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नेपाल-भारत संबंध में चीन और पाक के सिवा और भी गम हैं 

भारत और नेपाल दोनों अपने रुख को लचीला बनाने से परहेज कर रहे हैं 

दीपक के मंडल
दुनिया
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नई  दिल्ली में शुक्रवार को नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की 
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नई  दिल्ली में शुक्रवार को नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात की 
(फोटो : ANI) 

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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी तीन दिन की भारत यात्रा के दौरान यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह भारत से अपनी पारंपरिक दोस्ती को मजबूती देने के लिए आए हैं. लेकिन इस दौरे में भारत और नेपाल दोनों की ओर से कुछ मुद्दों पर अपने-अपने रुख पर कायम रहने की खबरें हैं. आपसी संबंधों को लेकर दोनों फिलहाल लचीला रुख अपनाते नहीं दिख रहे हैं.

आइए देखते हैं नेपाल और भारत के रिश्तों की मौजूदा तस्वीर क्या है. दोनों देशों के बीच मुद्दे क्या हैं और दोनों का इन पर क्या रुख है.

1. चीन से नजदीकी का सवाल

भारत को लग रहा है कि चीन नेपाल में अपना असर बढ़ाता जा रहा है. चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव या वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट में नेपाल के शामिल होने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई. इसके बाद भारत की ओर से नेपाल से संबंधों को मजबूती देने की कोशिश और तेज हो गई. ओली ने भारतीय अखबारों को दिए अपने इंटरव्यू में कहा है चीन के बेल्ट रोड इनशिएटिव में नेपाल ने सोच-समझ कर शामिल होने का फैसला किया है. नेपाल को इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की जरूरत है ताकि उसकी समृद्धि बढ़ सके. जबकि भारत का कहना है कि बेल्ट रोड इनिशिएटिव की परियोजना चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर उसकी संप्रभुता का उल्लंघन करती है.

2.पनबिजली परियोजना पर विवाद

नेपाल का कहना है कि नेपाल में पंचेश्वर बांध और महाकाली परियोजना को 22 साल हो गए लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है. ये दोनों भारत के सहयोग से शुरू की गई थी. इस बीच, नेपाल ने कुछ परियोजनाओं के ठेके चीन को देने शुरू कर दिए. समझा जाता है कि मोदी ओली को यह कहेंगे कि अगर नेपाल ने चीन को पनबिजली परियोजनाओं को देना शुरू किया तो भारत उससे बिजली नहीं खरीदेगा. भारत से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह चीन की बनाई परियोजना से बिजली खरीदे. चीन ही बिजली परियोजना का निर्माण करे और वही खरीदे.

3. नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी का मुद्दा

नेपाल के पीएम ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2015-16 में मधेशी आंदोलन के दौरान भारत की ओर से उनके देश में सामान आने पर लगाई गई पाबंदी से नेपाल के लोगों को काफी तकलीफ हुई. देश विनाशकारी भूकंप से जूझने के बाद पटरी पर लौट रहा था लेकिन भारत के रुख ने नेपाल के लोगों के लिए आवश्यक वस्तुओं की भारी किल्लत पैदा कर दी. इससे नेपाल में भारत के प्रति नाराजगी थी. हालांकि हम पुराने मुद्दों को भूल कर आगे बढ़ना चाहते हैं. उम्मीद है कि मोदी नेपाल के इस रुख को समझेंगे.

पिछले दिनों पाकिस्तान के पीएम के नेपाल दौरे को भारतीय राजनयिक हलकों में अहम माना गया(फोटो: Reuters)

4. 1950 की संधि

भारत के साथ 1950 की संधि के मुताबिक नेपाल को नया हथियार से खरीदने और किसी दूसरे देश से सुरक्षा समझौता करने से पहले भारत से मशविरा करना होगा. नेपाल का कहना है कि वह संप्रभु देश है. उसे किसी तीसरे देश से इस संबंध में मशविरा की क्या जरूरत है. मोदी से मुलाकात में ओली यह मुद्दा उठाएंगे और इस समझौते में संशोधन का मुद्दा उठाएंगे.

5. पाकिस्तान से संबंध पर

हाल में पाकिस्तान के पीएम अब्बासी काठमांडू पहुंचे थे. पाकिस्तानी पीएम की इस यात्रा को भारत की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए ओली ने कहा है कि सार्क सिर्फ एक या दो देशों का एजेंडा नहीं है. पाकिस्तान से नेपाल के द्विपक्षीय के संबंधों को आगे बढ़ाने पर बातचीत हुई. भारत को इसे ज्यादा आशंका की निगाह से नहीं देखना चाहिए. हालांकि चीन और पाकिस्तान से नेपाल की नजदीकियों को लेकर भारत सतर्क है. ओली के पीएम बनने पर मोदी उन्हें दो बार फोन कर चुके हैं. पिछले दिनों सुषमा स्वराज नेपाल गई थीं और इस पीएम मोदी बिम्सटेक-बे ऑफ बंगाल समिट में हिस्सा लेने नेपाल जाएंगे.

ये भी पढ़ें - OPINION: नेपाल से पाक की बढ़ती नजदीकी भारत के लिए चिंता की बात

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