China Two Sessions 2021: सबसे बड़ी राजनीतिक बैठक पर दुनिया की नजर

5 मार्च से नेशनल पीपल्स कांग्रेस और 4 मार्च से चाइनीज पीपल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस

नमन मिश्रा
दुनिया
Updated:
ग्रेट हॉल ऑफ पब्लिक और शी जिनपिंग
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ग्रेट हॉल ऑफ पब्लिक और शी जिनपिंग
(फोटो: Altered By Quint)  

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मार्च का महीना चीन की राजनीति में महत्वपूर्ण होता है. मार्च के शुरुआती हफ्ते में चीन की दो सबसे बड़ी राजनीतिक संस्थाओं की वार्षिक बैठक होती है और ये कोई आम वाकया नहीं होता है. इस साल 5 मार्च से नेशनल पीपल्स कांग्रेस (NPC) और 4 मार्च से चाइनीज पीपल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (CPPCC) शुरू होने जा रही है. इन दोनों को साथ में 'टू सेशंस' कहा जाता है. इस बार NPC और CPPCC पर और ज्यादा नजरें टिकी रहने की कई वजहें हैं.

साल 2021 चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) का शताब्दी वर्ष है. दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का चीन के हर ओर-छोर, संस्था, पहलू पर नियंत्रण है. दूसरी बात इस बार 'टू सेशंस' कोरोना वायरस महामारी और अमेरिका में सरकार बदलने के बाद और भारत-चीन के बीच लद्दाख में हुए तनाव के बाद हो रहे हैं. इसी में अगली पंच-वर्षीय योजना का ऐलान भी होना है. इसलिए सबकी नजर बीजिंग पर बनी हुई है.

चीन की सरकार पंच-वर्षीय योजना के साथ ही ‘2035 विजन’ लॉन्च करेगी. ये कम्युनिस्ट पार्टी का देश के लिए अगले 15 सालों का ब्लूप्रिंट होगा. दुनियाभर में चीन के एजेंडे को कैसे स्थापित करना है और खासकर भारत-जैसे पड़ोसी देशों के लिए क्या रणनीति होगी, इसका रोडमैप पेश किया जाएगा. वैसे तो NPC का ज्यादातर फोकस घरेलू मुद्दों को लेकर रहता है लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही साथ भारत-चीन के बीच हुए सीमा विवादों के बाद कुछ ऐसे भी मुद्दे रखे जा सकते हैं. 

हालांकि, इस बार भी NPC और CPPCC ज्यादातर वर्चुअल इवेंट ही रहेगा क्योंकि चीन में अभी भी COVID-19 संबंधित सख्त प्रतिबंध लगे हुए हैं. लेकिन साल 2021 के 'टू सेशंस' में क्या देखने को मिल सकता है, इससे पहले इनके बारे में और चीन की राजनीति से संबंधित बुनियादी चीजें समझ लेते हैं.

चीन में कौन-क्या है?

NPC - नेशनल पीपल्स कांग्रेस चीन की सबसे बड़ी संसदीय संस्था है. इसे चीन की संसद भी कहा जा सकता है. NPC के 3000 सदस्य प्रांतों, ऑटोनोमस क्षेत्रों और म्युनिसिपेलिटी से आते हैं और साल में एक बार महत्वपूर्ण कानूनों को पास करने के लिए जुटते हैं. इस बार ये सत्र 5 मार्च से शुरू है. ये बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ पब्लिक में होगा. NPC को रबर स्टांप संसद कहा जाता है क्योंकि इसका काम सिर्फ कानूनों पर औपचारिक वोट करना है. चीन में असली ताकत कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पास है.

CPPCC - चाइनीज पीपल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस चीन की टॉप पॉलिटिकल एडवाइजरी बॉडी है. इसके करीब 2200 सदस्य विभिन्न राजनीतिक दल, सामाजिक समूह, पेशे और अलग संस्था और सेक्टर से आते हैं. इसका सत्र 4 मार्च से शुरू हो रहा है और इसमें अर्थव्यवस्था से लेकर विदेशी मामलों और खेल तक पर बात होगी. CPPCC की कमेटियां सरकार के लिए कुछ प्रस्ताव तैयार करती हैं. लेकिन इनके पास कानून बनाने की ताकत नहीं है.

CPC - चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी चीन की सर्वेसर्वा है. हर सरकारी विभाग, संसदीय कमेटी, मिलिट्री, कोर्ट पर पार्टी का नियंत्रण है. NPC में जो कानून वोट के लिए जाते हैं, वो CPC ही प्रस्तावित करती है. पार्टी की सबसे ताकतवर संस्था उसकी पोलितब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी है. इसके सात सदस्य चीन के सबसे प्रभावशाली नेता हैं. राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रीमियर ली कुचियांग इस कमेटी के सदस्य हैं.

ली कुचियांग - चीन के प्रीमियर का ओहदा किसी देश के प्रधानमंत्री जैसा होता है. प्रीमियर सरकार का अध्यक्ष होता है. NPC में अर्थव्यवस्था के आंकड़े बताना और CPC के बनाए कानूनों का पास कराना प्रीमियर का ही काम है. ली कुचियांग चीन के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं.

ली कुचियांग, चीन के प्रीमियर(फोटो: Wikipedia) 

शी जिनपिंग - चीन का राष्ट्रपति देश का अध्यक्ष होता है. जिनपिंग चीन में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं. उनकी ताकत सिर्फ राष्ट्रपति होने से नहीं है, वो कम्युनिस्ट पार्टी के जनरल सेक्रेटरी हैं और सेना को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के जरिए नियंत्रित भी करते हैं.

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नेशनल पीपल्स कांग्रेस में क्या देखने को मिलेगा?

इस साल NPC में सबसे बड़ा एजेंडा चीन की 14वीं पंच-वर्षीय योजना को पास करना है. वैसे तो NPC एक औपचारिक कार्यक्रम होता है लेकिन इस साल पंच-वर्षीय योजना की वजह से इसका महत्त्व बढ़ गया है. ये योजना ही बताएगी कि चीन अगले पांच सालों में क्या और किस तरह करने वाला है.

टेक्नोलॉजी पर जोर - ये पहली पंच-वर्षीय योजना होगी जिसमें टेक्नोलॉजी पर एक पूरा चैप्टर है. चीन अपने आर्थिक विकास में टेक्नोलॉजी को काफी महत्त्व देता रहा है और समय के साथ उसने इस क्षेत्र को अपनी प्राथमिकता बनाया है. अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के बाद चीन के लिए टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना और भी जरूरी हो गया है.

पिछले साल नवंबर में पंच-वर्षीय योजना पर जो जानकारी सामने आई थी, उसके मुताबिक चीन घरेलू कंज्यूमर डिमांड को बूस्ट करने और हाईटेक सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने पर फोकस करेगा.

CPC के लिए अहम है ये साल - 2021 चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का शताब्दी वर्ष है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए पार्टी का जनरल सेक्रेटरी होने के नाते NPC में पार्टी की एकता दिखाना अहम हो जाएगा. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जिनपिंग के 'हमेशा के लिए राष्ट्रपति' बनने पर CPC में विरोध के स्वर उठ रहे हैं, लेकिन ये इतने तेज भी नहीं हैं कि कोई असर दिख पाए.

प्रीमियर ली कुचियांग के साथ भी जिनपिंग के विवाद की खबरें आती रही हैं. हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी में किसी तरह की बड़ी फूट नहीं है और जिनपिंग ने पोलितब्यूरो से कहा है कि ‘शताब्दी वर्ष के लिए माकूल सामाजिक माहौल’ बनाया जाए.  

अर्थव्यवस्था की हालत का ब्योरा - NPC के पहले दिन प्रीमियर GDP के आंकड़े बताते हैं. चीन ने पिछले साल महामारी की वजह से ऐसा नहीं किया था और संभावना है कि इस साल भी ऐसा ही होगा. हालांकि, सरकार अपने लक्ष्य और नजरिया पेश कर सकती है. पिछले साल चीन की अर्थव्यवस्था 2.3% से बढ़ी थी. वो अकेली बड़ी अर्थव्यवस्था थी जो महामारी के बीच अच्छा प्रदर्शन कर पाई थी.

जिनपिंग ने 2035 तक अर्थव्यवस्था को दुगना करने का लक्ष्य रखा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि चीन को इसके लिए लगभग 5% की विकास दर से बढ़ना होगा. सरकार 2021 में महामारी की वजह से दिए गए स्टिमुलस को कम कर सकती है और कर्जा घटाने पर ध्यान दे सकती है. ये सब कैसे किया जाएगा, NPC में इसका ब्योरा दिया जाएगा.

जनसंख्या पर होनी चाहिए चिंता - चीन इस समय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा देश है. हालांकि, द लांसेट में पिछले साल छपी एक रिपोर्ट का कहना है कि देश की जनसंख्या साल 2100 तक 732 मिलियन तक कम हो सकती है.

चीन की जनसंख्या तेजी से बूढ़ी हो रही है और इसका असर उसकी लेबर फोर्स पर पड़ेगा. चीन में ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ को लेकर सख्त प्रतिबंध हैं और अगर चीन को अपनी घटती लेबर फोर्स समस्या से पार पाना है तो इन प्रतिबंधों में ढील देनी होगा. ऐसी संभावना है कि NPC में इसे लेकर कुछ ऐलान हो सकते हैं.  

इन सब मुद्दों के अलावा NPC में हॉन्गकॉन्ग के इलेक्टोरल सिस्टम में बदलाव और अमेरिका के साथ बदलते समीकरण पर भी फोकस रहेगा. ट्रंप प्रशासन में चार साल तक चीन और अमेरिका के रिश्ते टूटने की कगार पर बने रहे थे. चीन अब बाइडेन प्रशासन के साथ रिश्तों को फिर रास्ते पर लाने की कोशिश कर सकता है. हालांकि, बाइडेन सरकार मानवाधिकारों, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान के मुद्दों को लेकर ज्यादा सजग दिखती है और ये चीन के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है.

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Published: 03 Mar 2021,06:13 PM IST

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