मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019World Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019G-7 समूह क्या है? चीन और भारत हिस्सा नहीं, फिर भी PM मोदी इटली में क्यों आमंत्रित?

G-7 समूह क्या है? चीन और भारत हिस्सा नहीं, फिर भी PM मोदी इटली में क्यों आमंत्रित?

G7 Summit 2024: जी-7 किसी वैश्विक चार्टर के तहत काम नहीं करता है. इसकी नीतियां किसी देश पर जबरन लागू नहीं की जा सकती हैं.

क्विंट हिंदी
दुनिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>G-7 समूह क्या है? भारत और चीन हिस्सा नहीं, फिर भी PM मोदी इटली में क्यों आमंत्रित?</p></div>
i

G-7 समूह क्या है? भारत और चीन हिस्सा नहीं, फिर भी PM मोदी इटली में क्यों आमंत्रित?

फोटो- PTI

advertisement

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) जी-7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) में भाग लेने के लिए इटली रवाना होंगे. पीएम का ये दौरा 13-14 जून तक का है. इस दौरान प्रधानमंत्री कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष से मिलेंगे और कुछ देश के राष्ट्राध्यक्षों के साथ संभावित द्विपक्षीय बैठक भी कर सकते हैं.

इस बार जी-7 की अध्यक्षता इटली कर रहा है, इसलिए मेजबानी का जिम्मा भी इटली के हाथ में हैं.

भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में आउटरीच देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शामिल होंगे. दरअसल, भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन इसके बावजूद लगातार 7 बार से प्रधानमंत्री मोदी को जी-7 समारोह में आउटरीच देश के तौर पर न्योता भेजा जाता रहा है.

हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि G-7 आखिर है क्या और इससे भारत और दुनिया के बाकी देशों को क्या फायदा होता है? इसके अलावा हम बताएंगे कि जी-7 का अब तक इतिहास कैसा रहा है?

क्या है जी- 7?

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जो वैश्विक व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर हावी है. इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. ये सात देश खुद को कथित तौर पर दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था वाले देश कहते हैं और हर साल आपसी हितों को लेकर बैठक करते हैं. हालांकि इनका दावा है कि ये दुनिया भर के अलग-अलग मुद्दों पर अपनी नीतियां तय करते हैं.

इस समूह की पहली बैठक 1975 में हुई थी, तब वैश्विक आर्थिक संकट के समाधान को लेकर चर्चा की गई. शुरुआत में इस समूह का नाम जी-6 था, क्योंकि पहली बैठक में सिर्फ छह देश शामिल थे. हालांकि एक साल के बाद कनाडा भी इस समूह से जुड़ गया.

इसके अलावा हर साल इस समूह का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन आयोजित होता है. इस शिखर सम्मेलन में यूरोपीय यूनियन भी शामिल होता है, हालांकि यूरोपीय यूनियन इसका सदस्य नहीं है.

जी-7 किसी वैश्विक चार्टर के तहत काम नहीं करता है. इसकी नीतियां किसी देश पर जबरन लागू नहीं की जा सकती हैं.

जी-7 को ग्रुप ऑफ सेवन भी कहते हैं. साल 1998 में रूस को भी जी-7 समूह में शामिल कर लिया गया था जिसके बाद इसे जी-8 नाम से जाना जाने लगा था, लेकिन साल 2014 में क्रिमिया पर कब्जा करने का बाद रूस को इससे बाहर कर दिया गया.

अब सवाल ये भी है कि आखिर जी-7 काम क्या करता है?

जी-7 दावा करता है कि वह दुनिया भर के मुद्दों को अपने शिखर सम्मेलनों में चर्चा का मंच देता है. समूह दावा करता रहा है कि वह मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और सतत विकास जैसे मुद्दों को अपना सिद्धांत मानता है.

समूह का दावा है कि साल 2002 के बाद से अब तक जी-7 ने 2.7 करोड़ लोगों की जान बचाई है.

यह समूह जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा नीति, एचआईवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैले मुद्दों पर आपसी सहमति के बाद इस दिशा में क्या काम किए जाने चाहिए ये तय करता है. इसके लिए समूह की ओर से फंड भी दिए जाते हैं.

समूह की ओर से विकासशील देशों के जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों से निपटने के लिए सहायता की गई है. इसके अलावा जी-7 ने 2002 में मलेरिया और एड्स से लड़ने के लिए वैश्विक कोष की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी.

वहीं समूह का यह भी दावा है कि 2016 पेरिस समझौते के पीछे जी-7 का हाथ था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

जी-7 में इस बार क्या है मुद्दे?

जी-7 की शुरुआत हुए 50 साल हो चुके हैं. 50 वें साल में इटली इसकी अध्यक्षता कर रहा है.

2024 जी- 7 शिखर सम्मेलन 13 से 15 जून तक इटली के अपुलिया में आयोजित किया जाएगा. इस साल के जी-7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन और गाजा में जंग जैसे मुद्दों को चर्चा के केंद्र में रखा जाएगा.

वहीं इटली की ओर से कहा गया है कि वह चाहता है कि शिखर सम्मेलन अफ्रीका और प्रवासन, आर्थिक सुरक्षा और AI पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित हो.

भारत के लिए क्यों अहम है जी-7 सम्मेलन?

भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन इसके बावजूद पिछले कई सालों से लगातार भारत को इस समूह के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाता रहा है. भारत जी-20 समूह का हिस्सा है. जी-20 के बढ़ते प्रभाव की वजह से माना जाता है कि जी-7 अब पहले की तरह प्रभावी नहीं रहा है.

अर्थव्यवस्था के मामले में भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थवयवस्था है लेकिन सबसे ज्यादा आबादी की वजह से प्रति व्यक्ति आय जी-7 देशों के मुकाबले कम है. इसी तर्ज पर चीन भी इस समूह का हिस्सा नहीं है.

भारत ग्लोबल साउथ के सूत्रधार के तौर पर दुनिया भर में उभरा है. इसके साथ ही अमेरिका इंडो-पैसिफिक रीजन में चीन के साथ संतुलन साधने के लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी तरजीह देता दिखता है. वहीं भारत के लिए फायदा ये है कि जी-7 जैसे मंच से वह अपने हित की नीतियों के पक्ष में आवाज उठा सकेगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT