के हनन और शिनजियांग के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में मुस्लिम उइगरों के खिलाफ दमन से जुड़े अमेरिकी चिंताओं को उठाया. वहीं बदले में चीन ने अमेरिका पर घरेलू मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है.
बदले में जिनपिंग ने भी इस मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी की. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बाइडेन से कहा कि अमेरिका को "चीनी कंपनियों पर अत्याचार करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा का दुरुपयोग करना" बंद करने की आवश्यकता है.
इसके अलावा साढ़े तीन घंटे से अधिक समय तक चले समित में जलवायु परिवर्तन पर भी चर्चा हुई. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते दोनों ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में बातचीत के दौरान जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए एक ज्वाइंट डिक्लेरेशन जारी कर सबको चौंका दिया था.
ताइवान पर कड़े शब्दों के बावजूद बैठक की शुरुआत दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से की. शी जिनपिंग ने कहा कि वह अपने "पुराने दोस्त" बाइडेन को देखकर खुश हैं. राष्ट्रपति बाइडेन ने भी कहा कि दोनों नेताओं ने "हमेशा एक दूसरे के साथ बहुत ईमानदारी और स्पष्ट रूप से संवाद किया है"
हालांकि दोनों व्यक्तिगत रूप से मिल चुके हैं जब दोनों बराक ओबामा और हू जिंताओ के नेतृत्व में उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यरत थे.
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