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इजरायल-फिलिस्तीन संकट ने एक बार फिर दशकों पुरानी दुश्मनी, दो इंतिफादा (विद्रोह), चार गाजा युद्ध और हर दिन के तनावपूर्ण रिश्तों का कच्चा-चिट्ठा सबके सामने खोल कर रख दिया है. रोजाना सैकड़ों-हजारों रॉकेट गाजा में गिरने की खबरें आ रही हैं. गाजा से हमास भी रॉकेट दाग रहा है, लेकिन कोई इक्का-दुक्का ही इजरायल के क्षेत्र में गिर रहा है. स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोशिश कर रहा है, पर कोई उत्साह या तात्कालिकता नहीं दिखती है.
ताजा विवाद में 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. हमेशा की तरह फिलिस्तीन लोग इजरायली सुरक्षा बल और हमास की लड़ाई में सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं. गाजा में एक के बाद एक इमारत इजरायली हमले का निशाना बनकर ढह रही है. वेस्ट बैंक में भी सबकुछ ठीक नहीं है, जहां फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी इजरायली सुरक्षा बल से टकरा रहे हैं.
लड़ाई की वजह बने जेरुसलम में फिलिस्तीनी और इजरायली लोग एक-दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लेकिन ये हालात इतने कैसे बिगड़ गए और इसका अंत कैसे और क्या हो सकता है, एक-एक करके समझते हैं.
अभी चल रही लड़ाई और तनाव की वजह इजरायली पुलिस का अल-अक्सा मस्जिद में कार्रवाई करना और शेख जर्राह इलाके से फिलिस्तीनी परिवारों को निकालना है.
साल 2000 में अल-अक्सा मस्जिद से ही दूसरा फिलिस्तीनी इंतिफादा (विद्रोह) शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत इजरायल के दक्षिणपंथी नेता एरियल शेरोन के मस्जिद का दौरे करने से हुई थी.
7 मई से पहले भी जेरुसलम में कई हफ्तों से तनाव चल रहा था क्योंकि इजरायल ने शहर के कुछ हिस्सों को प्रतिबंधित कर दिया था. इन हिस्सों में रमजान के महीने में फिलिस्तीनी लोग नमाज के बाद जमा होते थे. काफी दिनों तक चले तनाव और झड़प के बाद इजरायल ने ये प्रतिबंध हटा लिए थे.
अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम धर्म में तीसरा सबसे पवित्र स्थान है. गाजा पर शासन करने वाले हमास ने इजरायल को मस्जिद परिसर से पुलिस हटाने का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी समय सीमा खत्म होने के बाद उसने रॉकेट हमले शुरू कर दिए.
यहां ये बात भी देखी जा सकती है कि गाजा में हमास और वेस्ट बैंक में फतह पार्टी का शासन है. दोनों के बीच फिलिस्तीनी मुद्दों का नेता बनने की प्रतिस्पर्धा रहती है. हाल ही में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संसदीय चुनावों को टाल दिया था. अब्बास ने कहा था कि ये साफ नहीं है कि इजरायल पूर्वी जेरुसलम में रहने वाले फिलिस्तीनियों को वोट डालने देगा या नहीं.
हमास मौजूदा स्थिति में महमूद अब्बास से ज्यादा सक्रिय दिख रहा है. ज्यादातर देश हमास को आतंकी संगठन मानते हैं, लेकिन चुनावों में अगर हमास जीत जाता है तो शांति प्रक्रिया के लिए उसी से बात करनी होगी. इजरायल पर रोजाना रॉकेट हमले कर हमास का एजेंडा वेस्ट बैंक के फिलिस्तीनियों के बीच अपनी राजनीतिक स्थिति और मजबूत करना भी हो सकता है.
हिंसा का स्तर हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहा है. हमास के रॉकेट हमलों के जवाब में इजरायल गाजा पर बम बरसा रहा है. 15 मई को इजरायली एयर स्ट्राइक में गाजा की उस इमारत को ढहा दिया गया, जिसमें अल जजीरा और एसोसिएटेड प्रेस (AP) जैसे मीडिया संस्थानों के ऑफिस थे.
मिस्र के अधिकारी भी इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम कराने के लिए पहुंच चुके हैं. अधिकारियों ने सबसे पहले गाजा में हमास के नेताओं से और फिर तेल अवीव में इजरायली नेताओं से बातचीत की.
ट्रंप प्रशासन के दौरान हुआ अब्राहम समझौता भी मौजूदा स्थिति को मुश्किल बना देता है. इसके तहत UAE, बहरीन जैसे देश इजरायल के साथ रिश्तों को सामान्य कर उसे मान्यता दे चुके हैं. मिस्र सालों पहले ही ऐसा कर चुका है. अगर हमास के साथ गाजा में युद्ध छिड़ जाता है तो इन देशों के लिए पक्ष चुनना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अमेरिका इजरायल का साथ ही देगा.
हमास के साथ गाजा में पूर्ण युद्ध की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन इजरायल और हमास दोनों इसका नतीजा जानते हैं. पिछले तीन युद्ध की तरह ही इसके भी बेनतीजा रहने के सबसे ज्यादा आसार हैं. ज्यादा संभावना यही है कि लड़ाई और विवाद कुछ और दिन चल सकती है, जिसके बाद इसका मानवीय नुकसान अमेरिका और मिडिल ईस्ट के प्रभावशाली देशों को सीजफायर कराने पर मजबूर कर देगा और यथास्थिति कायम हो जाएगी.
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