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फ्रांस का राष्ट्रपति चुनाव (France Presidential Elections 2022) जीतकर इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) फिर से अगले पांच साल के लिए राष्ट्रपति बन गए हैं. अंतिम परिणामों के मुताबिक इमैनुएल मैक्रों को जहां 58.5% वोट मिले वहीं उनकी प्रतिद्वंदी और दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन के हिस्से 41.5% वोट आए. फ्रांस से आई इस खबर ने एक तरफ अमेरिका सहित यूरोपीय यूनियन के सहयोगी देशों को राहत दी है. लेकिन दूसरी तरफ मरीन ले पेन को मिले वोटों के आंकड़े मैक्रों के सामने मौजूद चुनौतियां गिना रहे हैं.
इमैनुएल मैक्रों की पहचान मध्यमार्गी (सेंट्रिस्ट) और यूरोपीय यूनियन समर्थक राष्ट्रपति के रूप में है. इमैनुएल मैक्रों राष्ट्रपति चुनाव जीत तो गए हैं लेकिन चुनाव में कट्टर दक्षिणपंथी मरीन ले पेन के प्रदर्शन (40% से भी अधिक वोट) ने एक गहरे विभाजित फ्रांस का खुलासा किया है. यह दिखाता है कि फ्रांस में अल्ट्रा राइट विंग अब राजनीति की मुख्यधारा का हिस्सा बन चुका है और समाज में उसे बड़े स्तर पर मान्यता भी प्राप्त है.
फ्रांस में महंगाई के मुद्दों पर आवाज उठाकर, वर्किंग क्लास हितैषी इमेज बनाकर, अपनी पार्टी का नाम बदलकर और अपने पिता Jean-Marie से दूरी बनाकर, Marine Le Pen ने अपना समर्थक बेस बढ़ाया और फ्रांस के उन वोटरों की बढ़ती संख्या को अपने करीब किया है, जो पेरिस में बैठे मौजूदा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं.
यही कारण है कि इमैनुएल मैक्रों की जीत के बाद पेरिस और ल्यों की सड़कों पर ऐसे नौजवानों की भीड़ उतरी जो नतीजों से निराश थी और पुलिस पर हमला करने को तैयार भी थी.
फ्रांस में चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले राष्ट्रपति को नई बहुमत वाली सरकार चाहिए. जून में संसदीय चुनावों में फ्रांस की जनता फिर से वोट डालेगी.
2017 में अपने चुनावी जीत के बाद से ही इमैनुएल मैक्रों के लिए गहरे स्तर तक यूरोपीय देशों के एकीकरण का सवाल महत्वपूर्ण रहा है. तब उनकी जीत की रैली में यूरोपीय यूनियन का एंथम- Beethoven’s Ode to Joy गूंजता था.
हालांकि इस बार चुनावी कैंपेन के दौरान उन्होंने यूरोपीय एकीकरण के राग तो थोड़ा कम गाया. इमैनुएल मैक्रों ने अपने लक्ष्य को "राष्ट्रीय और यूरोपीय संप्रभुता" के रूप में सामने रखा है.
इमैनुएल मैक्रों ने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के खिलाफ यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों का समर्थन किया है. उनकी सरकार ने कहा कि वह रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगी. मैक्रों ने Bucha में रूसी अत्याचारों को "युद्ध अपराध" की संज्ञा भी दी.
लेकिन साथ ही उन्होंने हमेशा मॉस्को के साथ बातचीत की वकालत की है. 2017 में इमैनुएल मैक्रों की चुनावी जीत के तीन हफ्ते बाद ही व्लादिमीर पुतिन बहुत धूमधाम वाले समारोह के बीच वर्साय आए थे. G7 शिखर सम्मेलन से पहले मैक्रों निवास का भी दौरा किया था. हालांकि इस तरह की बैठकें रूस के साथ तनाव कम करने में विफल रहीं.
दूसरी तरफ युद्ध शुरू होने के बाद मैक्रों का स्टैंड रहा है कि फ्रांस और यूरोप को यूक्रेन में सीधे सैन्य हस्तक्षेप से बचना चाहिए. उनका तर्क है कि इसे संघर्ष को बढ़ाने या "नया विश्व युद्ध" शुरू करने के रूप में देखा जाएगा.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध लम्बा खींचता है तो मैक्रों के लिए रूस के खुले विरोध और बातचीत के लिए रास्ता खुला रखने के बीच संतुलन बनाये रखना मुश्किल हो सकता है.
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