Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नेपाल: ओली-दहल के बीच की बैठक फिर बिना निष्कर्ष खत्म, संकट बरकरार

नेपाल: ओली-दहल के बीच की बैठक फिर बिना निष्कर्ष खत्म, संकट बरकरार

नेपाल में हमेशा गठबंधन वाली सरकारें ही बनीं. इनके घटक दलों में हमेशा देशहित से ज्यादा पार्टी-हित की होड़ रही.

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
नेपाल: ओली-दहल के बीच की बैठक फिर बिना निष्कर्ष खत्म, संकट बरकरार
i
नेपाल: ओली-दहल के बीच की बैठक फिर बिना निष्कर्ष खत्म, संकट बरकरार
(फाइल फोटो: IANS)

advertisement

नेपाल की सत्ताधारी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का संकट बरकरार है. पार्टी के सदस्य तोड़फोड़ को रोकने के लिए सुलह की गुंजाइश ढूंढ रहे हैं लेकिन आसार नजर नहीं आ रहा हैं. इस बीच एनसीपी के चेयरमैन कमल दहल प्रचंड और प्रधानमंत्री केपी ओली के बीच 6 जुलाई को एक और मीटिंग बिना किसी सहमति के खत्म हो गई. नेपाल की ऑनलाइन वेबसाइट काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, रविवार को भी दोनों के बीच बैठक हुई थी, लेकिन दोनों ही अपनी बात से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि पार्टी टूट की राह पर है और प्रधानमंत्री केपी ओली की कुर्सी खतरे में है.

विवाद आखिर है क्यों?

राजशाही खत्म होने के बाद साल 2015 में नेपाल में नया संविधान बना और लागू हुआ था.राजशाही के पतन के बाद नेपाल में हमेशा गठबंधन वाली सरकारें ही बनीं. इनके घटक दलों में हमेशा देशहित से ज्यादा पार्टी-हित की होड़ रही.

2015 से अबतक नेपाल में कई बार सत्ता अस्त-व्यस्त नजर आई और प्रधानमंत्री बदलते रहे. इस बार जो संकट पैदा हुआ है, वो केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री और NCP के चेयरमैन के बीच का मतभेद नजर आता है. बीच में कई बार ऐसी खबरें आईं थी दोनों के बीच मतभेद है. इस पर मुहर तब लग गई जब केपी शर्मा ओली ने खुद ही सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि उन्हें पद से हटाए जाने की साजिश रची जा रही है. अपनी ही पार्टी के चेयरमैन और नेताओं पर आरोप लगाए जाने और साजिश में भारत का 'एंगल' देने के बाद केपी शर्मा ओली की दिक्कतें और बढ़ गईं.

काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्टैंडिंग कमेटी के 44 में से 30 मेंबर्स ने ओली के बतौर प्रधानमंत्री इस्तीफे की मांग की है. खबरें ये भी आ रही हैं कि ओली ने विपक्षी पार्टी के नेताओं से भी बातचीत की है.

खबरों के मुताबिक, नवंबर 2019 में पार्टी में ये तय हुआ था कि केपी शर्मा ओली पूरे 5 साल के लिए बतौर प्रधानमंत्री देश का नेतृत्व संभालेंगे और दहल एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर पार्टी को संभालेंगे. लेकिन ओली ने इस समझौते का पालन नहीं किया. हालिया, बातचीत में अब दहल ने मई 2018 के समझौते को दोबारा के लिए दबाव बनाया है, जिसके मुताबिक, दोनों ही नेता ढाई-ढाई साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे. अब दोनों ही अपनी-अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है. इसलिए पार्टी में टूट की आशंका बनी हुई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT