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जी20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के लिए कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की भारत की निर्धारित यात्रा से कुछ ही दिन पहले, कनाडा सरकार ने शुक्रवार, 01 सितंबर को घोषणा की है कि उसने भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार संधि पर बातचीत रोक दी है.
मई में, भारत और कनाडा ने कहा था कि उनका लक्ष्य विवादों से निपटने के लिए एक सिस्टम तैयार करते हुए दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने और निवेश का विस्तार करने के लिए इस साल एक अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट पर मुहर लगाना है.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक कनाडाई अधिकारी ने मीडिया से कहा, "व्यापार वार्ता लंबी, जटिल प्रक्रियाएं हैं. और हम कहां हैं इसका जायजा लेने के लिए हम रुके हैं."
कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजीव कुमार वर्मा ने G20 शिखर सम्मेलन से पहले कई मुद्दों पर कनाडाई मीडिया से बात की.
व्यापार समझौते पर चर्चा रोकने के कनाडा के फैसले के बारे में संजीव वर्मा ने कहा कि उन्हें इसका कारण नहीं पता.
रिपोर्ट के मुताबिक, संजीव वर्मा ने कहा कि कनाडा को प्रस्तावित सौदे के बारे में उद्योग समूहों को बेहतर जानकारी देने के लिए शायद अधिक समय की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ''13 महीनों में 10 राउंड होना बहुत बड़ी बात है...कभी-कभी यह इतनी तेजी से आगे बढ़ता है कि हितधारक परिणाम को समझ नहीं पाते हैं.'' उन्होंने कहा कि यह उनका 'अनुमान' है.
कनाडा में ह्यूमन राइट्स ग्रुप, जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को उठाने के लिए सरकार से याचिका दायर कर रहे हैं.
अगस्त में, 80 से अधिक मानवाधिकार और आस्था संगठनों ने एक खुला पत्र जारी कर पीएम ट्रूडो से आग्रह किया कि वे भारत में मुस्लिमों, सिख, कश्मीरी और ईसाइयों सहित धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों द्वारा सामना किए जाने वाले व्यवस्थित भेदभाव, नरसंहार उकसावे, उत्पीड़न और हिंसा की एक स्पष्ट सार्वजनिक निंदा करें.
पत्र में ट्रूडो सरकार से नई दिल्ली के साथ कोई भी व्यापार या निवेश समझौता "कमजोर समुदायों की सुरक्षा" पर निर्भर करने का आग्रह किया गया.
कनाडाई सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, कि वे "सुरक्षा, लोकतंत्र, बहुलवाद और मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों पर भारत के साथ जुड़ाव जारी रखेंगे, खासकर जब भारत इस साल जी20 बैठकों की अध्यक्षता कर रहा है."
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