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OIC से यासीन पर रार: क्यों दुनिया के दूसरे बड़े संगठन से नहीं बैठती भारत की पटरी

India Condemn OIC: भारत को 1969 में स्थापना के बाद से ही ओआईसी की तरफ से कश्मीर और अन्य मुद्दों पर विरोध झेलना पड़ा

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<div class="paragraphs"><p>OIC की भारत से तनातनी बरकरार</p></div>
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OIC की भारत से तनातनी बरकरार

(फोटो : OIC)

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शुक्रवार को भारत ने यासीन मलिक (Yaseen Malik) की सजा पर ओआईसी और IPHRC द्वारा दिए गए बयान की निंदा की. भारत ने कहा कि यासीन मलिक के समर्थन में बयान देकर ओआईसी आंतकी गतिविधियों को परोक्ष तौर पर समर्थन दे रहा है.

भारत ने ओआईसी (OIC- Organisation of Islamic countries) से किसी भी तरीके से आंतकवाद को सही ना ठहराने की अपील की और कहा कि अब दुनिया इस बुराई के खिलाफ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करती है.

बता दें यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.

क्या कहा था ओआईसी ने

ओआईसी ने यासीन मलिक को अहम कश्मीरी नेता बताते हुए कहा उनकी सजा को "गैरकानूनी" बताया और उसकी निंदा की थी. संगठन ने दावा किया कि यासीन को "अमानवीय स्थितियों में जेल में रखा गया है, जो भारत के पूर्वाग्रह को दिखाता है."

भारत का विरोध करता रहा है ओआईसी

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब भारत की तनातनी ओआईसी के साथ बढ़ी है. कश्मीर मुद्दे पर सालों से भारत ओआईसी के विरोध को झेलता और उसे काउंटर करते हुए आ रहा है.

हाल में मार्च के महीने में ओआईसी की 48वीं बैठक इस्लामाबाद में हुई थी, जहां इमरान खान ने फिलिस्तीन के साथ-साथ कश्मीर का मुद्दा भी उठाया था.

आमतौर पर ओआईसी में कश्मीर और भारत से जुड़े अन्य मुद्दों पर दूसरे देश मित्रता नहीं निभाते, हालांकि इसके ज्यादातर सदस्यों से भारत के अच्छे संबंध हैं.

क्या है ओआईसी

दरअसल 1969 में मोरक्को में पहली इस्लामिक समिट कॉन्फ्रेंस के बाद स्थापित ओआईसी दुनिया के 57 इस्लामी देशों को संगठन है, लेकिन इसमें भारत को जगह नहीं दी गई है, जबकि यहां दुनिया के करीब 10 फीसदी मुस्लिम रहते हैं. बता दें भारत से ज्यादा मुस्लिम सिर्फ इंडोनेशिया में ही रहते हैं. मतलब यहां सिर्फ मुस्लिम बहुल देशों को ही सदस्य बनाया जाता है.

ओआईसी अपने आपको "मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज" के तौर पर परिभाषित करता है. कहा जाता है कि यह संगठन करीब डेढ़ अरब आबादी का प्रतिनिधित्व करता है.

ओआईसी की स्थापना और भारत

जैसा ऊपर बताया कि 1969 की मोरक्को में हुई समिट से इस संगठन की नींव पड़ी थी और उसमें भारत को भी बुलाया गया था. लेकिन पाकिस्तान के दबाव के चलते अपमानित ढंग से भारत को बाहर निकाल दिया गया. तत्कालीन कृषि मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद मोरक्को पहुंच चुके थे, जिसके बाद उनसे आमंत्रण वापस ले लिया गया.

लेकिन 2006 तक आते-आते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत स्थिति हो चुकी थी. तब सऊदी अरब ने भारत को ऑब्जर्वर स्टेट के तौर पर न्योता दिया था. लेकिन भारत ने कई वजहों से इस संगठन की कार्रवाई में हिस्सा बनने से इंकार कर दिया. भारत ने कहा कि वह सेकुलर देश है, जो धर्म के आधार पर गठित संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता.

2018 में एक बार फिर बांग्लादेश ने भारत को ऑब्जर्वर स्टेट बनाने का सुझाव दिया. जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया.

पढ़ें ये भी: OIC में पाक ने बनाया भारत को निशाना, मालदीव ने दिया करारा जवाब

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