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चीन के सबसे बड़े रॉकेट के कुछ हिस्से 9 मई की सुबह हिंद महासागर में गिरे. रॉकेट का ज्यादातर हिस्सा पृथ्वी के वायुमंडल में घुसने के समय नष्ट हो गए. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रॉकेट मालदीव आइलैंड समूह के पश्चिम में गिरा है.
चीन की मीडिया के मुताबिक, राकेट 10:24 am बीजिंग समय (7:54 am भारतीय समय) पर वायुमंडल में घुसा था. इस घटना की कई दिनों से सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा चल रही थी.
क्योंकि रॉकेट अनियंत्रित होकर दोबारा पृथ्वी पर गिर रहा था, तो किसी को अनुमान नहीं था कि ये कहां लैंड करेगा.
कई दफा अनुमान लगाया गया कि चीन के रॉकेट का मलबा अमेरिका में न्यू यॉर्क, लॉस एंजेलेस, स्पेन में मेड्रिड, ब्राजील में रियो डी जेनेरियो समेत कई जगहों पर गिर सकता है. हालांकि, कोई भी रॉकेट की दिशा का सही अनुमान नहीं लगा सकता था क्योंकि ये पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से गिर रहा था.
सामान्य रूप से रॉकेट पृथ्वी के ऑर्बिट तक नहीं पहुंचता है और नियंत्रित ढंग से पृथ्वी पर लौट जाता है.
रॉकेट का फ्यूल खत्म होने के बाद वो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से ऑर्बिट से निकलकर वायुमंडल में प्रवेश कर गया. ऑर्बिट से ऐसी कई छोटी-बड़ी सैटेलाइट गिर जाती हैं लेकिन पृथ्वी की सतह पर गिरने से पहले ही वो वायुमंडल में नष्ट हो जाती हैं. हालांकि, चीन का ये रॉकेट 98 फीट ऊंचा और 20 टन वजनी था, इसलिए इसके कुछ हिस्से नष्ट होने से बच गए.
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