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कभी दुनियाभर में सेल्फी कल्चर को नया आयाम देने वाले बराक ओबामा ने सेल्फी को 'ना' कह दिया है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि बतौर राष्ट्रपति उन्होंने जो सबसे अजीब चीजें देखी हैं उनमें से एक है कि लोग उनकी आंखों में कम देखते हैं, हैंडशेक का भी चलन कम हो गया है, सेल्फी में लोगों की ज्यादा दिलचस्पी रहती है.
शिकागो में ओबामा फाउंडेशन के दो दिनों के लीडरशिप समिट के दौरान ओबामा ने ये निर्देश अपने सहयोगियों और दुनियाभर से आए 500 से ज्यादा लोगों को दिया है.
प्रेसिडेंट पद से रिटायर होने के बाद ओबामा अब दुनियाभर के युवाओं को आंदोलन की ट्रेनिंग देने में जुटे हैं, ऐसे में 60 देशों के युवाओं को ट्रेनिंग में हिस्सा लेने के लिए बुलाया गया है. दो दिन के लीडरशिप समिट में इन युवाओं को प्रिंस हैरी, मिशेल ओबामा समेत कई हस्तियों ने संबोधित किया.
सबसे पहले खुद बराक ओबामा से जान लीजिए कि क्या है उनका ड्रीम प्रोजेक्ट ‘ओबामा’ फाउंडेशन’
हमने आपके लेटर्स, ईमेल, और सबमिशन ओबामा फाउंडेशन की वेबसाइट पर पढ़े हैं. हम शिकागो, बर्लिन जकार्ता दुनिया के कई शहरों में गए, उन फ्यूचर लीडर्स से मिले जिनसे हम मिलना चाहते थे. हम लोकतंत्र में बदलाव ला सकने वाले इन लीडर से मिलने चाहते हैं.
हमारे फाउंडेशन का बस एक मकसद है- दुनिया को बदलने के लिए हम लोगों को प्रेरित करना और सशक्त बनाना चाहते हैं.
बता दें कि इस दौरान उन्होंने मुंबई की रहने वाली तृषा शेट्टी का भी नाम बतौर फ्यूचर लीडर गिनाया. जो मुंबई में रहती हैं और SheSays की फाउंडर और CEO हैं. ये संस्था यौन पीड़ितों के लिए काम करती है. मिलिए तृषा से :
इस लीडरशिप समिट में ओबामा का उद्घाटन सत्र वाला संबोधन सबसे खास रहा. जिसमें उन्होंने लोकतंत्र, इंसानियत और दुनिया में बेहतरी ला सकने वाले कई आइडियाज शेयर किए और युवाओं को प्रेरित किया.
उद्घाटन भाषण की शुरुआत में ही उन्होंने बड़े मजाकिया अंदाज में कहा, मैं इतना उत्साहित इसलिए हूं क्योंकि ये वो जगह है जहां से मैंने शुरुआत की थी.
दरअसल, अमेरिका के हवाई में पैदा होने के ओबामा के दावे पर ट्रंप समेत कई विरोधियों ने अक्सर सवाल उठाए हैं. दावा किया जा रहा था कि ओबामा का जन्म यहां नहीं हुआ है. ओबामा ने चुटकी लेकर ये जता दिया है कि उनका विश्वास हमेशा से दुनिया को एक मानने पर रहा है और ट्रंप के हालिया फैसले पर उनका विश्वास नहीं है.
कॉलेज के दौरान मैंने इन सभी चीजों को फिर से सोचा, और ये जानने की कोशिश करने लगा कि मैं कैसे बदलाव ला सकता हूं या बदलाव का हिस्सा बन सकता हूं. आप में से ज्यादातर लोगों ने भी कभी न कभी ये जरूर सोचा होगा.
मैंने इतना सीखा है कि आम आदमी स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर असाधारण काम कर सकते हैं और दुनिया बदल सकते हैं. लेकिन उनकी आवाज सुनी जाए तब ही ऐसा संभव है, उन्हें अपनी ताकत को पहचानना है, वो एक साथ मिलकर ही ऐसा कर सकते हैं.
जब आप शुरुआत में किसी से मिलते हैं और अपनी स्टोरी शेयर करते हैं. हो सकता है कि आपको ऐसा लगे कि उसकी कहानी आप से नहीं मिल रही है. लेकिन ऐसा जरूर है कि कुछ दिनों बाद आपको लगने लगे आप और वो दोनों एक ही मकसद के लिए काम कर रहे हैं.
अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद मैंने पूरे अमेरिका में और दुनिया के कई चक्कर काटे, लोगों से मिला, वहां मुझे एक चीज सीखने को मिली कि मेरे जैसे कई युवा हैं जो वैसा ही सोचते हैं. कुछ युवा मुझसे काफी बेहतर भी हैं. जो अपने आपसे पूछते हैं कि वो समुदाय को बेहतर कैसे बना सकते हैं.
ये आइडिया एक हब, वेन्यू, प्लेस, और नेटवर्क बनाने का है. जिसमें पूरी दुनिया से, हर एक देश से, हर बैकग्राउंड, हर धर्म, हर नस्ल से युवा शामिल हों. एक दूसरे से मिलना शुरू करे, सीखना शुरू करे और सिखाना शुरू करे. अब मुझे पूरा भरोसा है कि हम सब मिलकर कुछ बड़ा करने जा रहे हैं. एक आर्किटेक्चर तैयार करने जा रहे हैं जिसमें आप कुछ न कुछ तैयार कर पाएंगे कुछ नया आइडिया बना पाएंगे जिससे एक ऐसी दुनिया बनेगी जो हम बनाना चाहते हैं.
नियम 1: अपने आसपास के लोगों की सुनिए
नियम 2: किसी बात से असहमत हैं, तब भी वो बात सुनिए
नियम 3: 'नो' सेल्फी
नियम 4: मजे करें
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