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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को मिलने वाली फंड बंद करने का फैसला किया हैं. ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में WHO की भूमिका की जांच की जाएगी.
इससे पहले ट्रंप ने WHO पर आरोप लगाए थे उसने ताइवान की जानकारी ग्लोबल हेल्थ कम्युनिटी से छिपाई .
ट्रंप का ये फैसला ऐसे समय आया है, जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है. ऐसा पहली बार नहीं है कि ट्रंप ने यूनाइटेड नेशन के आर्गेनाइजेशन को निशाना बनाया है. UNESCO, WTO जैसी दूसरी संस्था भी ट्रंप के निशाने पर रही हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने WHO पर ताइवान की चेतावनी नजरअंदाज कर राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया था.
WHO ने AFP न्यूज एजेंसी को भेजे एक ईमेल में इन आरोपों से इनकार किया था. WHO ने कहा था कि उसने 31 दिसंबर को ताइवान के प्रशासन से एक ईमेल मिला, जिसमें "वुहान में एटिपिकल न्यूमोनिया के केसों की प्रेस रिपोर्ट और वुहान अधिकारियों का मानना था कि "ये SARS" या सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम नहीं है, जिसके कारण 2002-2003 में 774 लोगों की जान चली गई थी" बात लिखी थी. WHO ने कहा कि उस मेल में आदमी-से-आदमी ट्रांसमिशन की कोई बात नहीं लिखी थी.
दुनियाभर में कोरोनावायरस के मामलों और रिसर्च को ट्रैक कर रही अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेटा के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना वायरस के कंफर्म केसों की संख्या 19 लाख 18 हजार पार कर गई है. इसमें से 4 लाख 49 हजार लोग रिकवर हो चुके हैं. वहीं, पूरी दुनिया में 1 लाख 19 हजार से ज्यादा लोग इस महामारी के कारण जान गंवा चुके हैं.
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