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UK: बोरिस जॉनसन ने जीता अविश्वास प्रस्ताव, लेकिन मुश्किलों से काले बादल नहीं हटे

Boris Johnson Wins No-Confidence: 211 वोट जॉनसन के पक्ष में पड़े जबकि 148 वोट उनके खिलाफ डाले गए

क्रिस्टोफर किर्कलैंड, यॉर्क सेंट जॉन यूनिवर्सिटी
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन </p></div>
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ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन

(फोटो- द क्विंट)

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बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) लीडरशिप के खिलाफ हुई अविश्वास वोटिंग (no-confidence Vote) में पीएम बोरिस जॉन ने खुद को बचा लिया है. अविश्वास प्रस्ताव के लिए हुई वोटिंग में 211 वोट जॉनसन के पक्ष में पड़े जबकि 148 वोट उनके खिलाफ डाले गए. लेकिन जॉनसन की जीत का अंतर 2019 में उनकी पूर्ववर्ती थेरेसा मे द्वारा हासिल जीत की तुलना में कम है. इसके 6 महीने बाद बोरिस जॉनसन ने थेरेसा मे के इस्तीफे के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के बहुमत का समर्थन हासिल किया था और सत्ता ग्रहण की थी.

लेकिन अब कहानी अलग है. "पार्टीगेट" विवाद (“partygate” scandal) के बारे में हफ्तों की अटकलों के बाद, उनके अपने 40 फीसदी सांसदों ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने का प्रयास किया है.

अविश्वास वोट तब शुरू हुआ जब 54 (या संभवतः इससे अधिक) सांसदों ने 1922 की प्रभावशाली समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी को अपने पत्र सौंपे और कहा अब उन्हें (सांसदों को) इस पर विश्वास नहीं है कि पार्टी का नेतृत्व करने के लिए बोरिस जॉनसन ठीक व्यक्ति हैं.

अविश्वास मत के दौरान जॉनसन के खिलाफ 148 वोट डाले गए, इसका मतलब है कि पहली बार जनता और विद्रोहियों को इसका पता लगा है कि जॉनसन फिलहाल किस तरह के विरोध का सामना कर रहे हैं.

अगले 12 महीनों तक ऐसी कोई वोटिंग नहीं होगी

नेतृत्व में बदलाव के लिए 54 वोटों की आवश्यकता होती है और इसी आंकड़े से अविश्वास वोट की प्रक्रिया शुरु होती है. वोटिंग के दौरान तक इस संख्या में तीन गुना इजाफा हो गया और नेता बदलने के लिए जो सांसद तैयार थे उनकी संख्या 148 हो गई. हालांकि जॉनसन को गिराने के लिए यह संख्या पर्याप्त नहीं है, जॉनसन इसे इस रूप में पेश करना चाहेंगे कि यह आंकड़ा निर्णायक जीत से बहुत दूर है. हालांकि यह अभी भी उनके इस्तीफे के लिए और ज्यादा आवाजों को प्रेरित कर सकता है.

सीधा मुकाबला हां और ना वोट का था. जॉनसन को वोट जीतने के लिए अपने पक्ष में डाले गए मतपत्रों के साधारण बहुमत की आवश्यकता थी. वोटिंग में सभी 369 कंजर्वेटिव सांसदों ने हिस्सा लिया और जॉनसन बहुमत हासिल करने में सफल रहे. पार्टी के मौजूदा नियमों के अनुसार उन्हें (जॉनसन को) 12 महीने तक इस तरह के किसी और वोट का सामना नहीं करना पड़ेगा.

1974 में एडवर्ड हीथ के साथ हुई शुरुआत के बाद से जॉनसन सहित, पिछले पांच कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों में से चार को पार्टी के नेता के रूप में सार्वजनिक रूप से चुनौती दी गई है. 2003 में विपक्ष के नेता के रूप में इयान डंकन स्मिथ अविश्वास मत हार गए थे.

उनके उदाहरण से हमें पता चलता है कि वोट जीतना जॉनसन की स्थिति को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो सकता है. मे जनवरी 2019 में अविश्वास प्रस्ताव से बच गईं जबकि थैचर और मेजर दोनों को लीडरशिप की चुनौतियों (हालांकि अलग-अलग नियमों के तहत और जॉनसन या मे की तुलना में काफी लंबे समय तक कार्यालय में रहने के बाद) का सामना करना पड़ा. यह बात उल्लेखनीय है कि तीनों ने अपने-अपने मतपत्र (चुनाव) जीते थे लेकिन थैचर और मे दोनों ने कुछ ही समय बाद इस्तीफा दे दिया वहीं 1997 के आम चुनाव में भारी गिरावट के साथ मेजर हार गए.

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जॉनसन की टीम को इस जीत से उम्मीद होगी कि वे पार्टीगेट और अन्य स्कैंडल के नीचे 'एक रेखा खींचने में' सफल होंगे, लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी अभी सार्वजनिक तौर पर जितनी विभाजित है उसमें जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है.

अनिवार्य रूप से किसी भी जीत की तुलना दिसंबर 2018 में मे की जीत से की जाएगी. तब थेरेसा मे के पक्ष में 200 (63 फीसदी) वोट पड़े वहीं उनके खिलाफ 117 मत डाले गए थे, इस तरह मे ने विश्वास मत जीता था. जॉनसन को समान स्तर का समर्थन पाने के लिए अपने साथी टोरी सांसदों में से कम से कम 236 के समर्थन की आवश्यकता होगी. इसमें वह फेल हो गये.

अगर वह (जॉनसन) हार गए होते, तो कंजर्वेटिव पार्टी को एक नए लीडर (नेता) के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती. वहीं विश्वास मत हारने के परिणाम स्वरूप जॉनसन को नेतृत्व के लिए होने वाले अगले चुनाव में खड़ा होने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता.

फिलहाल जॉनसन पद पर बने रहेंगे लेकिन अनिवार्य रूप से इस बातों को लेकर अटकलें तेज होंगी कि क्या और कितने समय तक वे सर्वाइव (खुद को बचा) कर सकते हैं?

नेतृत्व के संभावित दावेदार

कंजर्वेटिव सहयोगियों का एक समूह है जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे लीडरशिप (नेतृत्व) की महत्वाकांक्षा रखते हैं. इनमें उनके (जॉनसन के) कई कैबिनेट सहयोगी और अन्य वरिष्ठ टोरी भी शामिल हैं, जिन्होंने या तो संसदीय समितियों की अध्यक्षता की है या पिछले प्रशासन में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं.

इनमें राजकोष (एक्सचेकर) के चांसलर ऋषि सनक शामिल हैं, जिन्हें पहले जॉनसन की जगह लेने के लिए सबसे अग्रणी में से माना जाता था. लेकिन कॉस्ट ऑफ लिविंग संकट और उसी इवेंट में हिस्सा लेने के लिए लगाया गया जुर्माना जिसकी वजह से जॉनसन को फिक्स्ड पेनाल्टी का नोटिस दिया गया. इससे जॉनसन की व्यक्तिगत रेटिंग में गिरावट देखी गई.

कैबिनेट के अन्य प्रमुख सदस्य जिनके बारे में कहा जाता है कि वे नेतृत्व की महत्वाकांक्षा रखते हैं उनमें विदेश सचिव लिज ट्रस शामिल हैं, जो जॉनसन के प्रति वफादार रहे हैं, लेकिन ऐसा अनुमान है कि वे तभी खड़े होंगे जब उन्हें कोई खाली जगह मिलेगी. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग में राज्य मंत्री पेनी मोर्डंट को एक संभावित मध्यस्थ के तौर पर देखा जाता है, कुछ ऐसा जिसकी वजह से पार्टी का मूल्य बढ़ सकता है. अन्य वरिष्ठ हस्तियां जिन्हें संभावित दावेदारों के तौर पर देखा जा सकता है उनमें रक्षा सचिव बेन वालेस, शिक्षा सचिव नादिम ज़हावी और स्वास्थ्य सचिव साजिद जाविद शामिल हैं.

इस बीच कैबिनेट के बाहर शक्तिशाली हिटर हैं जिनकी विशेषता यह है कि वे पार्टी को बदलाव के नैरेटिव के साथ आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं. जॉनसन के एक प्रमुख आलोचक विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम तुगेंदहट हैं, जो सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने वाले एकमात्र शख्स थे कि यदि कोई रिक्ति बनती है तो वे उम्मीदवारी के लिए पूरा प्रयास करेंगे. अन्य संभावित दावेदारों में पूर्व स्वास्थ्य सचिव जेरेमी हंट शामिल हैं, जो 2019 में जॉनसन के पीछे सदस्यों के बैलेट में दूसरे स्थान पर रहे थे.

लेकिन फिलहाल के लिए प्रधानमंत्री पद पर बने हुए हैं. जनता के मूड को समझने के लिए सबसे बड़े संकेतक 23 जून को यॉर्कशायर के वेकफील्ड व डेवोन में टिवर्टन और होनिटोन में होने वाले दो उपचुनाव होंगे.

ये दोनों निर्वाचन क्षेत्र बहुत ही अलग हैं. चुनाव में इन दोनों क्षेत्र में कंजर्वेटिव पीछे चल रहे हैं. ऐसे में सभी 369 सांसद इन निर्वाचन क्षेत्रों पर करीब से नजर रखेंगे क्योंकि वे अपनी स्थिति को आगे बढ़ने पर विचार करते हैं.

(इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं. क्विंट न तो इनका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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