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PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार, 26 दिसंबर को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान से बात की और दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया रीजन में "शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए मिलकर काम करने पर सहमती जताई." बताया जा रहा है कि यह बातचीत इजरायल-हमास जंग और कुछ दिनों पहले लाल सागर में एक व्यापारिक जहाज पर ड्रोन से हमले से उत्पन्न अस्थिरता के मद्देनजर हुई.
फोन पर हुई बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि....
इस दौरान पीएम मोदी ने आतंकवाद, हिंसा और लोगों के जीवन को हो रहे नुकसान के बारे में चिंताएं साझा कीं. पीएम ने पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की.”
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के एक बयान में कहा गया है: "प्रधानमंत्री ने इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक स्थिति को दोहराया और प्रभावित आबादी के लिए मानवीय सहायता जारी रखने का आह्वान किया."
पीएमओ के अनुसार, नेताओं ने सितंबर 2023 में क्राउन प्रिंस की भारत की राजकीय यात्रा के बाद द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा की और उन्होंने भविष्य के लिए दूरंदेशी द्विपक्षीय साझेदारी एजेंडे पर भी चर्चा की. पीएमओ के बयान के मुताबिक कहा गया, "दोनों नेता संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए."
पिछले हफ्ते, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और उन्हें इजरायल-हमास संघर्ष में हाल के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी.
21 भारतीय चालक दल के सदस्यों के साथ व्यापारी जहाज एमवी केम प्लूटो पर पिछले शनिवार को पोरबंदर से लगभग 217 समुद्री मील दूर एक ड्रोन ने हमला किया था, जिसके बाद भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने जहाज को सहायता देने के लिये तैनात की गईं थीं.
25 भारतीय चालक दल के सदस्यों के साथ गैबॉन के झंडे वाले वाणिज्यिक कच्चे तेल टैंकर पर भी दक्षिणी लाल सागर में हमला हुआ.
जैसा कि यमन में ईरान समर्थित हुती आतंकवादियों ने लाल सागर में जहाजों पर हमले बढ़ा दिए हैं, भारत ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह "वाणिज्यिक शिपिंग की मुक्त आवाजाही का समर्थन करता है".
यमन में बड़ी मात्रा में क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले हुती आतंकवादी, लाल सागर के माध्यम से जाने वाली अंतरराष्ट्रीय जहाजों को लक्षित करने के लिए ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग कर रहे हैं. इसे गाजा पट्टी पर इजरायल के हमले की प्रतिक्रिया कहा जा रहा है.
पूर्व-पश्चिम व्यापार, विशेषकर तेल व्यापार की अनुमति देने वाले मार्ग को निशाना बनाकर किए गए हमलों ने कुछ शिपिंग कंपनियों को जहाजों का मार्ग बदलने के लिए मजबूर कर दिया है.
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