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Iran: सोमवार, 26 दिसंबर को सीरिया में इजरायली हवाई हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड का एक वरिष्ठ जनरल मारा गया. ईरान ने इस घटना के बाद सख्त प्रतिक्रिया दी. उसने कहा इस अपराध के लिए इजरायल को बड़ी कीमत चुकानी पडे़गी.
ईरानी राज्य मीडिया ने रजी मौसावी की मौत की जानकारी दी. रजी मौसवी को इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की विदेशी शाखा, कुर्द फोर्स के सबसे अनुभवी सलाहकारों में से एक माना जाता था.
अभी तक इस घटना पर इजरायल की ओर से कोई बयान नहीं आया है. हलांकि इजरायल बार-बार कहता रहा है कि वह अपने दुशमन ईरान को सीरिया में विस्तार कभी नहीं करने देगा.
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने मौसावी की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इजरायल को "इस अपराध के लिए निश्चित रूप से कीमत चुकानी होगी."
सीरियाई राजधानी के दक्षिण में सैय्यदा जेनब शहर के लिए एक अलग नाम का युज करते हुए समाचार एजेंसी आईआरएनए ने बताया कि,
आईआरजीसी ने एक बयान में कहा कि मौसावी एक "मिसाइल हमले" में मारा गये. जिसके बाद ईरान ने जनरल की मौत का बदला लेने की भी कसम खाई.
बयान में कहा गया है कि मौसावी ईरान के कुर्द कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी का साथी थे, जो 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में बगदाद में मारा गया था.
कुर्द फोर्स के सबसे वरिष्ठ जनरल मौसावी तब मारे गए जब अगले सप्ताह ईरान सुलेमानी की हत्या की चौथी बरसी मनाएगा.
ईरान के सरकारी टीवी ने कहा कि मौसावी को "तीन मिसाइलों" से निशाना बनाया गया और फुटेज प्रसारित किया गया जिसमें हमले वाले क्षेत्र से धुआं उठता दिख रहा है.
ब्रिटेन स्थित मॉनिटर, सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी सैय्यदा जैनब क्षेत्र में ईरानी समूहों और लेबनान के हिजबुल्लाह के ठिकानो पर इजरायली हमलों की जानकारी दी.
2011 में सीरिया का गृहयुद्ध शुरू होने के बाद से, इजरायल ने सीरिया पर सैकड़ों हवाई हमले किए हैं. इजरायल ने मुख्य रूप से ईरान समर्थित बलों और हिजबुल्लाह लड़ाकों के साथ-साथ सीरियाई सेना की चौकियों को निशाना बनाया है.
2 दिसंबर को, आईआरजीसी ने इजरायल पर सीरिया में अपने दो सदस्यों की हत्या करने का आरोप लगाया था.
फिलिस्तीनी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया. जिसके बाद से ही इजरायल ईरान समर्थित हमास और सीरिया के आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं.
ईरान आर्थिक और सैन्य रूप से हमास का समर्थन करता है. ईरान ने 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमलों को अपनी सफलता के रूप में स्वीकार किया, लेकिन सीधे तौर पर भागीदारी से इनकार कर दिया.
ईरान इजराइल को मान्यता नहीं देता है और 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से उसने फिलिस्तीन के समर्थन को अपनी विदेश नीति का सेंटर बना लिया है.
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