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भारत और कनाडा (India & Canada) में तनाव के बीच, यूनाइटेड किंगडम (UK) में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी को शुक्रवार, 29 सितंबर को खालिस्तान समर्थकों द्वारा स्कॉटलैंड के ग्लासगो में एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया गया.
मामला क्या है: घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, दो लोगों को उच्चायुक्त की कार के बगल में खड़ा दिखाया गया है, जबकि उनमें से एक वाहन का दरवाजा खोलने की कोशिश करता हुआ दिखाई दे रहा है, जो अंदर से बंद है.
खालिस्तान समर्थक वायरल वीडियो में कह रहा है कि...
भारत-कनाडा तनाव: यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव चरम पर है. ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि भारत सरकार कनाडा की धरती पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल थी.
वाशिंगटन से जयशंकर: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस वक्त अमेरिकी दौरे पर हैं. इस दौरान 29 सितंबर, 2023 को उन्होंने कहा कि "खालिस्तानी समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की मौत के मामले में भारत और कनाडा को मिल बैठकर मतभेद सुलझाने होंगे. वॉशिंगटन में जयशंकर ने भारतीय पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों पर कनाडा के आरोपों से जुड़ी जानकारियों पर गौर करने के लिए तैयार है."
भारत ने 29 सितंबर को इस घटना की निंदा की और सख्त आपत्ति जताई. भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में इस घटना को 'अपमानजनक' बताया है. भारत ने एक बयान में कहा कि, “29 सितंबर, 2023 को, तीन व्यक्तियों- सभी स्कॉटलैंड के बाहर के क्षेत्रों से हैं- ने समुदाय के लिए गुरुद्वारा समिति द्वारा आयोजित एक बातचीत को जानबूझकर बाधित किया है.
बयान में आगे कहा गया कि, "आयोजकों में वरिष्ठ समुदाय के नेता, महिलाएं और समिति के सदस्य और स्कॉटिश संसद के एक सदस्य शामिल थे. इन तत्वों द्वारा उन्हें धमकाया गया और दुर्व्यवहार किया गया. किसी भी संभावित विवाद को रोकने के प्रयास में, एचसी और सीजी ने उनके आने पर जल्द ही परिसर छोड़ने का फैसला किया."
ब्रिटेन की इंडो-पैसिफिक मंत्री ऐनी-मैरी ट्रेवेलियन ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की और उन्होंने सुरक्षा पर जोर दिया. एक्स पर एक पोस्ट में, ऐनी-मैरी ट्रेवेलियन ने कहा कि, "यह देखकर चिंतित हूं कि भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी को ग्लासगो में गुरुद्वारा में गुरुद्वारा समिति के साथ बैठक करने से रोक दिया गया था. विदेशी राजनयिकों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमारे लिए यूके में पूजा स्थल सभी के लिए खुले होने चाहिए."
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