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कोरोना और बेरोजगारी पर अमेरिका के एशबर्न से क्या सीख सकता है भारत?

यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया की स्टडी ने पाया वैक्सीनेशन और रोजगार में सीधा सम्बन्ध

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<div class="paragraphs"><p>एशबर्न में साल भर में बेरोजगारी दर 6.8% कम</p></div>
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एशबर्न में साल भर में बेरोजगारी दर 6.8% कम

(फोटो-अलटर्ड बाई द क्विंट)

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अमेरिकी दक्षिणी राज्य वर्जिनिया के लॉडाउन कांउटी के एशबर्न क्षेत्र में कोरोना महामारी के कारण बढ़ी बेरोजगारी अब वापस से निचले स्तर पर आ चुकी है. फेडरल ब्यूरो ऑफ लेबर के अनुसार एशबर्न,लॉडाउन कांउटी में बेरोजगारी दर अप्रैल 2020 में जहां 9.9% थी वहीं 1 साल ,अप्रैल 2021 में यह कम होकर 3.1% हो गई है.

कई अर्थशास्त्रियों का मत है कि इकॉनमी और रोजगार के अवसरों को रिवाइव करने का एक प्रमुख तरीका मास वैक्सीनेशन है. क्या विकराल बेरोजगारी का सामना कर रहे भारत(12.8%,CMIE) के सवालों का जवाब वर्जिनिया के इस क्षेत्र के बेरोजगारी डेटा में है? विशेषकर, इस तथ्य के संदर्भ में कि इस क्षेत्र में 48% लोगों का फुल वैक्सीनेशन हो गया है जबकि भारत में मात्र 3.3% जनसंख्या का ही.

एशबर्न:रोजगार की बेहतर होती स्थिति

अमेरिका के फेडरल ब्यूरो ऑफ लेबर का लेटेस्ट डेटा यह दिखाता है कि लॉडाउन कांउटी के एशबर्न क्षेत्र में महामारी की शुरुआत,अप्रैल 2020 से लेकर अप्रैल 2021 के बीच बेरोजगारी दर 9.9% से 3.1% तक आ गई है. यहां तक कि मार्च 2021 में भी यह 4.1% थी. यानी 1 महीने में बेरोजगारी दर में 1% की कमी आई है.लॉकडाउन कांउटी(3.1%) में अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर पूरे वर्जिनिया क्षेत्र(3.9%) से भी नीचे रही.

बढ़ते रोजगार अवसरों का एक कारण इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन है .अब तक पूरे लॉडाउन में 4,27,251 लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है. यानी 48% जनसंख्या पूरी तरह से वैक्सीनेटेड है.

पूरे अमेरिका के स्तर पर मई महीने में 5.59 लाख नए गैर कृषि रोजगार पैदा हुए और बेरोजगारी दर 0.3% कम होकर 5.8% रह गई. मई महीने में लॉन्ग टर्म बेरोजगार लोगों की संख्या में 4.3 लाख की कमी हुई. मई 2021 में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 61.6% रहा जो फरवरी 2020 की अपेक्षा 1.7% कम है .मार्च के अंत तक पुरे देश में रिकॉर्ड 81 लाख जॉब ओपनिंग थें.
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वैक्सीनेशन का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

मार्च 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के एक रिसर्च टीम ने Penn Wharton Budget Model का प्रयोग करके नया विश्लेषण प्रस्तुत किया था. टीम ने पाया था कि अगर अमेरिका उस समय के अपने डेली वैक्सीनेशन स्पीड को दुगना करके 30 लाख वैक्सीन प्रतिदिन लगाने लगता तो उस से अमेरिका में 20 लाख नए रोजगार और गर्मी खत्म होने तक अमेरिकी GDP में 1% का देखने को मिल सकता था.

यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया कि यह स्टडी प्रमाणित करती है कि रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और इकॉनमी को रिवाइव करने का एक व्यवहारिक उपाय वैक्सीनेशन की गति तेज करना है.

भारत एशबर्न से क्या सीख सकता है?

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE) के अनुसार भारत में रोजगार प्राप्त लोगों की संख्या अप्रैल 2021 में जहां 39.07 करोड़ थी वही वह मई 2021 में 37.54 करोड़ रह गई ,यानी 1 महीने के अंदर 1.53 करोड लोगों ने अपना रोजगार खो दिया.

एशबर्न क्षेत्र का अनुभव और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया की स्टडी बताती है कि करोना महामारी से बेरोजगार हुए लोगों को फिर से रोजगार उपलब्ध करवाने का एक उपाय मास वैक्सीनेशन हो सकता है .अभी तक भारत ने मात्र 3.3% जनसंख्या को ही पूरी तरह से वैक्सीनेटेड किया है जबकि एशबर्न जैसे क्षेत्र में यह आंकड़ा 48% है.

कई अर्थशास्त्रियों ने सरकार को बजट घाटे की चिंता छोड़ इकॉनमी रिवाइव करने के लिए खुलकर खर्च और मास वैक्सीनेशन पर ध्यान देने को कहा है.एशबर्न की तरह बेरोजगारी पर काबू पाने के लिए उसकी तरह वैक्सीनेशन के मोर्चे पर मुस्तैदी व्यवहारिक उपाय नजर आता है

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