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अब चीन ने भूटान की जमीन पर नए दावे किए हैं और उसे विवादित क्षेत्र बताया है. ये सब 29 जून को हुई एक ऑनलाइन मीटिंग से शुरू हुआ, जब भूटान के ग्लोबल एन्वॉयरमेंट फैसिलिटी (GEF) से साकतेंग वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के विकास के लिए फंड मांगने पर चीन ने आपत्ति जताई.
ये सैंक्चुअरी पूर्वी भूटान में स्थित है. इसके बाद 5 जुलाई को चीन के विदेश मंत्रालय ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि चीन और भूटान की सीमा कभी परिसीमित नहीं की गई और "लंबे समय से पूर्वी, केंद्रीय और पश्चिमी सेक्शन पर विवाद है". साथ ही चीन ने 'तीसरी पार्टी' को इसमें दखल न देने की चेतावनी दी.
रिपोर्ट का कहना है कि चीन का 'तीसरी पार्टी' बोलना भारत की तरफ इशारा था. चीन के दावों का भारत पर भी प्रभाव होगा क्योंकि भूटान के साथ भारत अरुणाचल प्रदेश में बॉर्डर साझा करता है और राज्य के कई हिस्सों पर चीन अपना दावा करता आया है.
ऑनलाइन मीटिंग में भूटान ने चीन के दावों पर आपत्ति जताई और GEF ने प्रोजेक्ट की फंडिंग को मंजूरी दे दी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि GEF ने चीन के दावों को खारिज किया था. GEF एक अमेरिका स्थित संगठन है, जिसे 1992 में एन्वॉयरमेंट सेक्टर के प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस करने के लिए बनाया गया था.
सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1984 से 2016 तक चीन और भूटान के बीच 24 राउंड की बातचीत हो चुकी है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भूटान की संसद और इन मीटिंग के दूसरे पब्लिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि बातचीत सीमा के पश्चिमी और केंद्रीय सेक्शन में विवाद पर ही केंद्रित रही है.
साकतेंग पर दावे को नए कहे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "ये नए विवादित इलाके नहीं हैं. चीन हमेशा चाहता है कि भूटान के साथ सीमा विवाद बातचीत के जरिए सुलझ जाए."
द भूटानीज के एडिटर तेनजिंग लामसैंग ने इस विवाद पर अपना नजरिया समझाने के लिए कई ट्वीट किए.
तेनजिंग लामसैंग ने कहा, "24 सीमा बातचीत में दोनों पक्षों की तरफ से मंजूर हुए सिर्फ 2 विवादित इलाकों पर बात हुई है (पश्चिम में 269 स्क्वायर किमी & उत्तर-केंद्रीय भूटान में 495 स्क्वायर किमी). चीन ने कभी इसे नहीं उठाया और इसलिए पूर्वी भूटान में कोई विवाद नहीं है."
इस विवाद को सुलझाने की जरूरत पर बात करते हुए तेनजिंग ने कहा, "भूटान और चीन को सीमा विवाद हल करना होगा, नहीं तो ऐसे ही झूठे दावे प्रेशर टेक्टिक के तौर पर आते रहेंगे. और ये इलाके में भारत के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए होना चाहिए."
Massachusetts Institute of Technology (MIT) में चीन की विदेश और सुरक्षा नीतियों को पढ़ रहे एम टेलर फ्रावेल ने कहा, "चीन के मैप साकतेंग या पास के इलाकों को चीन के क्षेत्र में नहीं दिखाते हैं."
हालांकि टेलर फ्रावेल ने कहा, "ये मैप चीन के 1980 के दशक के दावों को दिखाते हैं और एक संभावना ये हो सकती है कि चीन ने पहले इस दावे पर सोचा होगा लेकिन सीमा बातचीत के दौरान इसे नहीं उठाया और अब फिर उठा रहा है. लेकिन मैं सिर्फ कयास लगा रहा हूं."
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