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"भारत के बायकॉट से हमारा पर्यटन बहुत प्रभावित"- मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने मांगी माफी

India Maldives Relations: मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि मौजूदा हालात का हमें अफसोस है. हम माफी मांगते हैं.

क्विंट हिंदी
दुनिया
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<div class="paragraphs"><p>"भारत के बायकॉट से हमारा पर्यटन बहुत प्रभावित"- मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने मांगी माफी</p></div>
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"भारत के बायकॉट से हमारा पर्यटन बहुत प्रभावित"- मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने मांगी माफी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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मालदीव (Maldives) के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद (Former President Md. Nasheed) ने भारत और मालदीव (India Maldive Relations) के बीच चल रहे तनाव पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि भारत में चल रहे 'बायकॉट कॉल' से मालदीव का पर्यटन सेक्टर प्रभावित हुआ है. मो. नाशिद फिलहाल भारत में हैं, यहां उन्होंने मालदीव के लोगों के तरफ से भारतीयों से माफी मांगी और साथ ही हाल में हुए मालदीव-चीन समझौते कि आलोचना की है.

पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा "हम माफी मांगते हैं."

मो. नशीद ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए भारत के ऐतिहासिक जिम्मेदार दृष्टिकोण का जिक्र किया और कहा कि भारत ने दबाव डालने के बजाय एक राजनयिक चर्चा का प्रस्ताव रखा.

"विरोध ने मालदीव को बहुत प्रभावित किया है और मैं इस वक्त इंडिया में हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मौजूदा हालात का हमें अफसोस है. हम माफी मांगते हैं. हम चाहते हैं कि भारतीय लोग अपनी छुट्टियों पर मालदीव आएं, उनके आवभगत में कोई कमी नहीं होगी. "
- मो. नशीद ने कहा (समाचार एजेंसी ANI के अनुसार)

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देशों के बीच चल रहे तनाव को लेकर हाल ही में कहा कि राष्ट्रों के बीच गलतफहमी पैदा हो सकती है. मंत्री ने राजनयिक तरीके से विवाद को हल किए जाने कि बात पर सहमति जताई. मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि, "मानवता, मानवता है. कूटनीति, कूटनीति है और राजनीति, राजनीति है. पूरी दुनिया हमेशा दायित्वों के तले नहीं चलती. अगर हमारे सामने यह स्थिति आज आई है तो हम इसका रास्ता कूटनीतिक तरीके से निकालेंगे"

उन्होंने आगे कहा, "हमें लोगों को समझाना होगा. कई बार उन्हे चीजों का पूरा ज्ञान भी नहीं होता है. कई बार लोग दूसरों की बातों से प्रभावित होकर गुमराह हो जाते हैं.".
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चीन- मालदीव के सैन्य समझौते की आलोचना की

इसी हफ्ते की शुरुआत में मालदीव सरकार और चीन के बीच सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं पर समझौते के बारे में मालदीव सरकार ने कोई जानकारी अबतक सार्वजनिक नहीं की है सिवाय इसके कि दोनों देशों के बीच यह समझौते बिना किसी भुगतान के हुआ है.

हालांकि एक रैली में मंगलवार यानी 5 मार्च को मुइज्जू ने कहा था कि चीन मालदीव को नॉन लीथल हथियार फ्री में मुहैया करवाएगा और साथ ही मालदीव के सुरक्षाबलों को ट्रेनिंग भी देगा. लेकिन नशीद इसे समझौता के बजाय हथियारों की कमाई बताते हैं.

"मुझे लगता है मुइज्जू कुछ हथियार खरीदना चाहते हैं खासकर रबर बुलेट और आंसू गैस. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सोचा कि हमें अधिक आंसू गैस और अधिक रबर की गोलियों की जरूरत है. शासन बंदूक की जोर पर नहीं चलता"
- - मो. नशीद

भारत और मालदीव के बीच पिछले कुछ समय से चल रहा कूटनीतिक तनाव तब और गहरा गया, जब हाल में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने 80 भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़ने का ऐलान कर दिया. मालदीव के राष्ट्रपति ने कहा कि "भारतीय सेना का एक भी जवान 10 मई के बाद वर्दी में या सादे कपड़ों में मालदीव में नहीं रहेगा." मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है और उनके इस कदम को चीन के प्रति झुकाव के तौर पर देखा जा रहा है.

रविवार, 9 फरवरी से भारत मालदीव से अपने सैनिकों को बुलाने की शुरुआत कर चुका है. पहले से तय डेडलाइन के तहत भारतीय सैनिकों की मालदीव से वापसी हो रही है. इस फैसले के बाद भारत में मालदीव को लेकर एक बड़ा विरोध देखने को मिला. इस बायकॉट से मालदीव के कई सेक्टर पर बुरा प्रभाव पड़ा, खासकर पर्यटन सेक्टर पर, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए एक अहम ईकाई माना जाता है.

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