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फ्रांस ने अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुलाए, सबमरीन डील पर हुआ टकराव

फ्रांस और अमेरिका के बीच पहले भी टकराव रहे हैं. पर फ्रांस ने इतना कड़ा कदम पहली बार उठाया है

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<div class="paragraphs"><p>फ्रांस के राष्ट्रपति&nbsp;Emmanuel Macron</p></div>
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फ्रांस के राष्ट्रपति Emmanuel Macron

(फोटो: @francediplo_EN/Twitter)

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फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया (America And Australia) से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं. फ्रांस (France) ने ऐसा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई न्यूक्लियर डील के बाद किया है. बता दें इस डील के बाद ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस से अरबों डॉलर की सबमरीन नहीं खरीदेगा.

अमेरिका और फ्रांस पहले भी कई बार मतभेद हुए हैं, लेकिन इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है. जब फ्रांस को अमेरिका से अपने राजदूत को वापस बुलाना पड़ रहा है.

फ्रांस की तरफ से साफतौर पर कहा गया कि यह पीठ में छुरा भोंकने की तरह है. उन्होंने कहा कि फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भरोसे का संबंध स्थापित किया था लेकिन उसे धोखा दिया गया है.

फ्रांस ने आगे अपने बयान में कहा कि "ओशन क्लास सबमरीन प्रोजेक्ट को छोड़ना, जिस पर फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया लगभग 4-5 साल से काम कर रहे थे और अमेरिका के साथ न्यूक्लियर सबमरीन पर भविष्य में सहयोग की संभावना के उद्देश्य से नई साझेदारी की घोषणा करना एक अस्वीकार्य व्यवहार है. इसके परिणाम हमारे गठबंधनों, हमारी साझेदारियों और यूरोप के लिए इंडो-पैसिफिक की अहमियत को प्रभावित करते हैं".

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किस वजह से ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका के साथ साझेदारी की?

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कहना है कि उन्होंने अमेरिकी न्यूक्लियर सबमरीन में निवेश करने और फ्रांस के साथ हुए डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन कांट्रेक्ट से अलग होने का फैसला किया है. मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने यह फैसला बदले रणनीतिक माहौल के चलते लिया है.

मॉरिसन ने कहा कि 2016 में जब ऑस्ट्रेलिया ने 43 अरब डॉलर की डील की थी, तब अमेरिकी न्यूक्लियर सबमरीन तकनीक का विकल्प खुला नहीं था. अमेरिका अब ब्रिटेन के साथ मिलकर, ऑस्ट्रेलिया के लिए तकनीक साझा करने के लिए तैयार हुआ है. मॉरिसन ने कहा कि उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से इसी साल जून महीने में बात की थी और कहा था कि वे पारंपरिक सबमरीन की क्षमता को लेकर आशंकित हैं.

अमेरिका ने इस नई साझेदारी पर क्या कहा?

अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी की घोषणा कर फ्रांस को नाराज किया है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने इंडो पेसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, इस सुरक्षा गठबंधन की घोषणा की है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बताया कि फ्रांस को इस फैसले के बारे में पहले ही बता दिया गया था, हालांकि अमेरिका ने यह स्पष्ट नहीं किया कि फ्रांस को कब इस बात की जानकारी दी गई. फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने जून में कहा था कि यह हम सभी के लिए अच्छा समाचार है कि अमेरिका वापस आ गया है, लेकिन इस गठबंधन की घोषणा को उन्होंने समझ से परे बताया.

जानिए इस नए गठबंधन के बारे में

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को घोषणा में कहा कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका एक नया गठबंधन बनाएंगे. इस गठबंधन को 'ऑकस' यानि AUKUS के रूप में जाना जाएगा. इस नई साझेदारी को इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में चीन को काउंटर करने के रूप में देखा जा रहा है. वैसे इस साझेदारी की घोषणा के समय चीन का नाम कहीं नहीं लिया गया. लेकिन चीन ने इस पर बयान देते हुए कहा कि इस गठबंधन का उद्देश्य क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर नुकसान पहुंचाना है.

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Published: 18 Sep 2021,08:14 AM IST

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