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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया है कि उनके देश की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अलकायदा समेत अन्य आतंकी संगठनों को ट्रेनिंग दी थी. उन्होंने कहा कि ये ट्रेनिंग उन्हें अफगानिस्तान में लड़ने के लिए दी गई. इसीलिए पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों के बीच संबंध थे. इमरान खान ने विदेश संबंध परिषद (सीएफआर) में ओसामा बिन लादेन पर भी जवाब दिया.
इमरान खान ने कहा, "जब हमने इन आतंकी संगठनों से मुंह मोड़ा तो हमसे सब सहमत नहीं हुए. सेना के अंदर भी लोग हमसे सहमत नहीं हुए, इसलिए पाकिस्तान के अंदर हमले हुए." उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी सेना को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बिन लादेन एबटाबाद में रह रहा था. इमरान ने कहा, "जहां तक मैं जानता हूं पाकिस्तानी सेना प्रमुख, आईएसआई को एबटाबाद के बारे में कुछ पता नहीं था. अगर किसी को पता भी होगा तो वह संभवत: निचले स्तर में होगा."
अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मेट्टिस ने कहा था कि वह पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश मानते हैं, जिसके संबंध में पूछे गए सवाल पर इमरान ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि जेम्स मेट्टिस यह पूरी तरह समझते हैं कि पाकिस्तान क्यों कट्टरपंथी (रेडिक्लाइज्ड) हो गया."
इमरान ने कहा, "9/11 के बाद आतंक के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी. 70,000 पाकिस्तानी इसमें मारे गए. कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं हमारी अर्थव्यवस्था को इससे 150 अरब तो कुछ का कहना है कि हमें इससे 200 अरब का नुकसान हुआ. इसके बावजूद अफगानिस्तान में अमेरिका के जीत हासिल नहीं करने पर हमें जिम्मेदार ठहराया गया."
उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में सोवियत संघ से लड़ने के लिए जिन संगठनों को ट्रेनिंग दी गई थी उन्हें बाद में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित कर दिया. इमरान ने कहा, "उन्हें बताया गया कि विदेशी ताकतों से लड़ना 'जिहाद' है. लेकिन अब जब अमेरिका अफगानिस्तान में आ गया है तो उन्हें आतंकवादी ठहरा दिया गया."
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