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विदेश मंत्रालय ने कहा है कि खालिस्तान (Khalistan) अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) की हत्या की साजिश के आरोपी निखिल गुप्ता (Nikhil Gupta) को कम से कम तीन बार कॉन्सुलर एक्सेस दिया गया था.
दरअसल, अमेरिका ने आरोप लगाया है कि एक भारतीय अधिकारी के आदेश पर चेक गणराज्य (यूरोपीय देश) की जेल में बंद निखिल गुप्ता ने पन्नू की हत्या की साजिश रची.
कॉन्सुलर एक्सेस का मतलब होता है, जब किसी देश का व्यक्ति अगर किसी दूसरे देश की जेल में बंद है तो कॉन्सुलर एक्सेस के तहत जेल में बंद व्यक्ति के देश के राजनयिक या अधिकारी को उस कैदी से मिलने की इजाजत दी जाती है.
भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसियों ने कहा था कि इस कथित हत्या की साजिश का प्रभाव भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा.
इस पर बागची ने कहा कि, "हम अमेरिका की ओर से दी गई जानकारी को गंभीरता से ले रहे हैं और मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन भी किया गया है. ये बात अमेरिका के कांग्रेसी जानते हैं और मेरे पास इस पर कोई और अपडेट नहीं है. मेरे पास निश्चित रूप से अभी तक समिति या इसकी समयसीमा या इसके निष्कर्षों पर कोई अपडेट नहीं है."
अमेरिकी न्याय विभाग ने मैनहट्टन की एक संघीय अदालत में दायर आरोप पत्र में दावा किया कि भारतीय अधिकारी और एक भारतीय नागरिक इस साजिश में साथ थे, जिसमें भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता का नाम सामने आया, जिसे इस साल 30 जून को चेक अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था. हत्या के लिए हायर करने और कॉन्ट्रेक्ट पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया.
इससे पहले, ब्रिटेन के दैनिक फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट दी थी कि अमेरिका ने अमेरिकी जमीन पर पन्नू की हत्या की साजिश को विफल कर दिया और भारत को चेतावनी जारी की.
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