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पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 2 नवंबर यानी मंगलवार को ग्लासगो में COP26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (Climate Change Summit) में द्वीपीय देशों में इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेसिलिएंट आइलैंड स्टेट्स (IRIS) के लॉन्च कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि छोटे द्वीपीय देशों की मदद करना अपने पापों के प्रायश्चित की तरह है.
पीएम ने कहा, ''पिछले कुछ दशकों ने सिद्ध किया है कि जलवायु परिवर्तन से कोई अछूता नहीं है. चाहे वो विकसित देश हों या प्राकृतिक संसाधनों से धनी देशों हों. सभी के लिए यह खतरा है. इसका सबसे ज्यादा खतरा छोटे द्वीपीय देशों को है, उनके लिए जलवायु परिवर्तन से खतरा जीवन-मृत्यु की बात है. इन देशों के लिए जलवायु परिवर्तन से आई आपदा उनके अस्तित्व को चुनौती हैं.''
उन्होंने आगे कहा, ''द्वीपीय देशों की अर्थव्यवस्था के लिए काफी जलवायु परिवर्तन काफी चुनौती है. क्योंकि इनमें से ज्यादातर पर्यटन पर निर्भर है.''
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की स्पेस एजेंसी इसरो, सिड्स (CIDS) के लिए एक स्पेशल डेटा विंडो का निर्माण करेगी, इससे सिड्स को सैटेलाइट के माध्यम से सायक्लोन, कोरल-रीफ मॉनीटरिंग, कोस्ट-लाइन मॉनीटरिंग आदि के बारे में timely जानकारी मिलती रहेगी.
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