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इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने फ्रांस का राष्ट्रपति चुनाव (France Presidential Elections 2022) एक बार फिर जीत लिया है. अपनी प्रतिद्वंदी राइट-विंग नेता Marine Le Pen को हराकर मैक्रों दूसरी बार फ्रांस के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.
चुनाव के परिणाम साफ होने के बाद, मैक्रों के खाते में 58.6% वोट आए, वहीं, पेन को केवल 41.5% वोट मिले. इसी जीत के साथ, मैक्रों 20 साल में दोबारा राष्ट्रपति बनने वाले पहले फ्रेंच नेता बन गए हैं.
इमैनुएल मैक्रों की इस जीत का अंतर 2017 की तुलना में बहुत कम है, क्योंकि तब इमैनुएल मैक्रों ने 66.1 प्रतिशत वोट अपने नाम किये थे जबकि मरीन ले पेन को 33.9 प्रतिशत हिस्सा मिला था. बावजूद इस तथ्य के इमैनुएल मैक्रों अपनी इस जीत से संतुष्ट होंगे, क्योंकि दो सप्ताह पहले तक दोनों के बीच कांटे का मुकाबला चल रहा था.
Emmanuel Macron की सत्ता में वापसी संकेत है कि फ्रांस की जनता ने कोविड-19 संकट पर उनके प्रभावी नेतृत्व, अर्थव्यवस्था में फिर से जान भरने और राजनीतिक स्पेक्ट्रम के पूरे केंद्र पर कब्जा करने के हुनर को अपनी सहमति दी है.
Marine Le Pen लंबे समय से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पक्षधर रही हैं. खुद उनकी पार्टी का स्टैंड नाटो के प्रति शत्रुतापूर्ण रहा है. यही कारण है कि Emmanuel Macron का फिर से राष्ट्रपति बनना अमेरिका और फ्रांस के यूरोपीय सहयोगियों के लिए राहत भरी खबर है, खासकर ऐसे समय में जब यूक्रेन में युद्ध छिड़ा हुआ है.
याद रहे कि Marine Le Pen पहले भी ब्रेक्जिट (Brexit) की तर्ज पर फ्रांस को यूरोपीय यूनियन से बाहर करने का नारा दे चुकी हैं. Brexit से पहले से ही कमजोर हो चुके यूरोपीय यूनियन के लिए फ्रांस की विदाई बड़ी कष्टदायक हो सकती थी.
यह नतीजे यूरोप के वास्तविक नेता के रूप में Emmanuel Macron के नाम पर मुहर लगा देंगे. इसका एक बड़ा कारण है कि अब जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने रिटायरमेंट ले ली है और उनके उत्तराधिकारी यूक्रेन युद्ध के उथल-पुथल से घिरे हुए हैं. दूसरी तरफ UK के प्रधानमंत्री बोरिस अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.
लेकिन फ्रांस में 44 वर्षीय Emmanuel Macron के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि क्या फ्रांसीसी जनता ने उन्हें फिर से जिताने के लिए वोट दिया है या केवल Marine Le Pen को सत्ता से दूर रखने के लिए?
यदि Marine Le Pen को सत्ता से दूर रखने के लिए जनता ने मैक्रों को जिताया है तो उन्हें अविलंब अभी एक कठिन कार्यकाल का सामना करना पड़ सकता है. यह देश का और अधिक ध्रुवीकरण कर सकता है और फ्रांसीसी राजनीति में दक्षिणपंथी पार्टियों को हावी कर सकता है.
फ्रांस में जून में संसदीय चुनाव होंगे, यानी खेल अभी खत्म नहीं हुआ है. राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार के बाद के भाषण में, Marine Le Pen ने जून में अपने समर्थकों से अपनी पार्टी का समर्थन करने का आह्वान किया है.
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