Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना ने बीते साल यूरोप पर दूसरी बार अटैक किया था,तब क्या हुआ था?

कोरोना ने बीते साल यूरोप पर दूसरी बार अटैक किया था,तब क्या हुआ था?

2020 की गर्मियों में जब कोरोना के मामले घटने लगे, यूरोप को COVID-19 की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा.

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
COVID-19 का प्रकोप वुहान, चीन में दिसंबर 2019 में दिखाई दिया और तेजी से यूरोप (EU) में फैल गया.
i
COVID-19 का प्रकोप वुहान, चीन में दिसंबर 2019 में दिखाई दिया और तेजी से यूरोप (EU) में फैल गया.
(फोटो: iStock)

advertisement

भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. बेशक, आंकड़े डराने वाले हैं लेकिन जो हो रहा है वो होना ही था, क्योंकि ये कई देशों में हो चुका है. बेहतर होता कि उनके हालात से हम कुछ सीख लेते, केस कम होने पर सुरक्षा उपायों में ढील न देते और नियमों का सख्ती से पालन करना जारी रखते.

COVID-19 का प्रकोप वुहान, चीन में दिसंबर 2019 में दिखाई दिया और तेजी से यूरोप (EU) में फैल गया. 2020 की गर्मियों में जब कोरोना के मामले घटने लगे, यूरोप को COVID-19 की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा. जुलाई के मध्य से स्पेन और फ्रांस में दूसरी लहर के शुरुआत के संकेत मिलने लगे थे और मामलों में बढ़त दिखने लगी थी.

नवंबर में यूरोप में स्थिति गंभीर हो गई थी. नए संक्रमण की दर अक्टूबर महीने के मुकाबले 3 गुना हो गई थी, हर दिन 2 लाख कोरोना केस मिल रहे थे.

फ्रांस, स्पेन, इटली और ब्रिटेन सभी यूरोपीय देशों में नए मामलों में उछाल देखने को मिला - और सबसे ज्यादा मौतें हुईं.

नवंबर में फ्रांस में सख्त पाबंदियां लागू थीं. वहां अस्पतालों में आधे ICU बेड भर चुके थे, और वायरस के प्रसार के मॉडलिंग ने संकेत दिया कि देश का हेल्थ केयर सिस्टम के हालात 2 सप्ताह के भीतर पहली लहर के पीक की तरह हो जाएंगे.

(सोर्स: Our world in data)(26 नवंबर: कोरोना वायरस के कारण प्रति मिलियन मौतों की संख्या)

बेल्जियम, जो पहली लहर में बुरी तरह से पीड़ित था, नवंबर के अंतिम हफ्ते में दूसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण दर वाला यूरोपीय देश बन गया. वहां रेस्तरां, बार और कैफे बंद कर दिए गए और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू कर दिया गया.

चेक गणराज्य जिसे माना जा रहा था कि कोरोनावायरस के कहर से बच गया है, वहां अक्टूबर में केसलोड 4 गुना से अधिक हो गया, जिससे अस्पताल भर गए. इस देश ने दुनिया में सबसे ज्यादा एक हफ्ते में हुई मौतों का औसत का आंकड़ा तक छू लिया.

जर्मनी में चांसलर एंजेला मर्केल ने अक्टूबर में कहा था कि अगर लोगों ने अपना व्यवहार नहीं बदला, तो क्रिसमस पर देश को प्रति दिन 19,000 नए संक्रमणों का सामना करना पड़ेगा और वाकई 25 दिसंबर को 19487 केस दर्ज किए गए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

स्पेन में जुलाई से ही कोविड केस में दोबारा बढ़त दिखनी शुरू हो गई थी. पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा इंफेक्शन रेट यहां दर्ज किया जा रहा था. 18 सितंबर को मैड्रिड में 37 सबसे प्रभावित जगहों पर आंशिक लॉकडाउन लगाया गया. रेस्त्रां और रिटेल दुकानों पर लोगों की संख्या सीमित रखने का आदेश दिया गया.

वेबसाइट ourworldindata.org द्वारा बनाए गए डेटाबेस के मुताबिक, मार्च, अप्रैल और मई 2020 के महीनों में, यूरोप में हर दिन 35000 से 38000 कोविड -19 मामले दर्ज हो रहे थे. मामले बीच में कम हुए लेकिन 5 नवंबर को यूरोप ने एक ही दिन में 2.5 लाख से ज्यादा केस दर्ज किए.

अमेरिका भी कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा था. अमेरिका में रोजाना मिलने वाले नए केस की संख्या 88000 को पार कर गई थी.

एक्सपर्ट्स ने इसके 2 बड़े कारण बताए थे. दरअसल, गर्मियों में कोरोना वायरस केस की संख्या कम होने के बाद लोगों ने सावधानियों और नियमों का पालन कम कर दिया और तापमान में गिरावट की वजह से लोग ज्यादातर घर के अंदर रहे. घर के अंदर लोगों का मिलना-जुलना जारी रहा. स्टडी के मुताबिक बंद कमरे में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ता है.

इसके अलावा ठंड, शुष्क मौसम भी वायरस को लंबे समय तक जीवित रहने और शक्तिशाली बने रहने में मदद करते हैं, हालांकि इसे लेकर पुष्ट रिसर्च मौजूद नहीं है.

क्या उपाय अपनाए गए?

यूरोपीय देशों ने पूरी तरह लॉकडाउन नहीं लगाया क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता. स्थानीय प्रतिबंध लगाए गए ताकि अर्थव्यवस्था को खुले रखते हुए वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिले.

घर पर रहने का 'आदेश' जारी करने की जगह बार, रेस्तरां या अन्य सार्वजनिक स्थानों को टारगेट किया गया, जहां अक्सर युवाओं की आवाजाही की संभावना हो सकती है. इसके पीछे वजह ये थी कि दूसरी लहर में वायरस युवाओं को ज्यादा शिकार बना रहा था, जिनकी इस बीमारी से मौत की संभावना कम होती है. मार्च की तुलना में मौतों और हॉस्पिटलाइजेशन की संख्या कम देखी गई.

कमोबेश हम ऐसी ही स्थिति भारत में देख रहे हैं. रोकथाम के लिए अपनाए जा रहे उपाय भी कोरोना की दूसरी लहर झेल चुके यूरोपीय देशों से मिलती जुलती है. एक्सपर्टस के मुताबिक शादियों का मौसम, अनलॉक के दौरान लापरवाही, सामाजिक दूरी की कमी, यात्रा और प्रोटोकॉल का पालन नहीं होना दूसरे लहर की बड़ी वजहें हैं. इसके अलावा ये नए वेरिएंट से जुड़ा मुद्दा हो सकता है.

लेकिन हम पहले से ही जानते हैं कि वायरस के ट्रांसमिशन पर अंकुश लगाने के लिए क्या करना होगा. असली सवाल ये है: लापरवाही ने कोरोना को डबल अटैक का मौका दिया है, लेकिन क्या हम कोरोना को जीत जाने देंगे?

(Our world in data, न्यूयॉर्क टाइम्स के इनपुट के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT