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कनाडा में जारी है ट्रक-ड्राइवरों का प्रदर्शन, भारत के किसान आंदोलन जैसा माहौल

प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विरोध को खत्म करने के लिए 14 फरवरी को इमरजेंसी एक्ट लागू किया था

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<div class="paragraphs"><p>कनाडा में जारी है ट्रक-ड्राइवरों का प्रदर्शन, भारत के किसान आंदोलन जैसा माहौल</p></div>
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कनाडा में जारी है ट्रक-ड्राइवरों का प्रदर्शन, भारत के किसान आंदोलन जैसा माहौल

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट हिन्दी)

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कनाडा (Canada) में कोविड वैक्सीन मैनडेट करने के बाद राजधानी ओटावा में पिछले कई दिनों से ट्रक ड्राइवरों का आंदोलन चल रहा है. दर्जनों ट्रकों, ट्रैक्टरों और ट्रेलरों से राजधानी का घेराव किया गया है. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कोरोना टेस्ट, वैक्सीनेशन, पासपोर्ट, मास्क सब के लिए जरूरी किया और कई अन्य प्रतिबंधों को लागू किया. इन प्रतिबंधों में यह भी नियम था कि ट्रक के सभी ड्राइवरों को फुल वैक्सीनेशन करवाना होगा. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वैक्सीनेशन आजादी के लिए खतरा है.

प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विरोध को खत्म करने के लिए 14 फरवरी को इमरजेंसी एक्ट लागू किया था.

सरकार द्वारा लागू किए गए ये नियम 15 जनवरी को लागू किए गए, जिसके बाद अमेरिका से कनाडा आने वाले ट्रक ड्राइवर इससे प्रभावित हुए. बॉर्डर क्रॉस करने के लिए कोरोना टेस्ट और क्वारंटीन का भी प्रावधान किया गया था.

28 जनवरी से ‘फ्रीडम कॉन्वॉय 2022’ के बैनर तले ट्रक ड्राइवरों ने ओटावा में गाड़ी चलाना शुरू किया. एक अन्य समूह ने कनाडा के अलबर्टा प्रांत में कॉउट्स सीमा क्रॉसिंग पर एक प्रमुख हाईवे को अवरुद्ध कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक अब कनाडा के कई ट्रक ड्राइवर्स इस आंदोलन और ‘फ्रीडम कान्वॉय’ से खुद को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि ओटावा में विरोध प्रदर्शन के कारण शुरू हुए गतिरोध के कारण उनके व्यवसाय और जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है.

क्या है ट्रक ड्राइवरों की मांग?

ट्रक ड्राइवरों की प्रारंभिक मांग टीका जनादेश को वापस लेने की थी, कनाडा के लगभग 10% ट्रक ड्राइवरों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है. कोरोना नियमों में कनाडा की जनता लॉकडाउन के बावजूद सरकार का समर्थन करती है. अमेरिका ने भी बॉर्डर क्रॉस करने के लिए वैक्सीनेशन जनादेश लागू किया है.

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ट्रक ड्राइवरों के अलावा भी लोग आंदोलन में शामिल

बता दें कि अब ओटावा और अल्बर्टा में चल रहे ट्रक ड्राइवरों का विरोध प्रदर्शनों कई गैर-ट्रकरों को भी अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया है. इनमें वे लोग भी शामिल थे जिनके बिजनेस कोरोना महामारी बर्बाद हो गए. इसके अलावा कई ऐसे लोग भी आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं जिन पर कोरोन नियमों का उल्लंघन करने पर बारी जुर्माना लगाया गया था.

प्रदर्शनकारियों ने अपने अपने लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं कर रखी है, जिससे उन्हें आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

वक्त बीतने के साथ सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है.

सीबीसी न्यूज के मुताबिक ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में एक जनादेश विरोधी प्रदर्शनकारी छात्र को नस्लीय भेदभाव के साथ गाली देते हुए कैमरे में कैद किया गया था. इसके अलावा पुलिस ने अलबर्टा और ओटावा में बैरीकेडिंग की गई जगहों से कई हथियार और बहुत सारे गोला-बारूद बरामद किए.

इंडियन हाई-कमीशन ने भारतीय छात्रों के लिए जारी की एडवाइजरी

राजधानी ओटावा में इंडियन हाई-कमीशन ने तीन संस्थानों के बंद होने से प्रभावित भारतीय छात्रों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है.

शुक्रवार, 18 फरवरी को जारी एडवाइजरी में कहा गया कि हाईकमीशन से भारत के कई छात्रों ने संपर्क किया है, जो राइजिंग फीनिक्स इंटरनेशनल इंक द्वारा संचालित तीन संस्थानों में के स्टूडेंट हैं. एम कॉलेज एच मॉन्ट्रियल, शेरब्रुक में सीईडी कॉलेज और लॉन्ग्यूइल में CCSQ कॉलेज के बंद होने के बाद छात्र प्रभावित हुए हैं.

एडवाइजरी में कहा गया कि प्रभावित छात्रों की सहायता करने और इस मुद्दे पर हल निकालने के लिए हाई कमीशन की बातचीत कनाडाई सरकार, क्यूबेक प्रशासन और भारतीय समुदाय के कनाडाई सांसदों के साथ चल रही है.

इंडियन हाई कमीशन ने कहा कि अगर छात्रों को अपनी फीस ट्रांस्फर करने में कोई परेशानी होती है, तो वे क्यूबेक सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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