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भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश (Bangladesh Election) में 7 जनवरी को वोटिंग शुरू हो चुकी है, लेकिन वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने चुनावों का बहिष्कार किया है. इस पर बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने चुनाव के एक दिन पहले कहा कि आम चुनाव के लिए निर्धारित मतदान में पूर्णता का अभाव है क्योंकि एक प्रमुख विपक्षी दल भाग नहीं ले रहा है, लेकिन उनके कार्यालय ने संवैधानिक निरंतरता जारी रखने के लिए सभी कदम उठाए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) हिंसा के बीच 7 जनवरी को होने वाले चुनाव का बहिष्कार कर रही है और उसने शेख हसीना सरकार के खिलाफ 48 घंटे की देशव्यापी हड़ताल भी शुरू की है. बीएनपी चुनाव कराने के लिए एक अंतरिम गैर-पार्टी तटस्थ सरकार की मांग कर रही है.
हालांकि, सत्तारूढ़ अवामी लीग की अध्यक्ष और प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया था.
चुनाव आयोग के प्रमुख ने कहा कि संस्थागत व्यवस्था पर विवादों ने इस बार चुनाव भागीदारी को निराश किया है, लेकिन बांग्लादेश के राजनीतिक नेतृत्व को "आज नहीं तो भविष्य के लिए" असहमति के स्थायी समाधान के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए.
फिर भी, उन्होंने कहा, चुनाव को "गैर-भागीदारी या अप्रतिस्पर्धी" नहीं कहा जा सकता क्योंकि 300 संसदीय क्षेत्रों में से 299 में 28 राजनीतिक दल और 1,971 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
बीएनपी ने यह कहते हुए चुनावों का बहिष्कार किया है कि प्रधानमंत्री हसीना की सरकार के तहत चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होंगे और उन्होंने गैर-पार्टी कार्यवाहक सरकार को चुनाव चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
मीडिया टैली से पता चलता है कि चुनावों से पहले हुई हिंसा में 28 अक्टूबर, 2023 के बाद से पिछले तीन महीनों में कम से कम 15 लोग मारे गए हैं, जब ट्रेनों, बसों और ट्रकों में आग लगा दी गई थी.
पहले पूर्व न्यायाधीश और बाद में कानून मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाह के रूप में काम कर चुके अवल ने कहा कि जिन पार्टियों ने पहले चुनावों का बहिष्कार किया, उन्होंने किसी भी हिंसक तरीके को छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से अपना अभियान चलाने की बात की थी.
उन्होंने किसी भी पार्टी का नाम लिए बिना कहा, "लेकिन घोषित आम हड़तालों और परिवहन नाकेबंदी के बीच तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं दिखाई देने लगीं. ट्रेनों, अन्य परिवहन और चुनाव केंद्रों को आग लगा के हवाले किया गया."
बता दें कि, बांग्लादेश में 19 करोड़ से अधिक लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण लोगों में वोटिंग के लिए ज्यादा उत्साह नहीं दिख रहा.
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