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महाभियोग सुनवाई: ट्रंप की किस्मत अब ईयू में अमेरिकी राजदूत के हाथ

ट्रंप ने सॉन्डलैंड से जो बाइडेन के खिलाफ जांच की प्रगति के बारे में पूछा था 

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ट्रंप के खिलाफ सुनवाई में  सॉन्डलैंड की गवाही अहम साबित होगी
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ट्रंप के खिलाफ सुनवाई में  सॉन्डलैंड की गवाही अहम साबित होगी
(फोटो : Altered by quint hindi) 

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महाभियोग सुनवाई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की किस्मत अब बहुत कुछ गॉर्डन सॉन्डलैंड के हाथ में है. सॉन्डलैंड यूरोपीय यूनियन में अमेरिकी राजदूत हैं. उनसे इस महाभियोग प्रक्रिया के बारे में जरूर पूछताछ होगी. इस साल जुलाई में उन्होंने यूक्रेन से ट्रंप को फोन किया था. इस दौरान ट्रंप ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन के खिलाफ जांच के बारे में उनसे पूछा था. इस पर सॉन्डलैंड ने उन्हें कथित तौर पर यह विश्वास दिलाया था कि यह जरूर आगे बढ़ेगी.

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच में पहली बार वॉशिंगटन में सार्वजनिक सुनवाई की जा रही है. जांच में ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन पर जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेन्स्की पर दबाव बनाया था. हालांकि ट्रंप इससे लगातार इंकार करते रहे हैं.सुनवाई शुरू करते हुए यूक्रेन में अमरीकी राजदूत बिल टेलर ने कहा है कि डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडेन के खिलाफ यूक्रेन में जांच शुरू करने के लिए खुद ट्रंप ने कहा था.टेलर ने कहा है कि उनके स्टाफॉ को बताया गया था कि बाइडेन के खिलाफ जांच के लिए ट्रंप मन बना चुके थे.

प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन पर दबाव बनाने की ‘साजिश’

डेमोक्रेट्स का आरोप है कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर जो बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का दबाव बनाया. और ऐसा ना करने पर यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने की धमकी दी.इस आरोप के बाद अमरीकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पलोसी ने राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की . डोनाल्ड ट्रंप महाभियोग प्रक्रिया का सामना करने वाले चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं. अमेरिकी संसद में महाभियोग प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया. आइए देखते हैं यह प्रक्रिया कैसे शुरू होती है. राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव कैसे लाया जाता है

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ऐसे चलती है महाभियोग प्रक्रिया

शुरुआत संसद में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से शुरू होती है. संसद का कोई भी सदस्य महाभियोग प्रस्ताव ला सकता है या जांच शुरू कराने के लिए पूरा सदन वोट दे सकता है. इसके बाद स्पीकर सदन के ज्यूीडिशयरी पैनल को यह जांच करने के लिए कह सकता है कि महाभियोग चलाया जा सकता है या नहीं. प्रस्ताव पर पूरा सदन वोट करता है. अगर यह मंजूर हो गया तो प्रक्रिया सीनेट में जाती है. सुनवाई के दौरान प्रेसिडेंट खुद हाजिर हो सकते हैं या फिर उनका वकील हाजिर हो सकता है.

राष्ट्रपति यह कह सकते हैं कि वे दोषी नहीं हैं और हाजिर नहीं होंगे. अगर प्रेसिडेंट एक से ज्यादा आर्टिकल्स के तहत दोषी ठहराए जाते हैं तो सदन सभी में वोटिंग न करने का विकल्प आजमा सकता है. अगर प्रेसिडेंट पर महाभियोग लाया जाता है तो उप राष्ट्रपति पद संभाल सकते हैं.

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Published: 17 Nov 2019,10:44 PM IST

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