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इंडिया के हलवा सेरेमनी से कनाडा में FM के नए जूते तक- बजट से जुड़ी अनोखी परंपरा

दुनिया के कई देशों में बजट से जुड़ी कई रस्में हैं जो लिखित कानून का हिस्सा भले न हों लेकिन परंपरा का अंग जरूर हैं

आशुतोष कुमार सिंह
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>इंडिया के हलवा सेरेमनी से कनाडा में FM के नए जूते तक- बजट से जुडी अनोखी परंपरा</p></div>
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इंडिया के हलवा सेरेमनी से कनाडा में FM के नए जूते तक- बजट से जुडी अनोखी परंपरा

(फोटो- अलटर्ड बाई क्विंट)

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भारत में केंद्रीय बजट (Budget 2022) तैयार होने से लेकर संसद में वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किए जाने तक, कई ऐसी रस्में हैं जो लिखित कानून का हिस्सा भले न हो लेकिन अब परंपरा का अंग जरूर बन गयी हैं.

लेकिन क्या आपको मालूम है भारत के अलावा भी दुनिया में ऐसे देश हैं जहां के संसद में सालाना बजट पेश करते समय खास चीजों का ख्याल रखा जाता है जो अब परंपरा का हिस्सा हैं. शुरुआत करते हैं भारत से ही.

भारत- हलवा सेरेमनी और बजट ब्रीफकेस

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश करने जा रही हैं. ऐसे में भारत के केंद्रीय बजट से जुड़ी परंपराओं की पूरी कहानी आपको बताते हैं. भारत में केंद्रीय बजट से जुड़ी सबसे प्रमुख परंपराओं में से एक हलवा समारोह है.

(फाइल फोटोः PTI)

बजट पेश होने से लगभग 10 दिन पहले, बजट तैयार करने से जुड़े वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के लिए हलवा तैयार किया जाता है. एक बार हलवा बांटे जाने के बाद, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को संसद में बजट पेश नहीं होने तक वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में भेज दिया है.

बजट डिटेल की गोपनीयता सुनिश्चित करने और किसी भी लीक को रोकने के लिए लगभग 10 दिनों के लिए उन्हें पूरी दुनिया से अलग रखा जाता है. केवल वरिष्ठ अधिकारियों को ही नॉर्थ ब्लॉक छोड़ने की अनुमति होती है. हलवा समारोह के बाद ही बजट की छपाई शुरू होती है.

अब आते हैं बजट से जुड़ी परंपरा के दूसरे भाग पर- बजट ब्रीफकेस जिसका सफर अब बही-खाते से होते हुए इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट तक आ पहुंचा है.

बजट ब्रीफकेस की परंपरा 18 वीं शताब्दी से यूनाइटेड किंगडम से शुरू हुई. पहला बजट बॉक्स 1860 में यूके के चांसलर के लिए डिजाइन किया गया था. आजादी के बाद भारत ने भी इसी ब्रिटिश परंपरा का पालन किया. लेकिन, ब्रीफकेस के लिए कोई खास एक रंग का इस्तेमाल नहीं किया गया. आजादी से अब तक हमने वित्त मंत्रियों को लाल, काले और यहां तक ​​कि भूरे रंग के ब्रीफकेस का उपयोग करते देखा है.

26 नवंबर, 1947 को भारत के पहले बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी को एक ट्रेडमार्क बजट बैग के साथ देखा गया. 1974 में वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण स्टील के सूटकेस के साथ संसद गए.

हालांकि भारत में सभी वित्त मंत्रियों ने बजट पेश करते समय बैग का उपयोग नहीं किया है. 1957-58 और 1964-65 में वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी और 1959-1964 और 1967-70 में मोरारजी देसाई ने अपने बजट स्पीच को फाइलों में रख कर ही संसद पहुंचे.

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2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस को छोड़ दिया और बजट के डॉक्यूमेंट्स ले जाने के लिए 'बही खाता' का विकल्प चुना. 2020 में निर्मला सीतारमण ने फिर से सुर्खियां बटोरीं जब उनके 'बही-खाता' की जगह टैबलेट लेकर संसद पहुंची.

कनाडा- वित्त मंत्री के लिए नए जूते

केंद्रीय बजट से जुड़ी खास परंपरा की बात करें तो उत्तरी अमेरिकी महादेश में स्थित कनाडा का नाम भी ऊपर आता है. कनाडा में यह परंपरा है कि वित्त मंत्री बजट पेश करते समय नए जूते पहनते हैं. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह परंपरा कैसे विकसित हुई लेकिन 1960 के दशक के बाद से लगभग हर वित्त मंत्री बजट नए जूते पहनते हैं और इसका जिक्र तक करते हैं.

कुछ वित्त मंत्री यह दिखाने के लिए कि वे कितना सोच-समझ कर खर्च करते हैं, वो नए जूते न पहनने, या अपने पुराने जूते को ही मरम्मत करवाकर पहनने की बात करते हैं. कई तो अपनी जिम्मेदारी के प्रति समर्पण दिखाने के लिए वर्क बूट पहन कर ही जाते हैं, और इसका जिक्र भी करते हैं.

2015 में तो एक रूढ़िवादी वित्त मंत्री ने न्यू बैलेंस जूते पहनकर इस बात का जिक्र किया कि कैसे उन्होंने बजट को संतुलित किया है जबकि उनके राजनीतिक विरोधियों ने अमेरिका में बने जूते पहनने के लिए तुरंत उन पर हमला किया.

यह तो कुछ नहीं, कनाडा के राज्यों के वित्त मंत्री इससे भी 2 कदम आगे निकले. एक ने अपने इको-फ्रेंडली पॉलिसी दिखाने के लिए हरे रंग के जूते पहने तो दूसरे ने बच्चों के अनुकूल बजट दिखाने करने के लिए बच्चों के जूते खरीदे.

यूनाइटेड किंगडम- वित्त मंत्री को पसंद की ड्रिंक

ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन में रहे देशों के राजनीतिक, आर्थिक और न्यायिक तंत्र पर भी उस इतिहास का असर दिखता है. लेकिन बजट पेश करने से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है जो अभी भी केवल लंदन की संसद में ही देखी जाती है.

ब्रिटेन में शुरुआत से ही वित्त मंत्रियों द्वारा लंबी-लंबी बजट स्पीच का इतिहास रहा है. 1853 में डब्ल्यू.ई. ग्लैडस्टोन ने लगभग पांच घंटे लंबी स्पीच दी. इस तरह की लंबी स्पीचों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश बजट में एक स्थायी परंपरा बन गयी. परंपरा के अनुसार, वित्त मंत्री (जिसे वहां आधिकारिक रूप से Chancellor of the Exchequer कहते हैं) को स्पीच के दौरान अपनी पसंद के ड्रिंक ऑर्डर करने की अनुमति होती है.

वित्त मंत्री डब्ल्यू.ई. ग्लैडस्टोन ने अपने मैराथन स्पीच के दौरान ‘शैरी वाइन विथ बिटेन एग’ पसंद किया तो दूसरों ने व्हिस्की, जिन, टॉनिक और ब्रांडी का स्वाद लिया.

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