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कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर 15वां जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. ये सम्मेलन 21 नवंबर से 22 नवंबर तक चलेगा. पीएम नरेंद्र मोदी भी इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. इस बार का जी-20 सम्मेलन काफी मामलों में खास रहने वाला है. इस सम्मेलन से जुड़ी कुछ अहम बातें कुछ इस तरह हैं :
इस बार के जी-20 सम्मेलन की थीम है: ‘21वीं शताब्दी में सभी के लिए अवसरों को उपलब्ध कराना’. ये शिखर सम्मेलन 21 नवंबर और 22 नवंबर को ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित किया जाएगा.
जी-20 की स्थापना 1999 में की गई थी. जी-20 समूह में अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ शामिल हैं. स्पेन इस समूह एक ऐसा सदस्य है, जिसे हर साल खास तौर पर आमंत्रित किया जाता है.
1930 के महामंदी के बाद की सबसे खराब वैश्विक मंदी के बीच शक्तिशाली समूह का यह शिखर सम्मेलन हो रहा है. इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और समूह के अन्य सदस्य देशों के नेता भाग ले सकते हैं.
इस सम्मलेन में भारत अपनी प्राथमिकताओं को सामने रखने से बिलकुल नहीं चूकेगा. भारत कई मुद्दों, जैसे आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता, विश्व व्यापार संगठन में सुधार, खाद्यान्न सुरक्षा आदि कई क्षेत्रों में विश्व के देशों में एकमत का निर्माण करने के लिए प्रयास करेगा. इससे पहले पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए आतंकियों और आतंकी संगठनों की मदद करने वाले देशों पर नकेल कसने का आह्वान किया था.
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