रिटायर होने के बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने नए काम की बड़ी तैयारी कर ली है. ओबामा अब दुनियाभर के युवाओं को इकट्ठा करके उन्हें बदलाव के लिए प्रेरित कर है. एक ऐसा बदलाव जो लोकतंत्र में, इंसानियत में और दुनिया में बेहतरी ला सके. इसके लिए उन्होंने 'ओबामा फाउंडेशन' की शुरुआत कुछ महीने पहले ही शुरू की जिसका पहला लीडरशिप समिट शिकागो में जारी है.
बता दें कि दुनियाभर के लोगों में बराक ओबामा के नए काम के लिए उत्सुकता इसलिए भी थी क्योंकि अमेरिका के साथ पूरी दुनिया एक ऐसे दौर से गुजर रही है जहां सत्ता से लेकर सड़क तक कट्टरता का दौर है. बराक ओबामा एक ऐसे शख्स और राष्ट्रपति के तौर पर जाने जाते थे जिन्होंने कट्टरता, आतंक के खिलाफ लंबी लड़ाई थी.
'ओबामा फाउंडेशन' में सेल्फी बैन की पहल
शिकागो में चल रहे दो दिन के लीडरशिप समिट के दौरान प्रिंस हैरी समेत कई देशों के नेता और आर्टिस्ट मौजूद हैं. इन सबके इतर ओबामा फाउंडेशन से 60 देशों के युवाओं ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की.
आयोजन की खास बाते ये है कि बराक ओबामा ने यहां पर उनके और मिशेल ओबामा के साथ सेल्फी पर ‘बैन’ लगा दी है, कारण भी दिलचस्प है, ओबामा का कहना है कि जबसे वो राष्ट्रपति बने हैं लोग उनकी आंखों में कम देखते हैं, हैंडशेक का भी चलन कम हो गया है, सेल्फी में लोगों की ज्यादा दिलचस्पी है.
उद्घाटन के मौके पर ओबामा ने क्या कहा यहां सुनिए:
क्या है बराक ओबामा का मकसद?
'बराक फाउंडेशन' का मकसद दुनियाभर के युवाओं को इकट्ठा करके उन्हें बदलाव के लिए प्रेरित करना है. बराक ओबामा ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा-
आप में से ज्यादातर लोग ये सोचते होंगे कि मैं कैसे प्रभाव डाल सकता हूं, कैसे में बदलाव ला सकता हूं.
खुद ही इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आप जिस भी कम्यूनिटी में रहते हैं वहां लोगों को सुनकर, प्रभावित कर आप दुनिया में बदलाव ला सकते हैं.
आम आदमी स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर असाधारण काम कर सकते हैं और दुनिया बदल सकते हैं. लेकिन उनकी आवाज सुनी जाए तब ही ऐसा संभव है, उन्हें अपनी ताकत को पहचानना है.बराक ओबामा, पूर्व राष्ट्रपति, अमेरिका
राजनीतिक मकसद नहीं
भारत का उदाहरण लेते हुए आप दुनियाभर में देख सकते हैं कि कैसे हर एक गतिविधि को राजनीति से जोड़े जाने की एक नई तरह की शुरुआत हुई है.
ऐसे में ओबामा ने साफ किया कि इस फाउंडेशन का कतई मकसद राजनीतिक अभियान तैयार करना नहीं है, बल्कि ये सभ्यता और समाज से जुड़ा है जिसका असर राजनीति पर होगा.
ओबामा ने राजनीति के बारे में सिर्फ इतना कहा, राजनीति में जो कुछ भी गलत है उसका साफ मतलब है कि समाज या समुदाय में कुछ न कुछ गलत चल रहा है जिसका एक आईना राजनीति बन जाता है.
दुनिया बदलने का टूल सिखाना है मकसद?
दुनिया के 60 देशों के युवाओं के लिए ओबामा फाउंडेशन एक तरह से ट्रेनिंग कैंप जैसा है. जहां उन युवाओं को अपने-अपने समुदाय या कहें तो देशों में जो गलत चल रहा है उसके लिए आवाज उठाने, आंदोलन खड़ा करने के गुर सिखाए जाते हैं. ये बताया जाएगा कि आंदोलन क्यों खड़ा करना है? जरूरत क्या है? ये कैसे समाज को बदलेगा? और इसे किस तरह चलाना है.
बराक ओबामा के ये 4 रूल भी जान लीजिए:
इस मौके पर बराक ओबामा फाउंडेशन ने अपने वॉलेंटियर्स के पास पूर्व राष्ट्रपति के सेट ऑफ रूल्स भेजे हैं, बराक का कहना है कि इन 4 रूल्स को फाउंडेशन में शामिल हर शख्स और वॉलेंटियर्स को फॉलो करना चाहिए:
नियम 1: अपने आसपास के लोगों की सुनिए
अपनी स्टोरिज लोगों को बताइए, दूसरों की सुनिए. ज्यादा से ज्यादा कनेक्शन बनाइए जिससे आइडियाज शेयर हो सके. अपने समुदाय के आइडियाज को एक सरफेस पर लाने की कोशिश करें
नियम 2: असहमत हो तब भी सुनिए
अगर आप किसी बात से या आइडिया से असहमत हैं तब भी उसे सुनें. क्योंकि ये राजनीति के लिए नहीं है ये हमारे समुदाय और सभ्यता के लिए है.
नियम 3: 'नो' सेल्फी
जब आप किसी से मिलते वक्त अपने फोन की स्क्रीन देखते हैं तब आप उस शख्स से दिल से कनेक्ट नहीं हो पाते. ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलें, हैंडशेक करें और दिल से जुड़ें.
नियम 4: मजे करें
इस काम और दुनिया में काफी उलझनें हैं. ऐसे में कभी आप अकेले होंगे, गम से भरे होंगे. लेकिन आप जैसे ही कई लोग और भी हैं जो भी, ऐसा ही महसूस कर रहे हैं. इसलिए छोटी-छोटी सफलताओं को साझा करिए, ये बाद में इतनी बड़ी बन जाएंगी जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा.
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